Reliance News: एशिया के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) का अगला लक्ष्य आधी दरों पर जीरो-एमिशन फ्यूल उत्पादन का है. मुकेश अंबानी के नेतृत्व में रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) ने दुनिया की सबसे बड़ी ब्लू हाइड्रोजन प्रोड्यूसर में शुमार होने का लक्ष्य रखा है. रिलायंस के पास दुनिया की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी कांप्लेक्स है और अब यह 30 हजार करोड़ रुपये के प्लांट का उपयोग पेट्रोलियम कोक से सिंथेसिस गैस की बजाय ब्लू हाइड्रोजन बनाने में करेगी. इसकी लागत करीब 1.2-1.5 अमेरिकी डॉलर प्रति किग्रा (90.77-113.46 रुपये) पड़ेगी जो वैश्विक औसत का करीब आधा है.
मौजूदा दौर में सबसे साफ ईंधन है हाइड्रोजन
- हाइड्रोजन मौजूदा दौर का सबसे स्वच्छ ईंधन है. इसे किस तरीके से तैयार किया गया, उसके आधार पर यह ग्रे, ब्लू या ग्रीन हो सकता है.
- इनमें सबसे आम ग्रे हाइड्रोजन है और इसे ‘स्टीम रिफॉर्मिंग’ प्रक्रिया के जरिए प्राकृतिक गैस या मेथेन से तैयार किया जाता है.
- जब स्टीम रिफॉर्मिंग से निकले कॉर्बन को सोखकर फिर स्टोर किया जाता है तो जो हाइड्रोजन जेनेरेट होता है, उसे ब्लू लेबल दिया जाता है. ब्लू हाइड्रोजन को कभी-कभी कॉर्बन नेचुरल कहते हैं क्योंकि इसमें कॉर्बन उत्सर्जित होकर वातावरण में नहीं घुलता है.
- ग्रीन हाइड्रोजन को क्लीन हाइड्रोजन भी कहते हैं और इसे सौर या पवन ऊर्जा जैसे रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स से क्लीन एनर्जी का इस्तेमाल करते हुए तैयार किया जाता है. इसमें इलेक्ट्रोलिसिस के जरिए पानी को हाइड्रोजन के दो एटम और एक ऑक्सीजन एटम में तोड़ा जाता है.
2035 तक नेट-जीरो कॉर्बन एमिशन का है लक्ष्य
रिलायंस ने अपने कारोबार के लिए वर्ष 2035 तक नेट-जीरो कॉर्बन एमिशन का लक्ष्य रखा है. कॉर्बन फुटप्रिंट कम करने के लिए रिलायंस के फ्रेमवर्क में फॉसिल एनर्जी (जीवाश्म ऊर्जा) से रिन्यूएबल्स की तरफ माइग्रेट होना, अपने पोर्टफोलियो में टिकाऊ मैटेरियल्स व केमिकल्स को बढ़ाना और कॉर्बन के फिक्सेशन, कैप्चर व यूटिलाइजेशन शामिल है.
(इनपुट: पीटीआई)