scorecardresearch

SC Asks Centre: सारी वैक्सीन जनता के लिए, फिर केंद्र और राज्य के लिए दो कीमतें क्यों? केंद्र सरकार सारे टीके खुद खरीदकर राज्यों को क्यों नहीं देती?

सु्प्रीम कोर्ट ने कहा, निजी कंपनियों के भरोसे नहीं छोड़ सकते टीकों का डिस्ट्रीब्यूशन, केंद्र करे पहल, वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने के लिए कंपल्सरी लाइसेंसिंग पर भी हो विचार

SC Asks Centre: सारी वैक्सीन जनता के लिए, फिर केंद्र और राज्य के लिए दो कीमतें क्यों? केंद्र सरकार सारे टीके खुद खरीदकर राज्यों को क्यों नहीं देती?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, निजी वैक्सीन निर्माताओं को यह तय करने की छूट नहीं दी जा सकती कि किस राज्य को कितनी वैक्सीन मिलनी चाहिए.(Express Photo by Deepak Joshi)

SC Hearing On Covid-19: सुप्रीम कोर्ट ने आज कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा की जा रही तैयारियों और वैक्सीन, दवाओं और ऑक्सीजन समेत तमाम जरूरी चीजों की सप्लाई के मुद्दे पर विस्तार से सुनवाई की. इस दौरान सु्प्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि वो भयानक संकट के इस दौर में कोविड वैक्सीन के सभी सौ फीसदी डोज़ खुद खरीदकर राज्यों में सही ढंग से बांटने का काम क्यों नहीं करती?

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली खंडपीठ ने यह भी कहा कि निजी वैक्सीन निर्माताओं को यह तय करने की छूट नहीं दी जा सकती कि किस राज्य को कितनी वैक्सीन मिलनी चाहिए. अदालत ने कहा कि वैक्सीन की खरीद चाहे केंद्र सरकार करे या राज्य सरकार, आखिरकार तो सारे टीके देश के नागरिकों के लिए ही हैं. फिर इसके लिए दो अलग-अलग कीमतें क्यों होनी चाहिए? कोर्ट ने सरकार से यह भी साफ करने को कहा कि उसने निर्माता कंपनियों से वैक्सीन की 50 फीसदी मात्रा खरीदने का समझौता किया है, उसकी सप्लाई कब तक होनी है?

कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि वो वैक्सीन का उत्पादन और तेजी से बढ़ाने के लिए कंपल्सरी लाइसेंसिंग के प्रावधानों का इस्तेमाल करके और अधिक निर्माताओं को इसे बनाने की अनुमति क्यों नहीं दे रही? अदालत ने कहा कि कंपल्सरी लाइसेंसिंग के प्रावधान ऐसे ही इमरजेंसी हालात के लिए तो बनाए गए हैं. उन्हें लागू करने के लिए इससे बेहतर मौका कोई और नहीं हो सकता.

कोर्ट ने यह सुझाव भी दिया कि केंद्र सरकार को टीकाकरण के लिए नेशनल इम्यूनाइजेश प्रोग्राम के मॉडल को अपनाना चाहिए, क्योंकि गरीब लोग वैक्सीन की ऊंची कीमत चुका नहीं पाएंगे. अगर ऐसा नहीं किया गया तो समाज के हाशिये पर पर रहने वालों और अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों का क्या होगा? क्या उन्हें निजी अस्पतालों की दया के भरोसे छोड़ दिया जाएगा?

कोर्ट ने कहा कि सरकार को सभी नागरिकों के लिए मुफ्त टीकाकरण का इंतजाम करने पर विचार करना चाहिए. कोर्ट ने यह सलाह भी दी कि देश का हेल्थ केयर सेक्टर महामारी के बोझ को संभाल नहीं पा रहा है, ऐसे में रिटायर हो चुके डॉक्टरों और अधिकारियों को फिर से इस मुहिम में जोड़ना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना आदेश अब तक जारी नहीं किया है, लेकिन सुनवाई के दौरान देश की सबसे बड़ी अदालत ने ऐसे कई अहम सवाल पूछे, जो महामारी से निपटने की कोशिश के लिहाज से बेहद अहम हैं. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कई बार याद दिलाया कि देश इस वक्त एक अभूतपूर्व संकट से गुज़र रहा है, लिहाजा अदालत की किसी भी टिप्पणी या सुझाव को हालात में सुधार लाने की कोशिश के तौर पर लेना चाहिए. इस दौरान केंद्र की तरफ से एक प्रेजेंटेशन भी दिया गया, जिसमें सरकार ने अपनी तरफ से उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी दी.

सर्वोच्च न्यायालय ने 22 अप्रैल को देश में महामारी के हालात का खुद से संज्ञान लेते हुए इस मामले पर सुनवाई शुरू की थी. इंफेक्शन के मामलों और उनकी वजह से होने वाली मौत के आंकड़ों में अचानक बेतहाशा बढ़ोतरी होने पर चिंता जाहिर करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस बारे में एक ऐसा राष्ट्रीय एक्शन प्लान पेश करने को कहा था. कोर्ट ने कहा था कि इस राष्ट्रीय योजना में ऑक्सीजन और दवाओं से लेकर हर जरूरी वस्तु और सेवा की सप्लाई और वितरण का पूरा ब्योरा होना चाहिए.

First published on: 30-04-2021 at 19:41 IST

TRENDING NOW

Business News