पश्चिम बंगाल की अगली विधानसभा चुनाव के नतीजे 2 मई को आ रहे हैं. अब स्पष्ट हो गया है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की सरकार कायम रहने वाली है तो इस जीत के हीरो प्रशांत किशोर ने चुनावी रणनीतिकार की भूमिका से संन्यास का एलान कर दिया है. पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर इस चुनाव के दौरान टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार थे. एनडीटीवी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में प्रशांत किशोर ने कहा कि वह अब ब्रेक लेना चाहते हैं और जिंदगी में कुछ अलग करना चाहते हैं. पीके ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब उन्होंने जिस पार्टी के लिए चुनावी रणनीति तय की, वह बड़ी जीत की तरफ अग्रसर है.
चुनाव आयोग पर लगाया बीजेपी की सहयोगी होने का आरोप
पीके ने इंडिया टूडे से बातचीत में कहा कि अब वह किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए चुनावी रणनीति नहीं बनाएंगे. प्रशांत किशोर ने चुनाव आयोग पर बीजेपी के एक्सटेंशन के तौर पर काम करने का आरोप लगाया है. पीके ने कहा कि चुनाव में धर्म के प्रयोग से लेकर पोल शेड्यूल करने और नियमों को तोड़ने-मरोड़ने तक, चुनाव आयोग ने हर तरह से बीजेपी का सहयोग करने की कोशिश की है.
पिछले साल ही पीके ने अपनी जॉब छोड़ने के दिए थे संकेत
दिसबंर 2020 में पीके ने कहा था कि बीजेपी बंगाल विधानसभा चुनावों में 10 सीटें भी नहीं जीत पाएगी और अगर ऐसा होता है तो वह चुनावी रणनीतिकार की अपनी भूमिका से संन्यास ले लेंगे. इस पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने चुटकी लेते हुए कहा था कि बंगाल में बीजेपी की सुनामी चल रही है और बीजेपी की ही सरकार राज्य में बनेगी और ऐसे में देश के चुनावी रणनीतिकार को खो देगा. हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए एक साक्षात्कार में किशोर ने कहा था, ‘पिछले साल नवंबर-दिसंबर के आस-पास बीजेपी को लेकर बहुत हाइप था कि वे राज्य में स्वीप करेंगे, 200 सीटें हासिल करेंगे इत्यादि. ऐसे में इसे सार्वजिनक रूप से कहना बहुत जरूरी था कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है. दिसंबर में बीजेपी ऐसी स्थिति में ही नहीं थी कि वह 200 सीटें जीतने का दावा करे.’