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मच्छर के लिए कितना टेस्टी होता है इंसान का खून, कुछ लोगों को क्यों करते हैं ज़्यादा परेशान?

मलेरिया, डेंगू बुखार और वेस्ट नाइल वायरस जैसी मच्छरों के जरिए फैसले वाली बीमारियां 70 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित करती हैं. हर साल मच्छरों के चलते दुनिया भर में 7,50,000 लोगों को मौत हो जाती है.

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मच्छरों के नर्व सेल पर पाए जाने वाले ये रिसेप्टर इंसानों के स्किन से आने वाली खुशबू को पहचाने में सक्षम हैं.

आपने कभी इस बारे में विचार किया है कि पत्नी से ज्यादा आपको मच्छर क्यों परेशान करते हैं? खैर, इसके बारे में जॉन हॉपकिंस मेडिसिन (John Hopkins Medicine) के साइंटिस्ट ने दावा किया है कि मच्छरों के कोशिकाओं पर एक खास तरह के रिसेप्टर होते हैं. मच्छरों के नर्व सेल पर पाए जाने वाले ये रिसेप्टर इंसानों के स्किन से आने वाली खुशबू को पहचाने में सक्षम हैं. और खुशबू के आधार पर मच्छर इंसानों को परेशान करने के लिए चुनते हैं.

साइटिंस्ट के मुताबिक भोजन के लिए इंसानों को चुनने में मच्छरों के न्यूरॉन्स की अहम भूमिका होती है. मच्छर के नर्व सेल यानी न्यूरॉन्स पर पाए जाने वाले रिसेप्टर्स जिस ब्लड की ओर अट्रैक्ट होते हैं उन्हें हीं ये मच्छर अपने भोजन के लिए शिकार बनाते हैं. मतलब ये कि मच्छर उन्हीं इंसानी स्किन और ब्लड की खुशबू की तरफ अट्रैक्ट होते हैं जहां उनके न्यूरॉन्स पर पाए जाने वाले रिसेप्टर को सही लगता है.

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हर साल मच्छरों के चलते मरते हैं 7 लाख से अधिक लोग

मलेरिया (Malaria), डेंगू बुखार (Dengue Fever) और वेस्ट नाइल वायरस (West Nile virus) जैसी मच्छर के जरिए फैसले वाली बीमारियां 70 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित करती हैं. दुनिया भर में हर साल मच्छरों के चलते 7,50,000 लोगों को मौत हो जाती है.

दूसरों की तुलना में कुछ लोगों को इन वजहों से मच्छर ज्यादा करते हैं परेशान

मच्छर ज्यादातर अपने एंटीना के माध्यम से गंध का पता लगाते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में मच्छर अधिक परेशान करते हैं. दरअसल मच्छरों के इस आकर्षण के पीछे इंसान के शरीर की गंध, गर्मी, नमी और कार्बन डाइऑक्साइड जैसे फैक्टर हो सकते हैं.

इंसानी खुशबू से मच्छरों को कनफ्यूज करने के लिए नए प्रोडक्ट लाने की है जरूरत

वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसान के खून और स्किन की जिस खुशबू को कारण मच्छर उनकी ओर आकर्षित होते हैं उस इंसानी खुशबू को गायब करने के लिए ऑयल, क्रीम या अन्य बेहतर रिपेलेंट्स विकासित करने की जरूरत है. ताकि मलेरिया, डेंगू फैलाने वाले मच्छरों का आसानी शिकार बनने से रोका जा सके. जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के एक एसोसिएट प्रोफेसर (न्यूरोसाइंस, स्कूल ऑफ मेडिसिन) का कहना है कि मच्छरों का शिकार होने से बचने के नए तरीके को विकसित करने के लिए रिसेप्टर द्वारा खुशबू को पहचानने के पीछे की मॉलेक्यूलर बॉयोलॉजी को समझना होगा है. इसके अलावा मच्छरों की वजह से फैलने वाली गंभीर बीमारियों के बारे में भी जानना होगा.

First published on: 07-03-2023 at 15:10 IST

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