अंतराराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें इस समय 6 महीने के सबसे निचले स्तर पर हैं. ऑयल की कीमतों में आई इस गिरावट की वजह से करीब 6 महीने बाद भारतीय ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को कुछ राहत मिली है. उन्हें अब पेट्रोल की बिक्री पर घाटा नहीं उठाना पड़ रहा है. लेकिन डीजल की बिक्री पर उन्हें अब भी नुकसान उठाना पड़ रहा है. परेशानी की बात यह है कि देश में डीजल ही सबसे ज्यादा खपत वाला फ्यूल है. ऐसे में डीजल पर हो रहा नुकसान कंपनियों के लिए अब भी चिंता की वजह बना हुआ है. गुरुवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत 91.51 डॉलर प्रति बैरल रही, जो पिछले 6 महीने में सबसे कम है. देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की मौजूदा कीमत 96.72 रुपये प्रति लीटर है, जबकि डीजल 89.62 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचा जा रहा है.
क्रूड ऑयल की कीमतों में आई इस कमी के बावजूद फिलहाल इंडियन ऑयल कार्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम(BPCl) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) जैसी घरेलू तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी नहीं की है. दरअसल, इससे पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार से ऊंची कीमतों पर क्रूड ऑयल खरीदते समय भी उन्होंने कीमतों में बढ़ोतरी नहींकी थी. महंगाई पर नियंत्रण करने के लिए पिछले साढ़े चार महीने से तेल कंपनियां सरकार के इशारे पर काम कर रही थीं. इस दौरान इन कंपनियों को पेट्रोल पर 20-25 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 14-18 रुपये प्रति लीटर घाटा उठाना पड़ रहा था. क्रूड ऑयल की कीमतों में आई कमी के कारण भारतीय तेल कंपनियों को इस घाटे से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. देश में पेट्रोल-डीजल की मांग पूरा करने के लिए भारत विदेशों से क्रूड ऑयल का आयात करता है. देश में पेट्रोल-डीजल की 85 फीसदी मांग क्रूड ऑयल के इंपोर्ट से ही पूरी होती है.
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तेल कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अब भी पेट्रोल पर कोई मुनाफा नहीं मिल रहा है, जबकि डीजल पर अभी घाटा ही उठाना पड़ रहा है. उनका कहना है कि पेट्रोल की तरह डीजल में ब्रेड-इवेन हासिल करने में अभी वक्त लगेगा. फिलहाल कंपनियों को डीजल पर घाटा ही उठाना पड़ रहा है. अधिकारियों का कहना है कि क्रूड ऑयल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरने पर फौरन ही तेल की कीमतें घटाने का फैसला नहीं लिया जा सकता है. उनका कहना है कि अभी तो उन्हें पिछले पांच महीनों के दौरान हुए नुकसान की भरपाई करने में भी वक्त लगेगा.