Crude Oil Outlook: कच्चा तेल 380 डॉलर (30 हजार रुपये) प्रति बैरल की रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच सकता है यानी कि मौजूदा भाव के तीन गुने से भी अधिक. वैश्विक एनालिस्ट जेपीमॉर्गन चेज एंड कंपनी की रिपोर्ट में यह आशंका जताई गई है. जेपीमॉर्गन ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका और यूरोपीय देशों के लगाए गए प्रतिबंधों के चलते रूस कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करता है तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
कटौती से रूस को हल्का झटका लेकिन बाकी दुनिया के लिए डिजास्टर
सात देश मिलकर यूक्रेन पर हमले के खिलाफ सख्ती के लिए रूस के तेल की अधिकतम कीमत तय करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि रूस की राजकोषीय स्थिति को देखते हुए रूस अपनी अर्थव्यवस्था को बिना अधिक नुकसान पहुंचाए कच्चे तेल के उत्पादन में हर दिन 50 लाख बैरल की कटौती कर सकता है. इसका रूस की इकॉनमी पर बहुत असर तो नहीं दिखेगा लेकिन बाकी दुनिया के लिए किसी डिजास्टर से कम नहीं होगा.
रिपोर्ट के मुाबिक अगर अधिकतम कीमत फिक्स करने की कोशिश होती है तो सबसे अधिक इस बात के आसार बन रहे हैं कि रूस इसे मानने की बजाय सप्लाई में कटौती का फैसला करेगा. इससे पश्चिमी देशों को अधिक चोट पहुंचेगा. जेपीमॉर्गन के मुताबिक वैश्विक तेल बाजार पर सख्ती करने की स्थिति में परिस्थितियां रूस के पक्ष में है.
Study Abroad: विदेश में पढ़ाई का खर्च जुटाने में हो रही मुश्किल? ऐसे कर सकते हैं अपने सपने को पूरा
कटौती पर क्या होगा असर?
अगर रूस हर दिन कच्चे तेल की सप्लाई को 30 लाख बैरल भी घटा देता है तो बेंचमार्क लंदन क्रूड प्राइस 190 डॉलर (15 हजार रुपये) प्रति बैरल तक उछल सकते हैं. अगर सबसे बुरी स्थिति की बात करें तो रूस अगर 20 लाख बैरल अतिरिक्त यानी हर दिन 50 लाख बैरल सप्लाई घटाता है तो कच्चे तेल के भाव 380 डॉलर (30 हजार रुपये) की ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं.
(Input: Bloomberg)