July 2022 Stock Market Outlook: शेयर बाजार में इस साल के शुरू से ही सेलिंग प्रेशर देखने को मिला है. हाल के कुछ महीनों में बढ़ रही महंगाई ने परेशानी और बढ़ा दी है. महंगाई ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ाया है. कई साल के पीक पर पहुंच चुकी महंगाई को कंट्रोल करने के लिए सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में एग्रेसिव तरीके से बढ़ोतरी कर रहे हैं. महंगाई और बढ़ रहे ब्याज दरों के दौर में कंपनियों के मुनाफे पर भी असर पड़ रहा है और आगे अर्निंग कमजोर रहने का अनुमान है. ऐसे में दुनियाभर में मंदी की आशंका बढ़ गई है. ऐसे में निवेशकों के मन में बहुत से कनफ्यूजन हैं. हमने इस बारे में PGIM India म्यूचुअल फंड के इक्विटी हेड, अनिरुद्ध नाहा से बात चीत की है.
Q 1. शेयर बाजार पर इस साल दबाव बना हुआ है. क्या आप उम्मीद करते हैं कि बाजार में मौजूदा गिरावट लंबे समय तक बनी रहेगी?
बाजार में अच्छा खासा करेक्शन देखने को मिला है. रेट हाइक साइकिल के दौर में कंपनियों की अर्निंग में गिरावट एक बड़ी चिंता है. अर्निंग के सपोर्ट के बिना यह बहुत मुश्किल है कि वैल्यूएशन में विस्तार होगा. कच्चे माल की कीमतें ऊंची बनी होने से कंपनियों के मार्जिन और मुनाफे पर पड़ेगा, इनकम ग्रोथ कमजोर रह सकती है. हाल फिलहाल में कच्चे माल की कीमतों में नरमी आ रही है, जो कंपनियों के लिए इन्वेंट्री लॉस का एक कारण बन सकता है. महंगाई के चलते बाजारों में अनिश्चितता है. इन सबकों देखते हुए निकट अवधि में बाजार में कमजोरी बनी रह सकती है. पॉजिटिव यह है कि भारत एक कमोडिटी और एनर्जी कंज्यूमर है और इनकी कीमतों में आ रही गिरावट लंबी अवधि में फायदेमंद होनी चाहिए. क्योंकि इससे महंगाई को कम करने में मदद मिलेगी.
Q 2. महंगाई की वजह से कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव है. ग्लोबल स्तर पर लंबे समय तक मंदी की संभावना कितनी वास्तविक दिख रही है?
ग्लोबल लेवल पर महंगाई और बढ़ने के डर और इसकी वजह से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के चलते मंदी की आशंकाएं बनी हैं. इस वजह से कमोडिटी और एनर्जी की कीमतों में गिरावट आने लगी है. सेंट्रल बैंक महंगाई कंट्रोल करने के लिए ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं, जो डिमांड की बजाय सप्लाई साइड से संचालित है. यूरोप विशेष रूप से कमजोर है और अमेरिका में यील्ड कर्व का फ्लैट होना भी नियर टर्म में मंदी का संकेत दे रहा है. यूरोप की बात करें दक्षिण में स्थित देशों पर भारी कर्ज है, मौजूदा हालात में जब अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती नजर आ रही है, उनके कर्ज चुकाने की क्षमता पर सवाल उठ सकते हैं. हालांकि अभी यह अनुमान लगाना बहुत मुश्किल होगा कि क्या मंदी आएगी. मंदी आती भी है, तो यह कम दिनों की होगी.
Q 3. क्या मौजूदा हालात को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि कंपनियों की आय में गिरावट बढ़ेगी?
कच्चे माल और एनर्जी की कीमतों में अच्छी खासी बढ़ोतरी को देखते हुए इस बात में संदेह बिल्कुल नहीं है कि कंपनियों की मार्जिन पर दबाव रहेगा, जो प्रॉफिटेबिलिटी को प्रभावित कर सकती है. मंदी की की आशंकाओं ने पहले ही कमोडिटीज को प्रभावित करना शुरू कर दिया है और उनकी कीमतों में तेज गिरावट आई है. कमोडिटी की कीमतों में गिरावट से कंपनियों को इन्वेंट्री लॉस हो सकता है. किसे कितना नुकसान होता है, यह सेक्टर और कंपनी पर निर्भर करता है.
