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RBI Policy Impact: आरबीआई ने रेट हाइक पर सिर्फ लगाया पॉज, फिर बढ़ सकते हैं रेट, निवेशकों के लिए क्या हैं इसके मायने?

RBI MPC Decision Impact: रिजर्व बैंक के गवर्नर ने यह साफ किया है कि इस बार प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन यह कदम कोई स्थायी नहीं है.

RBI Policy Impact
RBI Policy: रिजर्व बैंक ने वित्‍त वर्ष 2024 की मॉनेटरी पॉलिसी में चौंकाने वाला फैसला लिया है.

RBI MPC Decision Impact: रिजर्व बैंक ने वित्‍त वर्ष 2024 की मॉनेटरी पॉलिसी में चौंकाने वाला फैसला लेते हुए रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है. जबकि बाजार को ऐसी उम्‍मीद थी कि दरों में कम से कम 25 बेसिस प्‍वॉइंट का इजाफा होगा. वहीं यह इस रेट हाइक साइकिल की अंतिम बढ़ोतरी होगी. लेकिन आरबीआई ने ऐसा नहीं किया. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी साफ किया है कि इस बार प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन यह कदम कोई स्थायी नहीं है. भविष्य में ब्याज दर के मोर्चे पर जरूरत के लिहाज से कदम उठाए जाएंगे. यानी रेट हाइक किए जाने की आशंका बनी हुई है. रिजर्व बैंक गवर्नर ने ऐसे कोई संकेत नहीं दिए हैं कि आगे रेट हाइक साइकिल का अंत होगा. ऐसे में आम आदमी के मन में बाजार, इकोनॉमी और निवेश को लेकर कनफ्यूजन बना हुआ है.

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बाजार में आ सकती है शॉर्ट टर्म रैली

Mastertrust के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, पलका अरोड़ा चोपड़ा का कहना है कि RBI पॉलिसी से बाजार को शॉर्ट टर्म में राहत मिलेगी. हालांकि महंगाई पर नजर बनी रहेगी. FY24 में महंगाई 5.2% फीसदी रहने का अनुमान है. फिलहाल बाजार में निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है. टेक्निकली निफ्टी और बैंक निफ्टी के लिए 17730 और 41350 के लेवल पर रेजिस्‍टेंस है. अगर ये लेवल ब्रेक होता है तो दोनों इंडेक्‍स 17850 और 41700 की ओर शॉर्ट टर्म में मूव कर सकते हैं. नीचे की ओर दोनों इंडेक्‍स को 17500 और 40750 के लेवल पर सपोर्ट है. यहां से नीचे जाने पर निवेशक गिरावट पर खरीदारी कर सकते हैं.

ड्यूरेशन फंड कर सकते हैं बेहतर प्रदर्शन

मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के सीआईओ, फिक्‍स्‍ड इनकम, महेंद्र जाजू का कहना है कि आरबीआई का यह कदम मार्केट पार्टिसिपेंट के लिए एक सुखद आश्चर्य साबित हुआ, जहां पहले यह उम्मीद की जा रही थी कि ब्याज दरों में 25 बीपीएस की बढ़ोतरी हो सकगती है. पॉलिसी की घोषणा के तुरंत बाद बॉन्ड यील्ड में लगभग 10 बीपीएस की कमी से ट्रेडर्स खुश हैं. वित्त वर्ष 2024 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान को 10 बीपीएस बढ़ाकर 6.4 फीसदी से 6.5 फीसदी कर दिया गया है और महंगाई के अनुमान को 10 बीपीएस घटाकर 5.3 फीसदी से 5.2 फीसदी कर दिया गया है. इस बात पर जोर दिया गया कि रेट हाइक पर पॉज का निर्णय सिर्फ इस नीतिगत बैठक के लिए लागू है और भविष्य की कार्रवाई उस समय की स्थिति पर निर्भर करेगी. हाल के उच्च स्तर से पहले ही 25-30 बीपीएस नीचे आने के बाद, बॉन्ड यील्ड के दायरे में रहने की संभावना है. आने वाले महीनों में ड्यूरेशन फंडों के बेहतर प्रदर्शन दिखाने की उम्मीद है.

