AGR Dues of Vodafone Idea to be converted into equity : टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया पर सरकार के हजारों करोड़ रुपये के एजीआर देनदारी (AGR Dues) का बोझ खत्म करने का रास्ता अब साफ हो गया है. सेबी ने इस बकाया रकम को इक्विटी में बदलने के सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. यह खबर न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से दी है. ऐसा हुआ तो आर्थिक संकट से जूझ रही वोडाफोन आइडिया को भारी राहत मिलेगी. देश की प्रमुख टेलिकॉम कंपनियों में वोडाफोन आइडिया पर ही AGR के तौर पर सबसे ज्यादा देनदारी है.
30% से ज्यादा हो जाएगी सरकारी हिस्सेदारी
वोडाफोन आइडिया की बकाया देनदारी को इक्विटी में तब्दील करने पर कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 30 फीसदी से ज्यादा हो जाएगी, जिससे भारत सरकार इस कंपनी के सबसे बड़े शेयरधारकों में शामिल हो जाएगी. ब्रिटेन का वोडाफोन ग्रुप और भारत का आदित्य बिरला समूह फिलहाल वोडाफोन आइडिया के प्रमुख शेयरहोल्डर हैं. सूत्रों का यह भी कहना है कि वोडाफोन आइडिया की वित्तीय हालत में सुधार होने और उसके मुनाफे में आने के बाद ही भारत सरकार उसमें अपनी हिस्सेदारी बेचने पर विचार करेगी.
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15,890 करोड़ रुपये की देनदारी इक्विटी में बदलेगी
एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार ने वोडाफोन आइडिया पर एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) के तौर पर बकाया 1.92 अरब डॉलर यानी करीब 15,890 करोड़ रुपये की रकम को इक्विटी में बदलने का प्रस्ताव दिया था, जिसे सेबी ने मंजूरी दे दी है.पिछले साल भारत सरकार ने टेलिकॉम कंपनियों को उबारने के लिए एजीआर के तौर पर उनकी भारी-भरकम देनदारी से जुड़ी ब्याज की रकम को इक्विटी में बदलने का प्रस्ताव दिया था. सरकार की इस पेशकश को वोडाफोन आइडिया के लिए बेलआउट पैकेज के तौर पर देखा जा रहा था, क्योंकि देश की बाकी दोनों प्रमुख टेलिकॉम कंपनियों – रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के मुकाबले उस पर सरकारी बकाये का बोझ सबसे अधिक है.
पब्लिक शेयरहोल्डिंग मानी जाएगी सरकारी इक्विटी
सूत्रों के मुताबिक सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने फाइनेंशियल इनवेस्टर यानी वित्तीय निवेशक के तौर पर इक्विटी हासिल करने के भारत सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. सेबी के इस फैसले की जानकारी टेलिकॉम मंत्रालय को भी दी जा चुकी है. सेबी ने वोडाफोन आइडिया में भारत सरकार की हिस्सेदारी को पब्लिक शेयरहोल्डिंग के तौर पर क्लासिफाई करने का अनुरोध भी मान लिया है. मौजूदा गाइडलान्स के तहत किसी कंपनी में अधिकतम 10 फीसदी हिस्सेदारी को ही पब्लिक शेयरहोल्डिंग के रूप में क्लासिफाई किया जा सकता है. एजेंसी के मुताबिक वित्त और टेलिकॉम मंत्रालय, सेबी या वोडाफोन आइडिया ने इस बारे में पूछे गए सवालों का अब तक कोई जवाब नहीं दिया है.