Financial Sector Outlook: भारत में फाइनेंशियल सेक्टर अर्थव्यवस्था (इकोनॉमी) का सपोर्ट समर्थन करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है. फाइनेंशियल सेक्टर कोविड-19 महामारी की कई लहर और कई अन्य चुनौतियों का सामना करने के बाद रिवाइव हुआ है. बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) सहित इंस्टीट्यूशनल क्रेडिट प्रोवाइडर्स (संस्थागत लोन प्रदाता) बीते दिनों कई चुनौतियों को मात देकर उबर चुके हैं. और अब यह सेक्टर कुछ छोटी मोटी चिंताओं के साथ की सेगमेंट में मजबूत ग्रोथ दिखा सकता है.
प्रमुख की परफॉर्मेंस मैट्रिक्स में बढ़त
ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPAs) में तेज बढ़ोतरी, गिरता मुनाफा और सुस्त लोन ग्रोथ के एक फेज के बाद, बैंकिंग सेक्टर के प्रदर्शन में हर प्रमुख सेगमेंट में सुधार हो रहा है. जिसके चलते वित्त वर्ष 2023 और 2024 के दौरान क्रेडिट ग्रोथ 15% रहने का अनुमान है. कॉर्पोरेट एडवांस, जिसमें बैंक लोन का 40% से अधिक शामिल है, सभी क्षेत्रों खासतौर से इंडस्ट्रियल और इंफ्रास्ट्रक्चर में पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में बढ़ोतरी से बेनेफिशियरी होगा.
रिटेल क्रेडिट, जिसमें बैंकिंग सेक्टर के एडवांस का 30% शामिल है, के सब-सेगमेंट में बेहतर ग्रोथ दिखने की संभावना है. सबसे बड़े सब-सेगमेंट होम लोन की बात करें तो बढ़ रही ब्याज दरों के बावजूद इसमें ग्रोथ बनी हुई है, और ऐसा ही अनसिक्योर्ड सेगमेंट में भी देखने को मिला है. इसके अलावा, एसेट क्वालिटी के रुझान पॉजिटिव हैं. ओवरआल ग्रॉस एनपीए के वित्त वर्ष 2024 में एक दशक के निचले स्तर 4% से कम रहने की उम्मीद है. कॉर्पोरेट सेगमेंट में सबसे तेज सुधार देखने को मिल रहा है. वित्त वर्ष 2024 में ग्रॉस NPAs गिरकर 2% से नीचे जा सकता है जो 31 मार्च, 2018 को 16 फीसदी पर था. ऐसा महत्वपूर्ण कॉर्पोरेट डिलीवरेजिंग, बैंकों द्वारा बैलेंस शीट का क्लीन-अप और मजबूत रिस्क मैनेजमेंट और अंडरराइटिंग के चलते संभव है.
क्रेडिट लागत को कम हुई
एसेट क्वालिटी में सुधार और 31 दिसंबर, 2022 तक 76% के पहले से ही हाई प्रोविजनिंग कवर रेश्यो ने क्रेडिट लागत को कम करने में मदद की, जिससे पहली तिमाही में ट्रेजरी लाभ पर बढ़ रही ब्याज दरों के प्रभाव के बावजूद वित्त वर्ष 2023 के दौरान सेक्टर ने मुनाफे में सुधार देखा. कैपिटलाइजेशन (पूंजीकरण) के संदर्भ में, बैंकिंग सेक्टर के पास पर्याप्त बफर हैं और मिड टर्म में ग्रोथ के लिए अच्छी स्थिति में हैं. सभी पब्लिक सेक्टर (सार्वजनिक क्षेत्र) बैंकों के पास रेगुलेटरी आवश्यकताओं पर 100 बेसिस प्वॉइंट से अधिक का टियर I कैपिटल बफर है, जो एसेट-साइड के जोखिम को कम करने और क्रेडिट ग्रोथ का समर्थन करने की क्षमता दिखाता है.
किन बातों पर निगरानी की जरूरत
जबकि बैंकिंग सेक्टर पिछले कुछ साल की तुलना में मजबूत स्थिति में है, क्या डिपॉजिट ग्रोथ अपनी गति बनाए रखने के साथ बैंक लोन ग्रोथ को सपोर्ट कर सकती है, यह एक महत्वपूर्ण निगरानी योग्य प्वॉइंट है. पिछले कई महीनों से, बैंक लोन ग्रोथ ने डिपॉजिट ग्रोथ को पीछे छोड़ दिया है, बैंकों ने ग्रोथ को सपोर्ट देने के लिए सरप्लस लिक्विडिटी का उपयोग किया है. अतिरिक्त लिक्विडिटी सामान्य होने के साथ, बैंकों ने डिपॉजिट ग्रोथ को बढ़ाने के लिए विशेष रूप से वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही से जमा दरों में बढ़ोतरी शुरू कर दी है. पिछली एसेट-क्वालिटी की चुनौतियों फिर से न आएं, इससे बचने के लिए, यह जरूरी है कि बैंक ग्रोथ पर फोकस करते हुए अपने क्रेडिट अंडरराइटिंग मानकों में ढील न दें.
