Sebi investigating allegations against Adani group companies says MoS Finance: अडानी ग्रुप की कंपनियों पर लगे आरोपों की जांच की जा रही है और यह जांच देश के मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) द्वारा की जा रही है. यह अहम जानकारी केंद्र सरकार के वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में दी. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में पिछले दिनों हुई उथल-पुथल का सिस्टम के स्तर पर कोई खास असर नहीं पड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को सेबी को आदेश दिया था कि वो अडानी ग्रुप की कंपनियों से जुड़े आरोपों की जांच दो महीने में पूरी करके रिपोर्ट पेश करे.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद 60% गिरे अडानी की 9 कंपनियों के शेयर
अमेरिका की फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी 2023 को जारी अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर कई गंभीर इल्जाम लगाए गए थे. इनमें गलत लेन-देन और समूह की कंपनियों के शेयरों को गलत ढंग से प्रभावित करने जैसे संगीन आरोप शामिल हैं. अडानी समूह ने इन आरोपों को भारत पर हमला बताते हुए उनका जोरदार खंडन जारी किया. फिर भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी ग्रुप की ज्यादातर कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली. इसी अवधि के दौरान नेशनल स्टॉक एक्सजेंच के इंडेक्स निफ्टी (Nifty 50) में 4.5 फीसदी की गिरावट भी देखने को मिली थी. लेकिन सोमवार को मोदी सरकार के वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में कहा कि अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में उथल-पुथल का सिस्टमिक लेवल पर यानी सिस्टम के स्तर पर कोई महत्वपूर्ण असर नहीं पड़ा है.
अडानी समूह की कंपनियां Sensex में नहीं, Nifty में वेटेज 1% से कम : सरकार
वित्त राज्यमंत्री ने सोमवार को संसद में कहा कि अडानी समूह की ये लिस्टेड कंपनियां सेंसेक्स (Sensex) में शामिल नहीं हैं और निफ्टी (Nifty) में भी उनका कुल वेटेज 1 फीसदी से कम है. लिहाजा इन कंपनियों में उथल-पुथल का सिस्टम कोई गंभीर असर नहीं पड़ा है. उन्होंने बताया कि 24 जनवरी से 1 मार्च के दौरान ग्रुप की 9 कंपनियों के मार्केट कैपिटलाइजेशन में 60 फीसदी गिरावट दर्ज की गई थी. उन्होंने कहा कि जनवरी के महीने में निफ्टी 50 में करीब 2.9% गिरावट आई, जबकि जनवरी-फरवरी 2023 के दो महीनों के दौरान यह गिरावट करीब 4.9% रही. पंकज चौधरी ने कहा कि बाजार में शेयरों की कीमतें, उनमें होने वाले बदलाव और इससे जुड़ा निवेशकों का रिस्क – यह सभी बातें डिमांड और सप्लाई के डायनैमिक्स से तय होती हैं. किसी खास कंपनी के शेयर में ज्यादा उतार-चढ़ाव होने पर रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत निर्धारित सर्विलांस मेकैनिज्म यानी निगरानी की व्यवस्था खुद ब खुद सक्रिय हो जाती है. वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि शेयर बाजार की निगरानी और निवेशकों के हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी सेबी की है, जो किसी भी गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर अपने नियमों के तहत उनकी जांच करता है. इसी प्रक्रिया के तहत अडानी ग्रुप की कंपनियों पर लगे आरोपों की जांच भी सेबी कर रहा है.
अडानी ग्रुप के खिलाफ DRI की जांच का ताजा स्टेटस
चौधरी ने बताया कि अडानी ग्रुप की कंपनियों द्वारा पावर जेनरेशन, पावर ट्रांसमिशन और इंफ्रास्ट्रक्चर (port and SEZ) से जुड़े उपकरणों के इंपोर्ट से जुड़े आरोपों की जांच डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) ने पूरी कर ली है, जिसकी रिपोर्ट संबंधित न्यायिक अधिकारियों (judicial authorities) को सौंपी जा चुकी है. उन्होंने कहा कि अडानी ग्रुप द्वारा इंडोनेशिया से कोयला इंपोर्ट किए जाने के मामले की जांच भी DRI कर रहा है, लेकिन यह जांच अभी अंतिम स्तर तक नहीं पहुंच सकी है, क्योंकि एक्सपोर्ट करने वाले देश से लेटर्स रोगेटरी (LRs) के तहत जानकारी मांगे जाने का मामला अभी मुकदमे में फंसा हुआ है.
क्रेडिट से जुड़ी जानकारी का खुलासा संभव नहीं : मंत्री
चौधरी ने कहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियमों के तहत बैंक किसी कॉमर्शियल इकाई को लोन देने से जुड़े फैसले अपने आंतरिक मूल्यांकन (internal assessment) के आधार पर लेने के लिए स्वतंत्र हैं. ऐसा करते समय उन्हें अपने बोर्ड द्वारा स्वीकृत नीतियों और आरबीआई की प्रूडेंशियल गाइडलाइन्स का पालन करना होता है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि RBI के मुताबिक वो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 के सेक्शन 45E के तहत क्रेडिट से जुड़ी जानकारी का खुलासा नहीं कर सकता है.