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देश की बैंकिंग सिस्टम स्थिर और लचीली, प्रयाप्त बफर भी मौजूद: शक्तिकांत दास

RBI Governor Shaktikanta Das: क्रिप्टोकरेंसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बैंकों के लिए एक वास्तविक खतरा हो सकता है

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RBI Governer Shaktikant Das: क्रिप्टोकरेंसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बैंकों के लिए एक वास्तविक खतरा हो सकता है

RBI Governor on Indian Banking System: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि देश की बैंकिंग सिस्टम स्थिर और लचीली बनी हुई है.उन्होंने कहा कि लेंडर्स ने किसी भी विकट स्थिति से खुद को बचाने के लिए पर्याप्त बफर का निर्माण किया है. वैश्विक स्तर पर बैंकिंग क्षेत्र में हालिया उथल-पुथल के बीच आरबीआई गवर्नर की यह टिप्पणी आई है.

दुनिया में सबसे तेज बढ़ेगी भारतीय अर्थव्यवस्था

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने जोर देकर कहा कि महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध और दुनिया भर में केंद्रीय बैंकों द्वारा कड़ी मौद्रिक नीति (Monitary Policy) से वैश्विक अर्थव्यवस्था में जारी उथल-पुथल के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है और इसके दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था होने की उम्मीद है. तीन बैंकों की विफलता सहित अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली में हालिया घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि इसने बैंकिंग क्षेत्र में रेगुलेशन और सुपरविजन के मायने क्या है इसको सबके सामने ला दिया.

क्रिप्टोकरेंसी बैंकों के लिए हो सकता है खतरा

17वें केपी होर्मिस स्मारक समारोह में बोलते हुए दास ने कहा कि हालिया घटनाक्रम बैंकों के सही एसेट लायबिलिटी मैनेजमेंट, रिस्क मैनेजमेंट और एसेट में सतत विकास के महत्त्व उजागर करता है. इसके अलावा उन्होंने बैंकों द्वारा समय-समय पर लायबिलिटी का जांच करने और बफर बनाने की आवश्यकता पर भी ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बैंकों के लिए एक वास्तविक खतरा हो सकता है.आरबीआई ने इन सभी क्षेत्रों में आवश्यक कदम उठाए है.

कर्ज संकट पर क्या बोले दास

आईएमएफ के आंकड़ों का हवाला देते हुए गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कम आय वाले 15 फीसदी देशों के पहले से ही कर्ज संकट में होने का अनुमान है. इसके अलावा अन्य 45 फीसदी कर्ज संकट के हाई रिस्क में हैं. लगभग 25 फिसलती उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाएं भी रिस्क में हैं. इसके अलावा उभरते हुए बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं से पूंजी के आउटफ्लो ने वित्तीय स्थितियों को लगातार कड़ा करने के कारण रिजर्व्ड घाटे और करेंसी डेप्रिसिएशन को बढ़ा दिया है. दास ने कहा कि ऐसी स्थिति में, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बिगड़ती कर्ज स्थिति को संबोधित करना, और एक बहुपक्षीय ढांचे के तहत आधिकारिक द्विपक्षीय और प्राइवेट लेंडर्स द्वारा कॉर्डिनेटेड डेट ट्रीटमेंट की सुविधा को हमारे जी20 अध्यक्ष के तहत प्राथमिकता दी गई है.

First published on: 18-03-2023 at 16:15 IST

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