Health insurance: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीधारकों के हित को ध्यान में रखते हुए इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) कई नए दिशा-निर्देश जारी कर चुकी है. इनमें हेल्थ इंश्योरेंस कवर से बाहर रखी जाने वाली और प्री-एग्जिस्टिंग बीमारियों को लेकर नए कानून और पॉलिसी के बारे में बताया गया है. पहले से बीमारियों से ग्रसित (प्री-एग्जिस्टिंग बीमारी) पॉलिसीधारक को उचित हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज मिल सके, इसके लिए इरडा ने स्पष्ट किया है कि इंश्योरेंस कंपनियां कवरेज से बाहर रहने वाली बीमारियों यानी परमानेंट एक्सक्लूजन्स को केवल कस्टमर्स की सहमति मिलने के बाद ही कवर में शामिल कर सकती हैं.
इरडा के ड्राफ्टिंग पैनल ने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में शामिल हो सकने वाले इन परमानेंट एक्सक्लूजन्स की एक लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट से अलग किसी भी एक्सक्लूजन को पॉलिसी में शामिल नहीं किया जा सकता. दिशा-निर्देश के मुताबिक, पॉलिसी लेने के बाद हर तरह के हेल्थ कंडीशंस और होने वाली बीमारियां पॉलिसी के तहत कवर होंगे. जिन महत्वपूर्ण और बड़ी बीमारियों को शामिल किया जाना जरूरी है, उनमें अल्जाइमर, पार्किन्संस, AIDS/HIV, मॉर्बिड ओबेसिटी शामिल हैं.
ये बीमारियां भी अब होंगी कवर
इन क्रिटिकल बीमारियों के अलावा हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में जिन विभिन्न बीमारियों को शामिल किया जाएगा, उन्हें लेकर भी इरडा ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इनके चलते अब इंश्योरर्स को खतरनाक गतिविधियों से होने वाली बीमारियों, मेंटल इलनेस का इलाज, आर्टिफीशियल लाइफ मेंटीनेंस, उम्र से संबंधित डिजनरेशन और इंटर्नल पैदायशी बीमारियों को कवरेज में शामिल करना होगा.
इसके अलावा जिन अन्य एक्सक्लूजन्स को अब कवर में शामिल किया जाएगा, उनमें बिहेवियर व न्यूरोडेवलपमेंट डिसऑर्डर, प्यूबटी और मेनोपॉज से जुड़े डिसऑर्डर, जेनेटिक डिसीज और डिसऑर्डर शामिल हैं.
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प्री-एग्जिस्टिंग बीमारियों को लेकर क्या गाइडलाइंस
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज के मानकीकरण को लेकर जारी किए गए नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक, प्री-एग्जिस्टिंग बीमारियों की परिभाषा में भी बदलाव किया गया है ताकि विभिन्न कस्टमर्स की जरूरतों को पूरा किया जा सके. अब हेल्थ कवर जारी होने के 48 महीने पहले फिजीशियन द्वारा पहचान की ई बीमारी/बीमारियों को प्री-एग्जिस्टिंग बीमारियों में गिना जाएगा.
इसके अलावा, पॉलिसी जारी होने के 48 महीने पहले किसी क्वालिफाइड डॉक्टर द्वारा किसी बीमारी/बीमारियों को लेकर दी गई किसी भी तरह के चिकित्सकीय परामर्श या इलाज को भी प्री-एग्जिस्टिंग बीमारियों में गिना जाएगा. साथ ही ऐसी हेल्थ कंडीशन जिसके लक्षण पॉलिसी जारी होने के तीन महीनों के अंदर दिखते हैं, उसे भी प्री-एग्जिस्टिंग बीमारियों में रखा जाएगा.
उम्र से जुड़ी बीमारियां भी होंगी कवर
अब हेल्थ इंश्योरेंस में उम्र से जुड़ी बीमारियों जैसे मोतियाबिंद का ऑपरेशन, घुटने के रिप्लेसमेंट आदि को भी शामिल किया जाएगा. इसके अलावा खतरनाक केमिकल्स के साथ काम करने वाले फैक्ट्री वर्कर्स के लिए स्किन डिसीज या सांस से जुड़ी बीमारियों को भी कवर में शामिल किया जाएगा.
कवर न होने वाली बीमारियों का होगा स्पष्ट उल्लेख
इरडा ने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में शामिल नहीं की जाने वाली बीमारियों का भी मानकीकरण किया है. इसका अर्थ है कि अगर कोई इंश्योरर कुछ विशिष्ट बीमारियों जैसे मिरगी, क्रोनिक किडनी डिसीज और HIV/AIDS आदि को कवर नहीं करना चाहता है तो उसे पॉलिसी टर्म्स में इरडा द्वारा तय विशिष्ट शब्दों का इस्तेमाल करना होगा. इसके अलावा इंश्योरर को वेटिंग पीरियड जैसे 30 दिन से लेकर 1 साल तक को भी उल्लिखित करना होगा, जिसके बाद कवर का लाभ मिलता है.
सभी हेल्थ इंश्योरेंस प्रॉडक्ट पर लागू होंगे नए नियम
दिशा-निर्देशों के मुताबिक, ये सभी प्रावधान सभी हेल्थ इंश्योरेंस प्रॉडक्ट पर लागू होंगे. इनमें 1 अक्टूबर 2019 और इसके बाद लिए गए इंडीविजुअल और ग्रुप हेल्थ कवर दोनों शामिल हैं. सभी मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस प्रॉडक्ट, जो जारी गाइडलाइंस के अनुरूप नहीं हैं, उन्हें 1 अक्टूबर 2020 के बाद इंश्योरर द्वारा कस्टमर्स को ऑफर नहीं किया जाएगा.
By: अमित छाबड़ा, हेल्थ इंश्योरेंस, Policybazaar.com