Congress alleged government on Asani Group: कांग्रेस ने गुरुवार को सरकार पर आरोप लगाया कि वह भारत का फूड ग्रेन लॉजिस्टिक्स (Food grain logistic) अडानी ग्रुप को ‘सौंपना’ चाहती है. इसे “षड्यंत्र” बताते हुए कांग्रेस ने कहा कि किसानों के आंदोलन द्वारा इसे केवल अस्थायी रूप से नाकाम किया गया है. तीन कृषि कानूनों को सरकार मजबूरी में वापस ली है.
कांगेस का क्या है आरोप?
अमेरिका स्थित शार्ट शेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा फर्जी लेनदेन और शेयर-कीमत में हेरफेर सहित कई आरोपों के बाद अडानी समूह के शेयरों ने शेयर बाजारों में भारी गिरावट के बाद कांग्रेस सरकार पर लगातार हमला कर रही है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पार्टी की ‘हम अडानी के हैं कौन’ सीरीज के तहत सरकार पर अडानी ग्रुप को फूड ग्रेन लॉजिस्टिक्स बेचने के मंशा को लेकर सवाल खड़ा किया. जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री की नरेंद्र मोदी स्टेडियम में उपस्थिति का जिक्र करते हुए ट्वीट किया कि आज PM उस स्टेडियम में जिसका नाम उन्होंने अपने जीवन काल में ही अपने नाम पर करवा लिया है, वहां खुद को तरह-तरह से सम्मानित करवा रहे हैं. ऐसे में “HAHK – हम अडानी के हैं कौन” श्रृंखला का क्वार्टर सेंचुरी पूरा होना भी एक संयोग है. ये हैं आज के 3 सवाल…चुप्पी तोड़िए प्रधानमंत्री जी. उन्होंने आरोप लगाया कि 2020-21 के किसान आंदोलन द्वारा “षड्यंत्र” को केवल अस्थायी रूप से विफल किया गया. किसान आंदोलन ने सरकार को “काले कृषि कानूनों” को वापस लेने के लिए मजबूर किया.
हाई कोर्ट का फैसला कानून में टिकाऊ नहीं: कांग्रेस
13 अक्टूबर, 2022 को भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून 2021 के गुजरात हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें सरकार के स्वामित्व वाले सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन (सीडब्ल्यूसी) पर अडानी पोर्ट्स और एसईजेड का पक्ष लिया गया था. ‘अडानीवॉच’ पब्लिकेशन ने भी इस बात को बताया है. इसपर जयराम रमेश ने दावा किया कि हाई कोर्ट का फैसला ‘कानून में टिकाऊ नहीं है’.
कॉर्पोरेशन की स्थापना खाद्य भंडारण जरूरतों को देखते हुए की गई थी
जयराम रमेश ने आगे कहा कि कॉर्पोरेशन की स्थापना 1957 में भारत की खाद्य भंडारण जरूरतों को देखते हुए की गई थी. इसके बाद अडानीवॉच के रिपोर्ट का हवाला देते हुए जयराम रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि कंज्यूमर अफेयर, फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन मिनिस्ट्री ने सीडब्ल्यूसी के रुख का समर्थन किया था, जबकि कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने अडानी की बोली को मुंद्रा बंदरगाह के पास दो प्रमुख सीडब्ल्यूसी गोदामों पर नियंत्रण करने के लिए समर्थन नहीं दिया था.