China Irked with Nancy Pelosi’s Taiwan Visit : अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेंजेटेटिव की स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा से चीन भड़क उठा है. ताइवान को अपना इलाका मानने वाला चीन इस यात्रा को अपनी संप्रभुता पर हमला और ताइवान की आजादी की मांग के समर्थन के तौर पर देख रहा है. लेकिन ये कोई पहला मामला नहीं है जब अमेरिका की वरिष्ठ राजनेता के किसी कदम ने चीन को बौखला दिया हो. पेलोसी ने अपने चार दशक लंबे सियासी करियर के दौरान कई बार चीन को आईना दिखाने का काम किया है, जिसमें भारत यात्रा के दौरान दलाई लामा से उनकी मुलाकातें भी शामिल हैं.
तिब्बत का मुद्दा उठाती रही हैं पेलोसी
तिब्बत का जिक्र आते ही चीन बौखला जाता है. उसे जरा भी पसंद नहीं कि तिब्बत पर उसे कब्जे की कोई चर्चा भी करे. पिछले कई दशकों के दौरान उसे दुनिया के ज्यादातर देशों के रुख को इस मामले में काफी हद तक नर्म करने में कामयाबी भी मिली है. लेकिन अमेरिका के राजनीतिक ढांचे में फिलहाल तीसरे नंबर के पद पर बैठीं नैंसी पेलोसी एक ऐसी राजनेता हैं, जो चीन की दुखती रग को छेड़ने और तिब्बत के सर्वोच्च धर्मगुरु दलाई लामा के प्रति अपना समर्थन जाहिर करने से कभी पीछे नहीं हटतीं. फिर चाहे इसकी वजह से चीन कितना भी क्यों न बौखलाए.
2008 की भारत यात्रा में दलाई लामा से मिली थीं पेलोसी
अब से करीब 14 साल पहले 2008 में नैन्सी पेलोसी भारत की यात्रा पर आई थीं. उस वक्त वे भी उसी पद पर बैठी थीं, जिस पर अब हैं. यानी अमेरिकी संसद की हाउस स्पीकर. अपनी उस यात्रा के दौरान नैन्सी ने 21 मार्च 2008 को भारत में रह रहे तिब्बत के निर्वासित नेता और धर्मगुरु दलाई लामा से धर्मशाला के उनके मठ में जाकर मुलाकात की थी. नैन्सी की दलाई लामा से इस मुलाकात से चीन बौखला गया था. लेकिन अमेरिकी राजनेता ने तिब्बत के मुद्दे पर अपना रुख खुलकर दुनिया के सामने रखा था.
2017 में भी दलाई लामा से मिली थीं नैंसी
साल 2017 में नैन्सी पेलोसी अमेरिका की हाउस माइनॉरिटी लीडर के तौर पर भारत आई थीं. अपनी उस यात्रा के दौरान उन्होंने एक बार फिर दलाई लामा से मिलकर तिब्बत के मुद्दे पर अपना समर्थन जाहिर किया था. उस वक्त भी चीन के तीखे तेवर उन्हें उनके सैद्धांतिक रुख से हिला नहीं पाए थे. दरअसल, नैन्सी पेलोसी राजनेता होने के साथ ही साथ मानवाधिकार के मुद्दों पर अपने कड़े रुख के लिए भी जानी जाती हैं. यही वजह है कि मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए बदनाम चीन के साथ उनका बार-बार टकराव होता रहा है.
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जब नैंसी ने चीन के घर में घुसकर दिखाया था आईना
नैंसी पेलोसी अब से करीब 31 साल पहले चीन के घर में घुसकर उसे मानवाधिकारों के मुद्दे पर आईना दिखाने का काम कर चुकी हैं. बात 1991 की है, जब वे एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के साथ चीन की यात्रा पर गई थीं. अपनी इस यात्रा के दौरान 4 सितंबर 1991 को नैन्सी अपने कुछ सहयोगियों के साथ बीजिंग के तियानानमेन चौक (Tiananmen Square) जा पहुंचीं. वहां उन्होंने हाथ में बैनर लेकर 1989 के नरसंहार में मारे गए नौजवानों को न सिर्फ श्रद्धांजलि दी, बल्कि उनकी लोकतंत्र की मांग का खुला समर्थन भी किया. उनके बैनर पर लिखा था – “To Those Who Died For Democracy In China” यानी “उन लोगों को श्रद्धांजलि जिन्होंने चीन में लोकतंत्र के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी.” अपने चीन दौर की इस वीडियो क्लिप को पेलोसी ने करीब तीन साल पहले अपने ट्विटर हैंडर से शेयर भी किया था.
तियानानमेन स्क्वॉयर में क्या हुआ था?
चीन के बीजिंग का तियानानमेन स्क्वॉयर (Tiananmen Square) वो जगह है, जहां 3-4 जून 1989 को हजारों छात्रों-नौजवानों ने चीन में लोकतंत्र की मांग करते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था. लेकिन चीन की तानाशाही सरकार ने वहां टैंक तैनात कर दिए और गोलियां बरसाकर हजारों प्रदर्शनकारियों की जान ले ली. इस बर्बर नरसंहार में दस हजार नौजवानों की हत्या किए जाने का अनुमान लगाया जाता है, हालांकि इसके आधिकारिक आंकड़े अब तक जारी नहीं किए गए हैं.
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अमेरिकी राजनीति की बेमिसाल शख्सियत
81 साल की नैन्सी पेलोसी अमेरिका की सबसे वरिष्ठ राजनेता हैं और वे कई दशकों से वहां की सियासत में अहम पदों को संभाल रही हैं. अमेरिका में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के स्पीकर का पद राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के बाद तीसरा सबसे ऊंचा ओहदा है और पेलोसी दूसरी बार इस जिम्मेदारी को निभा रही हैं. वे इस पद पर बैठने वाली पहली महिला सांसद हैं. अमेरिकी संसद में वे 1987 में पहली बार चुनकर पहुंची थीं. डेमोक्रेटिक पार्टी की लोकप्रिय नेता पेलोसी अपने दबंग अंदाज और मानवाधिकार के मुद्दों पर किसी भी तरह का समझौता न करने के लिए जानी जाती हैं. पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई चलाए जाने के दौरान उनके निडर और प्रभावशाली व्यक्तित्व की झलक सारी दुनिया देख चुकी है.