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Adani Group: BSE, NSE ने अडानी ग्रुप शेयरों में गिरावट पर लिया बड़ा फैसला, बदल दी सर्किट फिल्‍टर की लिमिट

BSE और NSE ने Adani Total Gas, Adani Green Energy और Adani Transmission की लोअर सर्किट लिमिट घटा दी है.

Adani Group: BSE, NSE ने अडानी ग्रुप शेयरों में गिरावट पर लिया बड़ा फैसला, बदल दी सर्किट फिल्‍टर की लिमिट
Circuit Filter: सर्किट फिल्टर मार्केट रेगुलेटर की तरफ से बनाई गई प्राइस लिमिट होती है.

Lower Circuit Limits on Adani Group 3 Stocks: अडानी ग्रुप शेयरों में बिकवाली आज लगातार चौथे दिन भी जारी है. असल में फॉरेंसिक फाइनेशियल रिसर्च फर्म Hindenburg की ग्रुप शेयरों पर निगेटिव रिपोर्ट से सेंटीमेंट बहुत ज्‍यादा खराब हुआ है. इसे देखते हुए घरेलू स्‍टॉक एक्‍सचेंज BSE और NSE ने Adani Total Gas, Adani Green Energy और Adani Transmission की लोअर सर्किट लिमिट घटा दी है. इनमें यह लिमिट 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया है. यानी अब इनमें 10 फीसदी गिरावट पर ही लोअर सर्किट लग जाएगा. गौतम अडानी के शेयरों पर स्‍टॉक एक्‍सचेंज ने यह फैसला निवेशकों को ज्‍यादा नुकसान से बचाने के लिए किया है.

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आज के लिए क्‍या है सर्किट लिमिट

Adani Transmission में सर्किट फिल्‍टर रिवाइज करने के बाद आज अपर सर्किट लिमिट BSE पर 1881 रुपये और लोअर सर्किट लिमिट 1539 रुपये पर होगी. Adani Transmission सोमवार को 15 फीसदी गिरकर 1693 रुपये पर बंद हुआ था.

Adani Green Energy में सर्किट फिल्‍टर रिवाइज करने के बाद आज अपर सर्किट लिमिट BSE पर 1306.45 रुपये और लोअर सर्किट लिमिट 1069 रुपये पर होगी. Adani Green Energy का शेयर सोमवार को 1188 रुपये पर बंद हुआ था.

Adani Total Gas में सर्किट फिल्‍टर रिवाइज करने के बाद आज अपर सर्किट लिमिट BSE पर 2582 रुपये और लोअर सर्किट लिमिट 2113 रुपये पर होगी. Adani Total Gas का शेयर सोमवार को 2348 रुपये पर बंद हुआ था.

क्या होता है सर्किट फिल्टर

यह मार्केट रेगुलेटर की तरफ से बनाई गई प्राइस लिमिट होती है. इससे यह तय होता है कि कोई शेयर कितना ऊपर या नीचे जा सकते हैं. जब भी किसी शेयर में तय लिमिट से ज्यादा तेजी या गिरावट आती है, उस शेयर में ट्रेडिंग बंद हो जाती है. मसलन अबर किसी शेयर का भाव 100 रुपये है और उसमें सर्किट फिल्टर 10 फीसदी है तो 110 रुपये के भाव पर जाते ही उस शेयर में ट्रेडिंग रोक दी जाती है. इसी तरह से लोअर लिमिट पर भी ट्रेडिंग रुक जाती है. इनमें फिल्टर 10 फीसदी, 15 फीसदी और 20 फीसदी की तेजी या गिरावट पर लगता है. इसके बाद कूलिंग ऑफ पीरियड होता है.

यह स्‍टॉक एक्‍सचेंज के लिए भी होता है. सर्किट लिमिट से ही तय होता है कि एनएसई या बीएसई के निफ्टी और सेंसेक्स जैसे इंडेक्स एक दिन में कितना ऊपर-नीचे जा सकते हैं.

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सर्किट फिल्टर का क्या है उद्देश्य

सर्किट फिल्टर का उद्देश्य खासतौर से बाजार में बड़ी उठापठक को रोकना है. वोलैटिलिटी के समय इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है. सर्किट फिल्टर बाजार के भागीदारों को संभलने का वक्त देता है. इससे किसी शेयर या एक्सजेंस में बड़ी तेजी या बड़ी गिरावट को रोका जाता है. इसे ऐसे समझ सकते हें कि अगर किसी पार्टिकुलर कंपनी के बारे में ट्रेडिंग आवर के समय कोई बड़ी निगेटिव खबर आती है तो उस कंपनी के शेयर में भारी गिरावट आ सकती है. लेकिन सर्किट फिल्टर होने से वह तय लिमिट में ही कमजोर हो सकता है.

10 फीसदी सर्किट: अगर 10 फीसदी की तेजी या गिरावट 1 बजे से पहले आती है, जो बाजार में एक घंटे के लिए कारोबार रोक दिया जाता है. 45 मिनट बाद 15 मिनट के प्री ओपन सेशन के बाद कारोबार दोबारा शुरू होता है. वहीं, 1 बजे के बाद ऐसा होता है तो कारोबार 30 मिनट के लिए रुख जाता है. 2.30 बजे के बाद 10 फीसदी का सर्किट लगने पर कारोबार जारी रहता है.

15 फीसदी सर्किट: अगर इंडेक्स में 15 फीसदी का सर्किट 1 बजे से पहले आती है, तो बाजार में 2 घंटे के लिए कारोबार रोक दिया जाता है. दोपहर 1 बजे के बाद 15 फीसदी गिरावट आने पर एक घंटे के लिए कारोबार रुकता है. लेकिन 2.30 बजे के बाद 15 फीसदी का सर्किट लगे तो कारोबार जारी रहता है.

20 फीसदी का सर्किट: अगर सेंसेक्स या निफ्टी में 20 फीसदी का सर्किट लगे तो उस दिन शुरू नहीं किया जाता है. बाजार उस दिन के लिए बंद हो जाता है और अगले ही दिन उसमें ट्रेडिंग शुरू की जाती है.

First published on: 31-01-2023 at 11:14 IST

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