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PM Cares Fund से जुड़ी याचिका में केंद्र को फटकार, हाईकोर्ट ने खारिज किया एक पेज का जवाब

PM Cares FUND से जुड़ी याचिका में केंद्र सरकार को महज एक पेज के अपने जवाब को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट से फटकार मिली है.

Delhi HC raps Centre over PMO one-page affidavit in PM Cares petition demands detailed response in four weeks
केंद्र सरकार ने पीएम केयर्स फंड से जुड़ी याचिका में महज एक पेज में ही जवाब भेजा जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फटकार लगाया है. कोर्ट का कहना है कि यह महत्वपूर्ण मामला है और ऐसे में इस पर विस्तृत रिप्लाई आना चाहिए.

पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) से जुड़ी याचिका में केंद्र सरकार को अपने जवाब को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट से फटकार मिली है. पीएम केयर्स फंड को कानून के तहत स्टेट यानी सरकारी फंड घोषित करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई है और इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. केंद्र सरकार ने इस पर महज एक पेज में ही जवाब भेजा जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फटकार लगाया है. हाईकोर्ट का कहना है कि यह महत्वपूर्ण मामला है और ऐसे में इस पर विस्तृत रिप्लाई आना चाहिए. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमणियम प्रसाद की बेंच ने केंद्र को चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी.

सुप्रीम कोर्ट में जाएगा मामला तो पर्याप्त रिप्लाई दें

सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता की तरफ से जो भी दलीलें पेश की गई हैं, उसके बाद अब फैसला सुनाया जा सकता है. इस पर बेंच ने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में अवश्य जाएगा तो ऐसे में इस पर याचिकाकर्ता की शिकायतों पर फैसला देना होगा लेकिन यह केंद्र सरकार की पर्याप्त रिप्लाई के बाद ही होगा.

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याचिकाकर्ता की ये हैं मांग

सम्यक गंगवाल ने पिछले साल वर्ष 2021 में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत प्राइम मिनिस्टर्स सिटीजन असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशंस फंड (पीएम केयर्स फंड) को स्टेट घोषित करने के लिए याचिका दायर किया था. इसके अलावा याचिका में पीएम केयर्स वेबसाइट पर समय-समय पर इसकी ऑडिट रिपोर्ट भी पब्लिश करने की मांग की गई है. इस पर हाईकोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया था. केंद्र ने इसके जवाब में पिछले साल कहा था कि ट्रस्ट का फंड न तो देश के कंसालिडिटेड फंड के तहत आता है और न ही यह भारत सरकार का फंड है तो इसे लेकर थर्ड पार्टी की जानकारी का खुलासा नहीं किया जा सकता है.

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याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील श्याम दीवान ने पीएमओ के रिप्लाई में कुछ गलतियों की तरफ ध्यान दिलाया तो सॉलिसिटर जनरल तुषार म मेहता ने इसे टाइपिंग मिस्टेक कहा. हालांकि चीफ जस्टिस शर्मा ने कहा कि गलतियों को उन्होंने देख लिया है और इसी वजह से इस पर उचित तरीके से विस्तृत रिप्लाई की जरूरत है. गंगवाल ने अपनी याचिका में कहा है कि इस फंड को देश के प्रधानमंत्री ने बनाया है; इसके ट्रस्टी प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री हैं और इसका कार्यालय पीएमओ है लेकिन इसके बावजूद इस फंड को लेकर कहा जा रहा है कि इस पर सरकार का नियंत्रण नहीं है.

First published on: 13-07-2022 at 12:48 IST

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