एक ओर जहां खाने पीने की चीजों के दाम बढ़ रहे हैं, हल्दी ने राहत दी है. बाजार में आवक बढ़ने से हल्दी के दाम गिर रहे हैं. अभी हल्दी का हाजिर भाव घटकर 6600 रुपये पर आ गया है. कमोडिटी मार्केट के जानकारों के मुताबिक कुछ जगहों पर हल्दी की नई फसल आनी शुरू आ गई है. वहीं, स्टॉकिस्ट भी अब अपना स्टॉक निकाल रहे हैं. जिससे कीमतों में गिरावट आई है. NCDEX पर 20 नवंबर का वायदा भाव 5698 रुपये पर आ गया है. वही, 18 दिसंबर का वायदा भाव 5706 रुपये है. जबकि पहले अनुमान लगाया जा रहा था कि नवंबर में हल्दी में तेजी आएगी. पिछले महीने हल्दी में जारदार तेजी रही थी.
खाली हो रहा है स्टॉक
मराठावाड़ा के एक कारोबारी के मुताबिक हल्दी के भाव इस समय इसलिए गिर रहे हैं क्योंकि स्टॉकिस्ट्स अपना स्टॉक लिक्विडेट कर रहे हैं. वे लिक्विडेट इसलिए कर रहे हैं क्योंकि जल्द ही इसकी फसल आने वाली है और कुछ जगह आनी शुरू भी हो गई है. इसके अलावा पिछले तीन-चार साल से इसकी सही कीमत नहीं मिली तो लोग कारोबारी अगली फसल पूरी तरह बाजार में आने से पहले इसका स्टॉक खाली कर रहे हैं. उनका मानना है कि अभी एक-दो महीने में 10 रुपये प्रति किलो की तेजी देखने को मिल सकती है. वायदा कारोबार की बात करें तो एंजेल ब्रोकिंग के वॉइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी रिसर्च) अनुज गुप्ता के मुताबिक इसके प्राइस में अगले साल ही तेजी दिख सकती है और यह 6500 तक का स्तर दिखा सकता है.
पिछले दिनों क्यों बढ़े थे हल्दी के भाव
कोरोना ने बढ़ाए थे भाव: हल्दी इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर भी इस्तेमाल होता है. ऐसे में कोरोना महामारी के कारण इसके भाव में तेजी आई थी क्योंकि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हल्दी का इस्तेमाल बढ़ गया. इसके अलावा कोरोना महामारी के कारण जो लॉकडाउन लगाया गया था, उसे हटाए जाने के बाद इसकी खपत तेजी से बढ़ी थी. क्योंकि अब होटल, रेस्टोरेंट भी खुलने लगे. इसके अलावा यूरोप, अमेरिका और मिडिल ईस्ट को हल्दी निर्यात की जाती है. लॉकडाउन खुलने के बाद तेजी से निर्यात बढ़ा था, जिसके कारण इसके भाव बढ़े थे.
बारिश के कारण फसल प्रभावित: भारत दुनिया भर में हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है. दुनिया भर में सालाना 11 लाख टन हल्दी का उत्पादन होता है जिसमें से 80 फीसदी भारत में होता है. इसके बाद चीन में 8 फीसदी हल्दी का उत्पादन होता है. 2019-20 में देश में 9,38,955 टन हल्दी का उत्पादन हुआ था. देश में सबसे अधिक हल्दी तेलंगाना में होता है जहां बाढ़ आने के कारण हल्दी की फसल प्रभावित हुई है. इसके अलावा ओडिसा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, असम, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में हल्दी का उत्पादन होता है.
बुवाई क्षेत्र में गिरावट: तेलंगाना में 2020-21 में 0.41 लाख हेक्टेअर में हल्दी की खेती हुई जो पिछले साल के मुकाबले बहुत कम है. पिछले साल 2019-20 में 0.55 लाख हेक्टेअर में हल्दी की खेती हुई थी. केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक हल्दी के बुवाई क्षेत्र में गिरावट की मुख्य वजह इसका सही दाम न मिल पाना है. पिछले तीन से चार वर्षों में हल्दी की अच्छी कीमत न मिलने के कारण कई किसान सोयाबीन और कॉटन की तरफ शिफ्ट हुए हैं. देश में हल्दी के बुवाई क्षेत्र का चौथाई हिस्सा तेलंगाना में है. ये आंकड़े प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना स्टेट एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी हैदराबाद की वेबसाइट से लिए गए हैं.
हल्दी के उत्पादन में किसानों को एक एकड़ खेत में करीब 1.5 लाख रुपये खर्च करना होता है और उससे 22-24 कुंतल की फसल निकलती है. ऐसे में ब्रेक-इवन प्राइस 7 हजार रुपये प्रति कुंतल बैठती है. ब्रेक-इवन प्राइस का मतलब है न कोई लाभ और न कोई हानि, ऐसी कीमत. आंध्र प्रदेश सरकार ने इसकी एमएसपी 6550 रुपये प्रति कुंतल तय किया हुआ है. इसके हिसाब से समझा जा सकता है कि किसान क्यों इस फसल से शिफ्ट हो रहे हैं. इस वजह से हल्दी के बुवाई क्षेत्र में गिरावट आई है.