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नॉन-बैंक ग्रोथ 4 साल के हाई पर पहुंचने का अनुमान
पिछले तीन वित्त वर्ष में NBFCs ने अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करने के लिए लिक्विडिटी, कैपिटल और प्रोविजनिंग बफर्स पर फोकस किया है। यह, आर्थिक गतिविधियों में रीबाउंड और एसेट क्वालिटी के दबाव में कमी आने के साथ मिलकर, ग्रोथ के अवसरों को भुनाने के लिए इस सेक्टर को बेहतर स्थिति में ला दिया है। एसेट क्वालिटी मैट्रिक्स में सभी सेगमेंट में सुधार होगा। मार्च 2021 से मार्च 2022 तक, कुछ सेग्मेंट के लिए 90 से अधिक दिनों के पिछले ड्यू (dpd) में मामूली बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन रिस्ट्रक्चर्ड पोर्टफोलियो एक अधिक चिंता वाली बात थी. यह खाता अब काफी कम हो गया है और अधिकांश सेग्मेंट के लिए आउटस्टैंडिंग रिस्ट्रक्चर्ड पोर्टफोलियो अब ना के बराबर है.
NBFCs की ग्रोथ वापस लौटी
NBFCs ने पिछले कुछ वित्त वर्ष में कई चुनौतियों का सामना किया है – जिसमें महामारी ने स्थिति और खराब की, लेकिन वित्त वर्ष 2023 में ग्रोथ वापस लौटी है. अनुमान है कि टेल विंड्स जैसे आर्थिक गतिविधियों में सुधार, मजबूत बैलेंस शीट बफर्स और एसेट क्वालिटी को लेकर घट रही चिंताओं को गति जारी रखनी चाहिए. मार्च 2022 के अंत तक लगातार 3 वित्त वर्ष में सिंगल डिजिट ग्रोथ की तुलना में एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) के वित्त वर्ष 2024 में 13-14% बढ़ने की उम्मीद है.
2 प्रमुख रिस्क फैक्टर
यहां 2 प्रमुख रिस्क फैक्टर पर निगाह रखने की जरूरत है. पहला, बैंकों से तीव्र प्रतिस्पर्धा, विशेष रूप से ट्रेडिशनल रिटेल सेक्टर में, जैसे कि होम लोन और न्यू व्हीकल फाइनेंस. दूसरा, बढ़ती ब्याज दरों का माहौल, जो NBFCs के लिए उधार लेने में बढ़ती लागत में तब्दील हो रहा है. साथ ही कुछ एसेट क्लास में उनकी प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता को सीमित कर रहा है.
इस प्रतिस्पर्धी माहौल में, NBFCs पोर्टफोलियो स्ट्रैटेजी को फिर से मजबूत करने और नॉन-ट्रेडिशनल एसेट क्लास जैसे अनसिक्योर्ड लोन, माइक्रो, स्माल और मीडियम उद्यमों के लिए लोन, किफायती होम लोन और इस्तेमाल किए गए व्हीकल फाइनेंस पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिनके तेजी से बढ़ने की उम्मीद है.
सेगमेंट-फोकस्ड NBFCs को मिल सकता है बढ़ावा
जैसे-जैसे बड़े NBFCs नॉन-ट्रेडिशनल सेगमेंट की ओर मुड़ते हैं, पारस्परिक भागीदारी बढ़ सकती है, जिससे सेगमेंट-फोकस्ड NBFCs को बढ़ावा मिलता है, विशेष रूप से अनसिक्योर्ड लोन देने में. यह बड़े NBFCs को लागत-प्रभावी तरीके से नए सेगमेंट में प्रवेश करने की अनुमति देगा जबकि टाइम टु मार्केट को कम करेगा. उभरती NBFCs के लिए, यह कैपिटल-एफिशिएंट AUM ग्रोथ को सपोर्ट करेगा. AUM बढ़ाने के लिए बैंकों के साथ को-लेंडिंग एक और पसंदीदा मार्ग बना हुआ है, विशेष रूप से मध्यम आकार और उभरते NBFCs के लिए. फिलहाल जियो-पॉलिटिकल मुद्दों, ब्याज दरों में कोई भी तेज बढ़ोतरी और महंगाई पर नजर रहेगी. फंडिंग के माहौल पर हाल की वैश्विक घटनाओं का कोई प्रभाव भी एक महत्वपूर्ण निगरानी वाला विषय होगा.
(लेखक- कृष्णन सीतारमण, सीनियर डायरेक्टर एंड डिप्टी चीफ रेटिंग ऑफिसर, CRISIL रेटिंग)