
Jan Aushadhi: सरकार की प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत अबतक देशभर में कुल 6200 सरकारी दवाओं की दुकान खुल चुकी है. इसके जरिए न सिर्फ देश के हजारों लोगों को रेगुलर मंथली इनकम का जरिया मिला है, बल्कि बाजार भाव से 90 फीसदी तक दाम कम होने से आम आदमी को सस्ते में जरूरी दवाएं उपलब्ध हो जा रही हैं. युवाओं को अपने ही जिले या कस्बे में रहकम 15 से 25 हजार रुपये मंथली इनकम हो रही है. वित्त वर्ष 2020 में 20 फरवरी तकऔषधि केंद्रों से कुल 383 करोड़ रुपये की बिक्री हुई है.
आम आदमी के 2200 करोड़ रुपये बचे
जनऔषधि योजना का जिम्मा संभाल रही बीपीपीआई का कहना है कि करीब 700 जिलों में अबतक 6200 के करीब जनऔषधि केंद्र खोले जा चुके हैं. इनमें 800 से ज्यादा दवाएं और 150 से ज्यादा मेडिकल इक्यूपमेंट उपलब्ध हैं. इन केंद्रों में बाजार भाव से 50 फीसदी से 90 फीसदी तक सस्ती दवाएं उपलब्ध हैं.
बीपीपीआई के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 में इन केंद्रों के जरिए 20 फरवरी तक करीब 383 करोड़ रुपये की दवाएं सेल की जा चुकी हैं. ये दवाएं बाजार की तुलना में 90 फीसदी तक सस्ती हैं. ऐसे में इन केंद्रों के जरिए अब तक आम आदमी की दवा पर होने वाले खर्च में 2200 करोड़ रुपये की बचत हो चुकी है.
रेगुलर मंथली इनकम का जरिया
सरकार 2024 तक जनऔषधि योजना का विस्तार हर जिले में करने जा रही है. ऐसे में आपके पास भी इससे जुड़ने का मौका है. आपभी इन 3 कटेगिरी में केंद्र खोल सकते हैं….
1. पहली कैटेगरी में कोई भी व्यक्ति, बेरोजगार फार्मासिस्ट, डॉक्टर, रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर केंद्र खोल सकता है.
2. दूसरी कैटेगरी में ट्रस्ट, एनजीओ, प्राइवेट हॉस्पिटल, सोसायटी और सेल्फ हेल्प ग्रुप को जनऔषधि केंद्र खोलने का अवसर मिलेगा.
3. तीसरी कैटेगरी में राज्य सरकारों की ओर से नॉमिनेट की गई एजेंसी होगी.
(Note: इसके लिए रिटेल ड्रग सेल्स का लाइसेंस जन औषधि केंद्र के नाम से होना चाहिए. वहीं, 120 वर्गफुट एरिया में दुकान होनी जरूरी है.)
सरकार करती है हेल्प
सरकार जनऔषधि केंद्र खोलने पर 2.5 लाख रुपये तक की सहायता करती है. जनऔषधि केंद्र से दवा बेचने पर मिलने वाले को 20 फीसदी मार्जिन के अलावा हर महीने की बिक्री पर अलग से 15 फीसदी इंसेंटिव मिलेगा. 20 फीसदी मार्जिन का मतलब है कि आप महीने में जितनी दवाओं की बिक्री करेंगे, उसका 20 फीसदी कमिशन के रूप में मिलेगा. वहीं, इंसेंटिव की अधिकतम सीमा 10 हजार रुपये प्रति माह होगी. इंसेंटिव तब तक मिलेगा, जब तक कि 2.5 लाख रुपये पूरे न हो जाएं. नक्सल प्रभावित और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में इंसेंटिव की अधिकतम सीमा 15 हजार रुपये प्रति माह है.