Bank FDs Become More Attractive: डोमेस्टिक कंपनीज के इक्विटी शेयर्स में 35 फीसदी से अधिक का निवेश नहीं करने वाले डेट म्यूचुअल फंडों को अब ज्यादा दिन तक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCA) का फायदा नहीं मिलेगा. लोकसभा द्वारा पारित 2023 वित्त विधेयक के संशोधन में कहा गया है कि पहली अप्रैल से 35 फीसदी से कम निवेश के डेट म्यूचुअल फंड पर अब इनकम टैक्स स्लैब रेट के हिसाब टैक्स लगेगा. इस तरह के फंड को अगले महीने से बैंक डिपॉजिट की तरह माना जाएगा. कंपनियों के इक्विटी शेयरों में 35 फीसदी से कम निवेश करने वाले डेट म्युचुअल फंड को भी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन की तरह माना जाएगा. दरअसल अब इस तरह के फंड से होने वाली कमाई टैक्स के दायरे में आ जाएगी.
1 अप्रैल से पहले डेट फंड के LTCA पर नहीं होगा असर
नतीजतन, बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट यानी बैंक एफडी अधिक आकर्षक हो जाएगा, क्योंकि डेट फंड और बैंक एफडी दोनों मैच्योरिटी इनकम समान टैक्स नियम के अधीन होंगे. इसके अलावा गोल्ड फंड और इंटरनेशनल फंड भी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स बेनिफिट खो देंगे. वित्त विधेयक संशोधन 2023 इस साल अप्रैल महीने की पहली तारीख को या उसके बाद हासिल किए गए सभी डेट म्यूचुअल फंड पर लागू होंगे. 1 अप्रैल, 2023 से पहले यानी 31 मार्च तक हासिल किए गए म्यूचुअल फंड को ये बदलाव नहीं प्रभावित करेंगे. अगर होल्डिंग पीरियड 36 महीने से अधिक है, तो उन फंडों पर अभी भी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के रूप में टैक्स लगाया जाएगा.
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फिलहाल 3 साल यानी 36 महीने से अधिक समय तक रखे गए डेट म्युचुअल फंड को लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट के रूप में माना जाता है और ऐसे फंड पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20% की दर से या बिना इंडेक्सेशन के 10% की दर से टैक्स लगाया जाता है. अगर होल्डिंग पीरियड 3 साल से कम है तो उन पर निवेशक के स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लगता है. यह एक टैक्स आर्बिट्रेज अवसर प्रदान करता है, जिससे निवेशकों को टैक्स की कम दर का भुगतान करने की इजाजत मिलती है, अगर वे तीन साल से अधिक समय तक निवेश करते हैं.
यहां समझिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट
Nangia Andersen India के पार्टनर नीरज अग्रवाल (Neeraj Agarwala) बताते हैं कि टैक्सपेयर को इंडेक्सेशन और कम टैक्स रेट का बेनिफिट लेने के लिए 36 महीने से अधिक की अवधि के लिए डेट फंड रखने के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा. “अब, होल्डिंग पीरिएड के बावजूद डेट फंडों का टैक्स नियम समान होगा.
डेट फंड के टैक्स नियम में बदलाव से अब एसेट्स एलोकेशन पर प्रभाव पड़ेगा. जेएम फाइनेंशियल (JM Financial) एक प्राइवेट वेल्थ ग्रुप है. JM Financial की चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर रूपाली प्रभु (Roopali Prabhu) बताती हैं कि समान अपेक्षित रिटर्न वाले निवेशकों को अब अधिक रिस्क उठाना पड़ेगा. वह कहती है कि मान के चलिए कि 3 साल में एक निवेशक का टार्गेट रिटर्न टैक्स के बाद 7% प्रति वर्ष था, जो वर्तमान में AAA पेपर्स में निवेश करने वाले टार्गेट मैच्योरिटी फंड में 100% निवेश करके प्राप्त किया जा सकता है. आगे रूपाली प्रभु कहती हैं कि मान लीजिए रिटर्न रेट में कोई बदलाव नहीं होता है, निवेशक को समान टार्गेट रिटर्न हासिल करने के लिए इक्विटी में 25% से अधिक (13% इक्विटी रिटर्न मानकर) निवेश करना होगा.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि 3 साल से कम की होल्डिंग पीरिएड वाले डेट म्यूचुअल फंडों के लिए शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स में कोई बदलाव नहीं है, इसलिए निवेशक सेविंग बैंक एकाउंट में पैसे जमा करने के बजाय अधिक रिटर्न के लिए लिक्विड फंडों में निवेश करना जारी रख सकते हैं. MyWealthGrowth डॉट कॉम के को-फाउंडर हर्षद चेतनवाला (Harshad Chetanwala) बताते हैं कि पहले भी इस तरह के निवेश पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लागू था और वही अब भी जारी है. वह कहते हैं कि ये बदलाव छोटी अवधि के नजरिए से डेट फंडों में निवेश के मकसद को प्रभावित नहीं करेगा.
AKM Global के टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी अपनी उम्मीद जाहिर करते हुए कहते हैं कि निवेशकों के लिए बैंक एफडी अधिक सुरक्षित विकल्प बनकर उभरेगा क्योंकि डेट फंड पर अब टैक्स आर्बिट्रेज समाप्त होने वाला है. नतीजतन, अब बेहतर रिटर्न वाले बैंक एफडी ग्राहकों के लिए ज्यादा अट्रैक्टिव हो सकते हैं.
Bankbazaar डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी का कहना है कि डेट म्यूचुअल फंड में बदलाव से फिक्स्ड डिपॉजिट और बचत खातों के बीच समानता आनी चाहिए, खास तौर पर तब टैक्स एफिशिएंसी हटा जा रहा है. टैक्स एफिशिएंसी से मतलब है टैक्स नियम के हिसाब से से कोई शख्स आवश्यक कम से कम टैक्स का भुगतान करता है. बिना टैक्स एफिशिएंसी के लोग अपनी सेविंग बैंक एफडी में रखना ज्यादा पसंद कर सकते हैं.
(Article : Saikat Neogi)