Clothes to get costlier: महंगे और ब्रांडेड कपड़ों के शौकीन लोगों को इस साल इसमें ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं. भले ही गुड्स एंड सर्विस टैक्स काउंसिल की पिछली बैठक में कपड़ों पर जीएसटी दर बढ़ाने पर सहमति नहीं बनी हो, फिर भी कंज्यूमर्स को इस साल ब्रांडेड कपड़े महंगे पड़ेंगे. कच्चे माल के महंगे होने, परिवहन लागत बढ़ने समेत कई वजहों से नए साल में ब्रांडेड कपड़ों की कीमत बढ़ने वाली है. अनुमान है कि इस साल कई ब्रांडेड कपड़ों की कीमतों में 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी होगी.
Indian Terrain Fashions Ltd के CEO चरथ नरसिम्हन ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन को बताया, “कॉटन, यार्न और फैब्रिक जैसे कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ पैकेजिंग मटेरियल, माल ढुलाई लागत समेत कई ऐसी वजहें हैं, जिनके चलते इस साल ब्रांडेड कपड़ों की कीमतों में बढ़ोतरी होने के आसार हैं. इंडस्ट्री लेवल पर, अलग-अलग ब्रांडों के प्राइस स्ट्रक्चर के आधार पर इसमें 8-15 फीसदी का अंतर हो सकता है. Indian Terrain ब्रांड के कपड़ों की कीमतों में 8 से 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है.
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इतनी हो सकती है कीमतों में बढ़ोतरी
कई ब्रांड पहले से ही अपने कपड़ों की कीमतों में बढ़ोतरी शुरू कर चुके हैं. वहीं कुछ ऐसे ब्रांड हैं जो मार्च और अप्रैल के आसपास अपने समर कलेक्शन के लॉन्च के साथ कीमतों में वृद्धि करने की योजना बना रहे हैं. Octave Apparels के पार्टनर युवराज अरोड़ा ने कहा, “कच्चे माल, खासकर कपास की कीमतों में लगभग 70 से 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. पिछले साल की कीमतों की तुलना इस साल से करें तो MRP कम से कम 15-20 फीसदी बढ़ने वाला है. हमने पहले ही विंटर कलेक्शन के लिए अपने एमआरपी में 10 प्रतिशत का इजाफा कर दिया है. इसके अलावा, समर सीजन में कपड़ों की कीमतों में 10 प्रतिशत की और बढ़ोतरी होगी.”
इस बीच, Numero Uno अपनी कीमतों में 5-10 प्रतिशत की वृद्धि कर रहा है, जबकि महिलाओं के कपड़ों के ब्रांड Madame अपने समर कलेक्शन में कपड़ों की कीमत में 11-12 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने जा रहा है. इंडस्ट्री एसोसिएशन क्लोथिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CMAI) ने कहा कि इस साल गर्मियों में कीमतों में औसतन 15-20 फीसदी की बढ़ोतरी होगी. जीएसटी दर में बढ़ोतरी केवल उन ब्रांडों की कीमतों को प्रभावित करेगी जो 1000 रुपये से कम या वैल्यू सेगमेंट में माल बेचते हैं. CMIE के राहुल मेहता ने कहा, “अगर सरकार जीएसटी दर में बढ़ोतरी का फैसला करती है, तो मुझे कपड़ों की कीमतों में 7-10 प्रतिशत की और बढ़ोतरी की उम्मीद है.”
कपड़ा निर्माताओं का सुझाव
कई कपड़ा निर्माताओं का मानना है कि कच्चे माल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए. भारत में कपास की कीमत वैश्विक कीमतों और मांग के अनुसार बढ़ रही है. चीन के खिलाफ पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंधों के चलते, भारत से कपास की मांग में बढ़ी है. एक्सपोर्ट मार्केट में काम करने वाली कंपनियों ने अपने अधिकांश स्टॉक को एक्सपोर्ट करना शुरू कर दिया है, क्योंकि उन्हें एक्सपोर्ट मार्केट में बेहतर कीमत मिल रही है.
(Article: Tanya Krishna)