Rahul Gandhi gets bail in defamation case: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. आज यानी गुरुवार को मानहानि केस में राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई, जिसके कुछ देर बाद उन्हें कोर्ट से बेल भी मिल गई. हालांकि मुसीबत यहीं खत्म नहीं होती, बल्कि इसकी शुरुआत यहीं से हो सकती है. कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या इस सजा के एलान के बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खतरे में है? और क्या उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है? The Representation of the People Act, 1951 (लोक प्रतिनिधित्व कानून- 1951) के मुताबिक अगर किसी भी जनप्रतिनिधि को दो साल या इससे अधिक की सजा होती है तो उसकी सदस्यता रद्द हो सकती है. हाल ही में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान की भी सदस्यता इसी कानून के तहत रद्द हुई थी.
‘गांधी’ डरते नहीं: कांग्रेस
यह मामला अब राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर चुका है और कांग्रेस समेत विपक्षी दल भी इसपर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद, राहुल गांधी ने ट्विटर पर महात्मा गांधी का एक कोट शेयर किया कि मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है. सत्य मेरा ईश्वर है, अहिंसा इसे प्राप्त करने का साधन है. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “आज पूरा तंत्र, सारे संसाधन और खुद PM मोदी एक अकेले इंसान को चुप कराने में लगे हैं. लेकिन जिन्हें चुप करवाने की कोशिश की जा रही है, उनका नाम राहुल गांधी है और गांधी डरते नहीं.” वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक वीडियो साझा करते हुए कहा, “वो सत्य की लड़ाई शिद्दत और पुरजोर तरीके से लड़ेंगे. राहुल गांधी सरकार से कठिन सवाल पूछ रहे हैं. उनके सवालों का जवाब न शाह के पास है, न शहंशाह के पास है और न ही उनके किसी वजीर के पास. इसलिए सुबह से शाम तक ये राहुल गांधी की आवाज को बंद करने का षड्यंत्र रचते हैं.” सजा सुनाए जाने के कुछ मिनटों बाद कांग्रेस के ऑफिसियल ट्विटर हैंडल ने अपना डीपी बदल लिया. कांग्रेस ने राहुल गांधी की डीपी लगाते हुए लिखा है कि ‘डरो मत’.
अदालत का सम्मान पर निर्णय से असहमत: केजरीवाल
ये मामला अब धीरे-धीरे तूल पकड़ता जा रहा है. कांग्रेस के कट्टर विरोधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी एक ट्वीट कर राहुल गांधी का साथ दिया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “गैर बीजेपी नेताओं और पार्टियों पर मुक़दमे करके उन्हें ख़त्म करने की साज़िश हो रही है. हमारे कांग्रेस से मतभेद हैं मगर राहुल गांधी जी को इस तरह मानहानि मुक़दमे में फ़साना ठीक नहीं. जनता और विपक्ष का काम है सवाल पूछना. हम अदालत का सम्मान करते हैं पर इस निर्णय से असहमत हैं.” अदालत का आदेश विपक्षी नेताओं के लिए एक रैलिंग प्वाइंट बन गया क्योंकि दो गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों दिल्ली के अरविंद केजरीवाल और झारखंड के हेमंत सोरेन ने फैसले का विरोध किया है.
मेरे भाई कभी डरे नहीं हैं, न कभी डरेंगे: प्रियंका गांधी
इस मामले में राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी का भी बयान सामने आया है. प्रियंका गांधी ने गुरुवार को अपने भाई का समर्थन करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ दायर 2019 के आपराधिक मानहानि के मामले में भाजपा पर हमला किया. उन्होंने ट्वीट में कहा, “हम जानते थे कि ऐसा हो सकता है … वे जज बदलते रहे. लेकिन हमें न्यायपालिका पर भरोसा है और कानून के अनुसार लड़ेंगे.” प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि सत्ता की एक डरी हुई मशीनरी भेदभाव करके राहुल गांधी की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है. मेरे भाई कभी डरे नहीं हैं, न कभी डरेंगे. उन्होंने अपना जीवन सच बोलते हुए जिया है, बोलते रहेंगे.
भाजपा का क्या है कहना?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरनेम के बारे में राहुल गांधी की कथित टिप्पणी के लिए 2019 के मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद भाजपा ने आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर अपने हमले तेज कर दिया है. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने श्री गांधी पर एक पूरे समुदाय का अपमान करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मोदी एक समुदाय हैं, केवल एक उपनाम नहीं. वे खिलाड़ी, राजनेता, डॉक्टर और व्यवसायी हैं. अगर आप एक निश्चित उपनाम को चोर के रूप में ब्रांड करते हैं, तो यह स्पष्ट रूप से अपमानजनक है. केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि जब भी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बोलते हैं, तो यह हमेशा उनकी पार्टी और देश को प्रभावित करता है. इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को सूरत कोर्ट के फैसले को एक सीख के रूप में लेना चाहिए कि शब्द हथियार से ज्यादा घातक हैं.
क्या है जनप्रतिनिधि कानून- 1951?
लोक प्रतिनिधित्व कानून- 1951 भारत के संविधान के आर्टिकल 327 के अनुसार संसद द्वारा पारित किया गया था. यह कानून संसद के सदनों और प्रत्येक राज्य के विधानमंडल के सदन या सदनों के चुनाव के संचालन से संबंधित है. यह सदनों की सदस्यता के लिए योग्यता और अयोग्यता, भ्रष्ट आचरण और अन्य अपराध या में अन्य अपराध से जुड़े मुद्दों को देखता है. इसका उल्लंघन करने पर जनप्रतिनिधियों की सदस्यता भी जा सकती है. देश के पहले आम चुनाव से पहले तब के कानून मंत्री भीमराव अंबेडकर ने इसे संसद में पारित किया था. इस कानून के आर्टिकल 8 (1) और (2) के अनुसार अगर कोई कोई सांसद/विधायक हत्या, बालात्कार, भाषा या क्षेत्र के आधार पर शत्रुता पैदा करता है तो उसकी संसद सदस्यता तुरंत रद्द कर दी जाएगी. इस कानून कर 8(3) में अनुसार अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो साल की सजा होने पर भी उसकी सदस्यता रद्द की जा सकती है.
क्या है मामला?
राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने 2019 से जुड़े एक मामले में सजा सुनाया है. इस समय एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है…चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो चाहे नरेंद्र मोदी’. इस बयान पर आपत्ति जताते हुए सूरत पश्चिम के विधायक पूर्णेश मोदी ने कोर्ट में मामला दर्ज किया था. पूर्णेश का कहना था कि राहुल गांधी ने हमारे समाज को चोर कहा है. चुनावी सभा में हमारे खिलाफ आरोप लगाए गए, जिससे हमारी और समाज की भावनाओं को ठेस पहुंची. इसी के चलते हम इस मामले को कोर्ट में लेकर आए. हम आखिरी सांस तक लड़ेंगे. अब आखिरकार चार साल बाद राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई है.