Q 4. अगर निवेश करने की बात करें तो अभी कौन सी थीम या सेक्टर बेहतर विकल्प हो सकते हैं.?
अगर निवेशक का नजरिया 3 साल या इससे अधिक की अवधि के लिए बाजार में पैसे लगाने का है तो हम भारतीय इक्विटी पर पॉजिटिव हैं. भारत को अगले 3 साल में इन्वेस्टमेंट साइकिल से लाभ मिलता रहेगा, ऐसे में कैपिटल और इंडस्ट्रियल गुड्स एक ऐसा सेक्टर है, जहां मजबूत ग्रोथ की संभावना दिख रही है. कमोडिटी और एनर्जी की कीमतों में करेक्शन के चलते इन्वेंट्री लॉस की वजह से नियर टर्म में कुछ दबाव रह सकता है. लेकिन यह मिड से लॉन्ग टर्म में कॉरपोरेट इंडिया के लिए पॉजिटिव है. आगे कमोडिटीज और एनर्जी की कीमतों में और नरमी आने की उम्मीद है, यह ऑटो और ऑटो एंसिलरी और सीमेंट सेक्टर के लिए पॉजिटिव है. इन सेक्टर को इंफ्रा और हाउसिंग एक्टिविटी बढ़ने का भी लाभ मिलेगा.
Q 5. बाजार में गिरावट का खामियाजा मिडकैप और स्मालकैप को भी भुगतना पड़ा है. अलग-अलग मिड और स्मॉल कैप फंडों को आप कैसे नेविगेट कर रहे हैं?
बाजार की गिरावट में मिड और स्मॉल कैप में अधिक अस्थिरता देखने को मिलती है, जो NAV को अधिक प्रभावित करते हैं. पोर्टफोलियो बनाने के लिए ऐसे हालात पॉजिटिव होते है, क्योंकि वे लंबे समय तक लचीला पोर्टफोलियो बनाने का मौका देते हैं. बाजार में गिरावट निवेशकों को अलग अलग बिजनेस की स्टडी करने, चैनल की जांच करने और अधिक फ्लेक्सिबल विकल्पों का पता लगाने और बेहतर वैल्यूएशन वाली अच्छी कंपनियों में पोजीशन बनाने का एक शानदार अवसर है. यह अगले फेज में रीबाउंड और ग्रोथ में मदद करता है.
Q 6. अस्थिरता से निपटने के लिए पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड कैसा विकल्प है?
पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड निवेशकों के लिए लंबी अवधि के लिए इक्विटी में पैसा लगाने और रिस्क एडजस्टेड रिटर्न पाने का एक स्मार्ट तरीका उपलब्ध कराता है. पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड का मॉडल और स्ट्रक्चर इस तरह से डिजाइन है कि यह एसेट अलोकेशन अप्रोच का बढ़ावा देता है. फंड में हम जिस मॉडल का पालन करते हैं, वह डायनमिक वैरिएशन बेस्ड मॉडल के साथ-साथ पी/ई रेश्यो के एक फंडामेंटल इंडिकेटर पर काम करता है. समय के साथ इस तरह का मॉडल इक्विटी लेवल को एडजस्ट करने, अस्थिरता से निपटने और जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है.
Q 7. पीजीआईएम इंडिया फ्लेक्सी कैप फंड अभी आउटपरफॉर्मेंस के दौर से बाहर आया है. इस फेज से निपटने के लिए क्या स्ट्रैटेजी है?
पीजीआईएम इंडिया फ्लेक्सी कैप फंड ने उचित मूल्य पर अर्निंग विजिबिलिटी के साथ अच्छे बिजनेस खरीदने पर फोकस किया है. बाजारों में गिरावट को देखते हुए, यह अच्छे बिजनेस का पुनर्मूल्यांकन करने और लंबी अवधि के लिए उन्हें उचित वैल्युएशन पर खरीदने का मौका देता है. हम मिडकैप और स्मॉलकैप में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं, क्योंकि इनमें अधिक गिरावट देखने को मिली है, जिसके बाद वैल्यूएशन आकर्षक हुआ है.