Flexi-Cap Funds Offer A Favorable Risk-Return Ratio: रिटेल इनवेस्टर इक्विटी बाजारों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए फ्लेक्सी-कैप फंडों ( flexi-cap funds) पर तेजी से दांव लगा रहे हैं. ये ओपन-एंडेड डायनेमिक इक्विटी स्कीम (pen-ended dynamic equity schemes) लार्ज-कैप (large-cap), मिड-कैप (mid-cap) और स्मॉल-कैप (small-cap) स्टॉक में निवेश करती हैं जो रिस्क को कम कर सकती हैं और इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में अस्थिरता यानी वोलेटिलिटी को कम कर सकती हैं. दरअसल इस कैटेगरी में मैनेजमेंट के तहत नेट एसेट्स (AUM) इस साल फरवरी में 2.4 ट्रिलियन रुपये तक पहुंच गई, जो म्यूचुअल फंड की 11 इक्विटी-ओरिएंटेड स्कीम्स में सबसे अधिक है.
फ्लेक्सी-कैप फंड में, फंड मैनेजर मार्केट कैपिटलाइजेशन में निवेश करते हैं, फंड एलोकेशन का मूल्यांकन करते हैं और समय-समय पर परफार्मेंस के आधार पर कंपनियों और सेक्टर के बीच फंड एलोकेशन को बदलते रहते हैं. ये फंड उन लोगों के लिए एक एक्सिलेंट स्टार्टिंग प्वाइंट के तौर पर काम कर सकते हैं जो अपने इक्विटी पोर्टफोलियो स्ट्रैटेजी को लेकर आश्वस्त नहीं रहते हैं या मानते हैं कि अलग-अलग सेगमेंट में एक्टिव फंड मैनेजमेंट अच्छी तरह से परिभाषित सीमाओं के साथ ऑपरेट किए गए फंड पोर्टफोलियो बनाने की तुलना में बेहतर नतीजे दे सकते हैं.
Fisdom के रिसर्च हेड नीरव करकेरा (Nirav Karkera) बताते हैं कि मार्केट में उथल-पुथल के दौरान कई ऐसे फ्लेक्सी-कैप फंड रहे हैं जो भारी रिस्क को मैनेज करके रिटर्न देने में सक्षम हैं, यहीं कार है कि रिटेल इनवेस्टर के बीच इस कैटेगरी की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है. फ्लेक्सी-कैप फंड की कैटेगरी निवेशकों को विशिष्ट क्षेत्रों या बाजार पूंजीकरणों तक सीमित किए बिना अपने इक्विटी पोर्टफोलियो में डाइवर्सिटी लाने एक बेहतर मौका देती है. इसके लचीलेपन और ज्यादा रिटर्न जनरेट करने की क्षमता ने इसे कई निवेशकों के लिए एक अट्रैक्टिव विकल्प बना दिया है. वह कहते हैं कि फ्लेक्सी-कैप फंड में निवेश बेहतर डाइवर्सिफाई पोर्टफोलियो तैयार करने का एक अहम जरिया बन चुका है.
फ्लेक्सी-कैप फंड में बैलेंस देखने को मिलती है
फ्लेक्सी-कैप फंडों में रिस्क-रिटर्न कंपोनेंट अच्छी तरह से बैलेंस है.यही कारण है कि इसमें फंड मैनेजर निवेश की संभावनाओं और मार्केट कैपिटलाइजेशन को अच्छी तरीके से समझकर फायदा उठाते हैं. Right Horizons PMS के फाउंडर अनिल रेगो बताते हैं कि इक्विटी निवेशकों के लिए फ्लेक्सी-कैप रणनीति इस समय सबसे अच्छी स्कीम है क्योंकि यह बाजार की स्थितियों के अनुसार लार्ज, मिड और स्मॉल कैप के बीच फंड को स्थानांतरित करने की अनुमति देती है. उन्होंने कहा कि अस्थिर परिदृश्य में निवेशकों को निवेश करने के लिए सुरक्षित स्थान खोजना लॉजिकल होता है, इसलिए ऐसे समय में निवेशकों की लार्ज-कैप शेयर्स की ओर अधिक झुकाव होती हैं.
निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान
लार्ज, मिड और स्मॉल-कैप निवेश रणनीतियों जैसी स्टैंडअलोन रणनीतियों की तुलना में, फ्लेक्सी-कैप में जोखिम कम होता है क्योंकि यह फंड बाज़ार की स्थितियों के अनुसार जल्दी से अलाइन होते हैं. हालांकि, निवेशकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि एक बार जब बाजार ऊपर जाना शुरू करता है तो फ्लेक्सी-कैप मिड और स्मॉल-कैप फंडों के समान क्षमता में ऊपर की ओर कब्जा नहीं कर सकते हैं. फाउंडर अनिल रेगो बताते हैं कि एक रणनीति के रूप में फ्लेक्सीकैप तब सार्थक हो जाता है जब एक पोर्टफोलियो मैनेजर बाजार की चाल का अनुमान लगाने में सक्षम होता है और किसी घटना के होने से पहले पोर्टफोलियो को संरेखित करता है. पोर्टफोलियो मैनेजर एक्टिव पोर्टफोलियो और मार्केट की अच्छी समझ के साथ फ्लेक्सी-कैप फंड से बेहतर फायदा हासिल कर सकता है.
फंड और रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क की जांच के अलावा, निवेशकों के लिए फ्लेक्सी-कैप फंड की प्रकृति और किसी के पोर्टफोलिओ के लिए फ्लेक्सी-कैप फंड की उपयुक्तता का मूल्यांकन करना जरूरी है. Fisdom के रिसर्च हेड नीरव करकेरा बताते हैं कि स्पेशल टार्गेट वाले मार्केट कैपिटलाइजेशन एलोकेशन के साथ एक पोर्टफोलियो बनाने का लक्ष्य रखने वाले निवेशकों को पता होना चाहिए कि फ्लेक्सी-कैप फंड कैटेगरी में निवेश के नतीजे टार्गेट के अनुकूल और विपरीत भी हो सकते है. इसलिए, इस तरह के विचलन के प्रभाव पर विचार करना और उनका मूल्यांकन करना बेहद जरूरी है कि क्या पोर्टफोलियो किसी के समग्र निवेश मकसद से जुड़ा है या नहीं.
रिस्क मैनेजमेंट
निवेशकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि फंड हाउस के पास फैक्सिबिलिटी का बिना दुरुपयोग किए लाभ उठाने के लिए मजबूत फंड और रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क उपलब्ध है. निवेश करने से पहले, किसी व्यक्ति को फंड के ऐतिहासिक पोर्टफोलियो की गहन समीक्षा करनी चाहिए और बाजार चक्रों में फंड मैनेजर की निवेश शैली को समझना चाहिए. निवेशकों को फंड के परफार्मेंस का उसके बेंचमार्क और अन्य तुलनीय फंडों के खिलाफ मूल्यांकन करना चाहिए. निवेशकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह फंड उनकी उम्मीदों के अनुरूप रिटर्न देने में सक्षम है या नहीं. किस फंड में निवेश करना है, यह तय करते समय रीसेंसी बायस का बहुत आम है. रीसेंसी बायस जिसमें हम पिछली घटनाओं की तुलना में हाल की घटनाओं को अधिक महत्व देते हैं. निवेश करते समय पिछले परफार्मेंस के अलावा होल्डिंग्स की संख्या, सेक्टर-वार आवंटन और चुनिंदा वैल्यूएशन मेट्रिक्स को समझना जरूरी है.
निवेशक निवेश से पहले फंड का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करते हैं तो उन्हें सही फैसला लेने में मदद मिल सकता है. ऐसा करके वह संभावित रिस्क को कम कर सकते हैं और फंड द्वारा पेश किए गए फ्लेक्सिबिलिटी का ज्यादा से ज्यादा लाभ हासिल कर सकते हैं.
(Article : Saikat Neogi)