Stock Market After Union Budget 2022: पिछले साल 1 फरवरी 2022 को जब बजट पेश हुआ तो बाजार ने इसका स्वगत किया. बजट डे पर सेंसेक्स और निफ्टी में जेारदार रैली रही.सेंसेक्स करीब 850 अंक बढ़ गया. वहीं निफ्टी 237 अंक मजबूत हुआ. बजट के बाद से बाजार को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद थी, लेकिन फरवरी महीने में ही रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ गया, जिससे पूरा का पूरा सेंटीमेंट बिगड़ गया. इस युद्ध के चलते महंगाई आसामान पर पहुंच गई, सप्लाई चेन टूट गया. इसका असर दुनिया की तकरीबन हर अर्थव्यवस्था पर पड़ा. इसी के साथ बाजार के टूटने का सिलसिला शुरू हुआ जो सितंबर और मिड अक्टूबर तक जारी रहा. बाजार में अनिश्चितताएं अभी भी बनी हुई हैं.
बता दें कि बजट डे पर सेंसेक्स 848 अंकों की बढ़त के साथ 58,862.57 के लेवल पर बंद हुआ. जबकि निफ्टी 237 अंकों की तेजी के साथ 17,577 पर बंद हुआ. बीते शुक्रवार को सेंसेक्स 60261 पर बंद हुआ था. जबकि निफ्टी 17957 पर बंद हुआ था. इस लिहाज से बजट के बाद से ओवरआल बाजार का रिटर्न करीब 2.5 फीसदी रहा है. इस दौरान बाजार में कई घटनाएं हावी रहीं.
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बजट 2022 के बाद बाजार के लिए बेस्ट दिन
साल 2022 में शेयर बाजार में पूरे साल स्टॉक उतार चढ़ाव देखने को मिला है. बजट 2022 के बाद सेंसेक्स के लिए सबसे अच्छा दिन 15 फरवरी था और इसमें 1736 अंकों की बढ़त रही. जबकि रूस और यूक्रेन वार के चलते 24 फरवरी सबसे खराब दिन था, जब यह 2702 अंक टूट गया. 2022 में ऐसा 14 बार हुआ जब सेंसेक्स में 1000 अंकों से ज्यादा तेजी आई. वहीं 14 बार ही सेंसेक्स 1000 अंकों से ज्यादा कमजोर हुआ.
रूस और यूक्रेन युद्ध
24 फरवरी को रूस ने पड़ोसी देश यूक्रेन पर अटैक कर दिया. इससे एग्री प्रोडक्ट के साथ कई जरूरी कमोडिटी की कीमतें आसमान पर पहुंच गई. सप्लाई चेन टूटने से ग्लोबल इकोनॉमी को बड़ा झटका लगा. फिलहाल इसके चलते जून 2022 में सेंसेक्स और निफ्टी 1 साल के लो पर पहुंच गए.
सेंसेक्स 17 जून 2022 को यह 1 साल के लो 50921 पर आ गया था. वहीं 1 दिसंबर 2022 को सेंसेक्स ने 63583 का लेवल टच किया जो 1 साल का हाई है.
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दुनियाभर में महंगाई की मार
रूस ने जब यूक्रेन पर अटैक किया, उसके बाद से महंगाई बढ़ती गई. सप्लाई चेन टूटने से कमोडिटी की कीमतों में जबरदस्त तेजी आई. अमेरिका ने 4 दशक में सबसे ज्यादा महंगाई देखी. इस दौरान अमेरिका में महंगाई की दर 9 फीसदी और भारत में 6-7 फीसदी के बीच रही. यूरोपीय देशों का हाल भी बेहाल हुआ.
मंदी की आशंका
साल 2022 के दूसरी तिमाही से ही रूस और यूक्रेन युद्ध और महंगाई के चलते मंदी की आशंका बनी हुई है. इसी वजह से शेयर बाजारों में वोलैटिलिटी भी हावी है. बाजार मे तेजी आ भी रही है तो बिकवाली आ जा रही है. यह चिंता अभी भी है और बाजार में गिरावट की आशंका से इनकार नहीं किया जा रहा है.
कर्ज लगातार हुआ महंगा
महंगाई कंट्रोल करने के लिए रिजर्व बैंक ने बजट के बाद से साल 2022 में 5 बार रेपो रेट बढ़ाया है. इस दौरान कुल बढ़ोतरी 2.25 फीसदी हुई और रेपो रेट 6.25 फीसदी हो गया है. 2022 में पहली बार आरबीआई ने मई महीने में रेपो रेट में 0.40 फीसदी का इजाफा किया था. जून, अगस्त और सितंबर में रेपो रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा किया गया. जबकि दिसंबर में 0.35 फीसदी का इजाफा हुआ.
FII ने जमकर की बिकवाली
यूएस फेड और अन्य सेंट्रल बैंकों द्वारा सख्त मॉनेटरी पॉलिसी के चलते FIIs सतर्क रहे. उन्होंने बाजारों से पैसा निकाला. भारतीय बाजारों से विदेशी निवेशकों ने साल 2022 में 2.78 लाख करोड़ निकाल लिए. जबकि घरेलू निवेशकों यानी DIIs ने 2.76 लाख करोड़ के शेयर खरीदे. घरेलू लेवल पर मई 2022 से मॉनेटरी पॉलिसी में सख्ती देखने को मिली.
कोरोना वायरस का रहा असर
साल 2022 की शुरूआत में कोरोना का ओमिक्रॉन वायरस के चलते बाजार सतर्क रहा. वहीं साल के अंत में इसके नए वेरिएंट BF.7 ने चिंता बढ़ा दी. दोनों वेब का शॉर्ट टर्म असर शेयर बाजारों पर पड़ा.