Naroda Gam massacre case verdict: अहमदाबाद की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को 2002 के नरौदा गाम नरसंहार (Naroda Gam massacre) मामले में भाजपा की पूर्व विधायक माया कोडनानी, बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी और विश्व हिंदू परिषद के नेता जयदीप पटेल सहित सभी 69 आरोपियों को बरी कर दिया. विशेष न्यायाधीश शुभदा बक्शी ने शाम करीब 5.30 बजे अपना फैसला सुनाया. अदालत के बाहर मौजूद आरोपियों के रिश्तेदारों ने “जय श्री राम” और “भारत माता की जय” के नारों के साथ इस निर्णय का स्वागत किया.
जमानत पर बाहर थे सभी आरोपी
साल 2002 के गुजरात दंगों के मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए गठित अदालत ने 5 अप्रैल को कार्यवाही समाप्त कर दी थी. मामले के 86 अभियुक्तों में से 17 को मुकदमे से अबैट कर दिया गया था. इसके बाद 69 अभियुक्तों पर यह मुकदमा चला. सभी आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. मामले में करीब 182 गवाहों को एग्जामिन किया गया था. गौरतलब है कि निचली अदालत ने नरोदा पाटिया मामले में कोडनानी और बजरंगी दोनों को दोषी ठहराया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. हालांकि गुजरात हाई कोर्ट ने 2018 में कोडनानी की सजा को पलटकर उन्हें बरी कर दिया था और नरोदा पाटिया मामले में बजरंगी की सजा को बरकरार रखा था.
क्या है ये मामला?
27 फरवरी, 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने के बाद गुजरात में हुए नौ बड़े दंगों में नरोदा गाम का मामला भी शामिल था. इस मामले की तेजी से निपटारे के लिए इसे फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजा गया था लेकिन फिर भी फैसले तक पहुंचने में सालों लग गए. 28 फरवरी, 2002 को, अहमदाबाद के नरोदा गाम के कुंभार वास नामक इलाके में भीड़ द्वारा घरों में आग लगाकर 11 लोगों को मार दिया गया था. इस घटना में जान गंवाने वाले सभी लोग मुसलमान थे. इसके बाद नरोदा पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. हालांकि गुजरात दंगों की जांच करने वाले न्यायमूर्ति नानावती आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि “मुसलमानों को कोई पुलिस सहायता नहीं मिली और वे केवल बदमाशों की दया पर निर्भर थे” और पुलिस भी घटनास्थल पर मदद के लिए देर शाम पहुंची.