Crude Prices Falling as US Banking Crisis: अमेरिका में बैंकिंग क्राइसिस और इसके चलते मंदी का डर का असर अब क्रूड पर भी दिख रहा है. क्रूड की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. ब्रेंट क्रूड बीते 24 घंटों में 3.76 डॉलर या 4.9 फीसदी गिरावट के साथ 73.69 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. वहीं, अमेरिकी क्रूड WTI भी करीब 3.72 डॉलर या 5.2 फीसदी टूटकर 67.61 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. वहीं बीते 1 साल की बात करें तो मार्च के हाई से क्रूड में करीब 40 फीसदी की अच्छी खासी गिरावट आ चुकी है. एक्सपर्ट का कहना है कि भारत की इकोनॉमी और कंज्यूमर के लिहाज से यह अच्छी खबर है. आने वाले चुनावों को देखते हुए लंबे समय बाद पेट्रोल और डीजल पर भी राहत मिल सकती है. साथ ही सरकार की बैलेंसशीट भी सुधरेगी.
क्रूड के लिए सेंटीमेंट कमजोर
IIFl के VP-रिसर्च (कमोडिटी एंड करंसी), अनुज गुप्ता का कहना है कि क्रूड की कीमतों में गिरावट भारत के लिए राहत की खबर है. उनका कहना है कि क्रूड में मौजूदा गिरावट अमेरिका में बैंक क्राइसिस से जुड़ा है, जिसके चलते मंदी का डर बन गया है. दूसरी ओर डॉलर इंडेक्स में भी कमजोरी आई है और चीन की ओर से डिमांड नहीं उठ पा रही है. US में रिकॉर्ड ऑयल शेल का उत्पादन है, जो 2019 के बाद सबसे ज्यादा है. ऐसे में अभी क्रूड के सेंटीमेंट कमजोर बने रहने का अनुमान है.
पेट्रोल और डीजल पर मिल सकती है राहत
अनुज गुप्ता का कहना है कि हाल फिलहाल में क्रूड की सप्लाई बढृी है, लेकिन डिमांड कमजोर है. यूएस में बैंकिंग क्राइसिस का सेंटीमेंट आगे भी खिंच सकता है, वहीं वहां ऐसा कोई फेस्टिवल भी नहीं है, जिससे मांग बढ़े. प्राइस नीचे है तो कंपनियां ड्रिल भी करेंगी और स्टोर बढ़ाएंगी. जैसा कि पिछले साल नेचुरल गैस के मामले में भी हुआ था. ऐसे में क्रूड 70 से 72 डॉलर में रह सकता है. अगर कीमतें ऐसी ही सस्टेन रहीं तो भारत सरकार के लिए यह सोने पर सुहागा साबित हो सकता है. क्रूड में राहत के चलते आने वाले चुनावों को देखते हुए सरकार कंज्यूमर्स को पेट्रोल और डीजल पर 4 से 5 रुपये प्रति लीटर राहत का एलान कर सकती है.
क्या क्रूड में जारी रहेगी गिरावट
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का मानना है कि क्रूड पर दबाव जरूर है, लेकिन बहुत बडृी गिरावट नहीं दिख रही है. टेक्निकली क्रूड को 72 डॉलर पर सपोर्ट है. हालांकि हाल फिलहाल में बड़ी तेजी भी नजर नहीं आ रही. इसके लिए 78 के लेवल पर मजबूत रेजिस्टेंस है. उनका कहना है कि यूएस और यूरोप में अर्थव्यवस्था पर दबाव बना हुआ है. डिमांड का असर क्रूड की कीमतों को नीचे ला रहा है. लेकिन कुछ सपोर्ट करने वाले फैक्टर भी हैं. मसलन रूस आाउटपुट कट करता है तो सपोर्ट मिलेगा. ओपेक देश भी सप्लाई कम करने की बात कह रहे हैं. आने वाले दिनों में चीन से धीरे धीरे इंपोर्ट बढ़ने का अनुमान है. लेकिन अभी यह पिछले साल के हाई से अच्छा खासा करेक्ट हो चुका है.