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7.10-7.25% दायरे में रहेगी 10 साल के बॉन्‍ड की यील्‍ड

प्रशांत पिंपले, चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर , फिक्स्ड इनकम , बीएनपी परिबा म्यूचुअल फंड का कहना है कि आरबीआई ने मौजूदा फाइनेंशियल ईयर की पहली मॉनेटरी पॉलिसी में रेट हाइक पर पॉज लगा दिया है, जो अनुमान के मुताबिक है. हालांकि बाजार का अनुमान था कि इस बार ब्याज दरों में 25 बीपीएस की बढ़ोतरी के साथ मौजूदा रेट हाइक साइकिल का अंत हो सकता है. हम आरबीआई के इस कदम को फूड इनफ्लेशन के साथ-साथ ऊर्जा की कीमतों पर सतर्क आउटलुक मानते हुए एक लंबे ठहराव की दिशा में उठाया गया कदम मान रहे हैं, जिनके चलते ओवरआल महंगाई पर असर पड़ रहा है. MPC ने वित्त वर्ष 2024 के लिए GPP को 6.40 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया और वित्त वर्ष 2024 के लिए महंगाई के आउटलुक को 5.30 फीसदी से घटाकर 5.20 फीसदी कर दिया है. इसके अलावा, पिछले 3 महीनों में CAD में सुधार अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है. यील्ड कर्व के टर्मिनल रेट पर अधिक निश्चितता के साथ आगे बढ़ने की उम्मीद है. हमें उम्मीद है कि 10 साल के बॉन्ड की यील्ड निकट अवधि में 7.10-7.25 के दायरे में रह सकती है.

रियल एस्‍टेट के लिए पॉजिटिव कदम

Knight Frank India के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्‍टर शिशिर बैजल का कहना है कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट को पॉज करने का फैसला पॉजिटिव है. अर्थव्यवस्था में कंज्‍यूमर इनफ्लेशन आरबीआई की 6 फीसदी की ऊपरी सीमा के पार बनी हुई है और ओपेक देशों और रूस द्वारा हाल ही में कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के बाद अगले कुछ महीनों में स्थिर रहने की संभावना है. ऐसी घटनाओं से महंगाई पर जो असर पड़ता है, वह केंद्रीय बैंकों के नियंत्रण से बाहर है. महंगाई के साथ रेपो रेट या लेंडिंग रेट में कोई और बढ़ोतरी कंज्‍यूमर्स की खर्च करने की क्षमता को कम कर सकती है जो बदले में भारत की आर्थिक ग्रोथ को भी कम कर सकती है. इसलिए, आरबीआई द्वारा अपने रेट हाइकिल साइकिल को रोकने का निर्णय आर्थिक विकास के लिए सहायक है.

FY24 में भारत की अर्थव्यवस्था 6.5% की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो ग्‍लोबल वित्तीय बाजार में चल रही अस्थिरता और आर्थिक मंदी की चिंताओं के बीच अर्थव्यवस्था के लिए एक आशावादी आउटलुक है. रियल एस्टेट बाजार के नजरिए से, इस सेक्टर ने कई होम लोन की ब्याज दर में 6.5% के लो लेवल से 8.75% तक की बढ़ोतरी देखी है. ऐसे में रेट बढ़ने से इस सेक्‍टर को नुकसान हो सकता है.

ग्रोथ को सपोर्ट करने वाला कदम

अजमेरा रियल्‍टी एंड इंफ्रा इंडिया के सीएफओ नितिन बाविसी का कहना है कि रेपो दर में न बदलाव करने का फैसला कर रिजर्व बैंक ने चौंकाया है, हालांकि यह पॉजिटिव है. इस कदम का सबसे ज्‍यादा फायदा रियल एस्टेट सेक्‍टर को होगा. इसके पहले केंद्रीय बैंक ने मई 2022 से लगातार 6 बार दरों में 2.50 फीसदी बढ़ोतरी की है. चिंता है कि यह कदम अर्थव्यवस्था और विकास को प्रभावित कर रहा था. वर्तमान सेटअप को देखते हुए, हम महंगाई बढ़ने की उम्मीद करते हैं. महंगाई आरबीआई की प्राथमिक चिंता है, इसलिए रेपो रेट की जांच जारी रहेगी. वहीं आर्थिक गतिविधि पिछले वित्त वर्ष की तरह 7% की दर से बढ़ने की उम्‍मीद है. ऐसे में दरों में नरमी ग्रोथ को सपोर्ट कर सकती है.

First published on: 06-04-2023 at 16:22 IST

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