Wheat Crop Production 2023, Heat Wave: इस साल गर्मी ने समय के पहले ही दस्तक दे दी है. मौसम वैज्ञानिकों ने भी इसे लेकर चेताया है. फरवरी के महीनों में ही कुछ दिन औसत तापमान 5 से 7 डिग्री सेंटीग्रेट ज्यादा देखने को मिला है. फिलहाल मौसम में समय से पहले इस बदलाव ने खेती किसानी की चिंता बढ़ा दी है. कुछ एक्सपर्ट मान रहे हैं कि इससे गेह्रू की फसल को नुकसान होने का डर है. सामान्य तौर पर जितनी पैदावार रहने का अनुमान था, उसमें 8 से 10 फीसदी तक कमी आ सकती है. मौसयम का यह बदलाव आगे खरीफ सीजन की कुछ फसलों पर भी असर डाल सकता है.
गेहूं की फसल पर क्या हो रहा है असर
फरवरी के महीने में दिन में तापमान में खासी बढ़ोतरी आई है. जिससे गेहू्ं उत्पादन वाले कुछ प्रमुख एरिया में फसल समय से पहले पकने का डर बन गया है. ऐसा कुछ इलाकों में देखा भी जा रहा है. बढ़ते तापमान के चलते जहां फसल जल्दी पक जाएगी, वहीं इससे दाना भी पूरी तरह विकास नहीं कर पाएगा. इसी के चलते पैदावार कम रह सकती है. मौसम अगर सामान्य रहता तो गेहू्र का दाना अभी कुछ और दिन विकास करता, लेकिन तेज गर्मी में अब वह उसी स्थिति में पकने लगेगा.
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प्रोडक्शन अनुमान से रहेगा कम
IIF के VP-रिसर्च (कमोडिटी), अनुज गुप्ता का कहना है कि बढ़ता तापमान गेहूं की फसल पर कुछ असर डाल सकता है, लेकिन उनका कहना है कि पिछले साल गेहूं की कीमतों में खासा इजाफा हुआ था, जिसके चलते इस बार किसानों ने ज्यादा एरिया में गेहूं की बुआई की है. रकबा बढ़ने से पैदावार भी बढ़ने की उम्मीद है. एक अनुमान के मुताबिक इस सान गेहूं की पैदावार 4.1 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 112.2 करोड़ टन होने की संभावना है. इससे थोड़ा बहुत डैमेज कंट्रोल हो सकता है. लेकिन इसका कीमतों पर असर होगा. उनका कहना है सरकार के गरीब कल्याण योजना में डिस्ट्रीब्यूशन बढ़ने से गोदाम खाली पड़े हैं. इससे आगे प्राइस पर असर आ सकता है.
गेहूं की कीमतों में होगा इजाफा
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि गर्मी समय से पहले आने से कुछ इलाकों में गेहूं का दाना ग्रो नहीं कर पा रहा है. जिसके चलते यील्ड में ड्रॉप हो रहा है. अगर डैमेज 10 फीसदी से ज्यादा होता है तो गेहू्ं की कीमतों में इजाफा देखने को मिलेगा. सरसों, धनिया और जीरा की फसल पर भी असर हो सकता है.
किन राज्यों में ज्यादा असर
ओरिगो कमोडिटीज के अनुसार मार्च महीने में उच्च तापमान और हीट वेब का पूर्वानुमान गेहूं की फसल पर निगेटिव असर डालेगा. इससे गेहूं के दानों को पूरी तरह से विकसित होने का समय नहीं मिलेगा. इसके कारण दाने खराब भी हो सकते हैं. इसका सबसे ज्यादा असर पंजाब, हरियाणा, यूपी और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में देखा जाएगा, जहां फसल देर से बोई जाती है. इसलिए, हमारा मानना है कि गेहूं का उत्पादन 98 MMT की रेंज में होगा, जो पिछले साल की तुलना में 1.6 फीसदी अधिक है. बता दें कि पहले पिछले साल की तुलना में 4 फीसदी से ज्यादा पैदावार होने का अनुमान था.