Budget 2023 : Will FM Consider Giving Some Relief to the Great Indian Middle Class? : देश की आर्थिक तरक्की की चर्चा कहीं भी हो, भारत के महान मध्य वर्ग (The Great Indian Middle Class) का जिक्र जरूर होता है. लेकिन जब देश का सालाना बजट पेश किया जाता है, तो यह वर्ग अक्सर खुद को ठगा हुआ महसूस करता है. देश का नया बजट पेश होने का मौका एक बार फिर से करीब है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2023 को देश की संसद में यह महत्वपूर्ण काम करेंगी. ऐसे में मिडिल क्लास टैक्स पेयर्स के मन में यह सवाल फिर से उठने लगे हैं कि क्या वित्त मंत्री इस बार उन्हें कुछ राहत देने पर विचार करेंगी? आइए एक नजर डालते हैं, उन उपायों पर जिन पर अमल करके वित्त मंत्री मध्य वर्ग की मदद कर सकती हैं.
इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव
देश में आयकर देने वालों के लिए टैक्स की अधिकतम दर (highest income tax slab) 30 फीसदी है. यह दर पुरानी टैक्स रिजीम (old tax regime) के तहत उन लोगों पर लागू होती है, जिनकी सालाना आमदनी 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा है. नई टैक्स रिजीम (new tax regime) का विकल्प चुनने वालों के लिए अधिकतम स्लैब 15 लाख रुपये या उससे ज्यादा सालाना आय पर लागू होता है. हालांकि नए स्लैब में उन्हें किसी तरह की टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता. लिहाजा, अधिकांश लोगों को इसमें फायदा नजर नहीं आता. बहुत सारे लोगों का मानना है कि सरकार या तो इनकम टैक्स की सबसे ऊंची दर लागू करने के लिए आमदनी की सीमा बढ़ाकर 20 लाख रुपये करे या फिर टैक्स की अधिकतम दर (highest tax slab) को कम किया जाए.
नई टैक्स रिजीम में संशोधन
भारत सरकार ने 2020 में एक नई टैक्स रिजीम (New tax regime) शुरू की. इस रिजीम में इनकम टैक्स की दरें तो कम हैं, लेकिन इसे चुनने वालों को किसी भी प्रकार के डिडक्शन और एक्जम्पशन (exemption) का लाभ नहीं मिलता है. जिसके चलते यह रिजीम ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो सकी है. जानकारों का मानना है कि अगर इस नई टैक्स रिजीम को और आकर्षक बना या जाए तो टैक्स पेयर्स को तो फायदा होगा ही टैक्स कंप्लायंस बढ़ने से सरकार को भी लाभ हो सकता है.
बेसिक एक्जम्पशन लिमिट में बढ़ोतरी
भारत सरकार ने बेसिक एक्जम्पशन लिमिट (Basic exemption limit) में आखिरी बार संशोधन 2014-15 में किया था. तब से अब तक मोदी सरकार ने इसमें कोई बदलाव नहीं किया है. जबकि पिछले 8 साल में महंगाई कहां से कहां पहुंच चुकी है. अगर इस बार सरकार इसमें सही अनुपात में इजाफा करती है, तो आयकर भरने वालों को काफी राहत मिल सकती है. फिलहाल आम भारतीय नागरिकों के लिए बेसिक एक्जम्पशन लिमिट 2.5 लाख रुपये सालाना है. 60 साल से 80 साल तक के सीनियर सिटिजन्स के लिए यह लिमिट 3 लाख रुपये और 80 साल से ज्यादा उम्र वाले सुपर सीनियर सिटिजन्स के लिए 5 लाख रुपये है.
होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट में इजाफा
पिछले छह-सात महीनों के दौरान होम लोन की ब्याज दरों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. इससे मिडिल क्लास के करदाताओं का बोझ बेहद बढ़ गया है. ऐसे में सरकार अगर होम लोन इंटरेस्ट के भुगतान पर मिलने वाली टैक्स छूट को मौजूदा 1.5 लाख रुपये की लिमिट में बढ़ोतरी करती है, तो मिडिल क्लास को राहत मिलेगी. साथ ही देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले उद्योगों में शामिल रियल एस्टेट इंडस्ट्री को भी प्रोत्साहन मिलेगा.
स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी
देश के वेतन पाने वाले टैक्स पेयर्स को फिलहाल 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard deduction) का लाभ मिलता है. सरकार ने इसे दोबारा लागू करते समय मेडिकल खर्च और ट्रांसपोर्ट के लिए मिलने वाले टैक्स फ्री री-इंबर्समेंट के लाभ को खत्म कर दिया था. यानी एक तरह से यह छूट आवाजाही और इलाज पर होने के खर्च के एवज में दी गई थी. पिछले दिनों फ्यूल और दवाओं की कीमतों में जिस तरह बेतहाशा इजाफा हुआ है, उसे देखते हुए सरकार को स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard deduction) में बढ़ोतरी करनी चाहिए. अगर वित्त मंत्री ने ऐसा किया तो टैक्स के भारी बोझ में दबे मिडिल क्लास को कुछ राहत मिलेगी.