What borrowers should do after RBI repo rate hike: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के रेपो रेट बढ़ाने के बाद अब आपके होमलोन की ब्याज दर और ईएमआई बढ़ना भी तय है. या तो आपको हर महीने पहले से ज्यादा किस्त भरनी होगी या फिर ईएमआई वही रखने पर आपके लोन का टेन्योर काफी बढ़ जाएगा. लेकिन क्या कोई उपाय ऐसा भी हो सकता है, जिससे आप ब्याज और ईएमआई के इस बोझ को कम कर सकें या बेहतर ढंग से मैनेज कर सकें? ऐसे कुछ तरीकों पर विचार करके आप इस बारे में सही फैसला ले सकते हैं. आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने बुधवार को ही रेपो रेट को लगातार छठीं बार बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया है.
पुरानी इंटरेस्ट रिजीम को जारी रखें
अगर आपका होमलोन अब भी पुरानी इंटरेस्ट रिजीम यानी MCLR, BPLR या बेस रेट पर आधारित है और आपकी मौजूदा ब्याज दर EBLR के मुकाबले कम है, तो फिलहाल उसे जारी रखना आपके लिए बेहतर हो सकता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि रेपो रेट हाइक के बाद पुरानी इंटरेस्ट रिजीम में ब्याज दरें बढ़ने में ज्यादा वक्त लगता है. भविष्य में रिजर्व बैंक जब भी ब्याज दरें घटाना शुरू करे आप अपने लोन को EBLR में स्विच कर सकते हैं, क्योंकि उसमें आपका इंटरेस्ट रेट तेजी से घटेगा. दरअसल, ओल्ड इंटरेस्ट रेट रिजीम में आपके होमलोन की ब्याज दर बेस रेट, मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) और बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (BPLR) के आधार पर तय होती है, जिसमें बदलाव होने में ज्यादा वक्त लगता है. लेकिन नई रिजीम के तहत ब्याज दरें एक्सटर्नल बेंचमार्क लिंक्ड रेट (EBLR) के आधार पर तय होती हैं, जिसमें रेपो रेट के बढ़ने या घटने का असर बहुत जल्दी पड़ने लगता है. यही वजह है कि रेट हाइक साइकल के दौरान पुरानी इंटरेस्ट रेट रिजीम ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकती है.
अपने ओल्ड रिजीम होम लोन को सही समय पर स्विच या ट्रांसफर करें
अगर आप अपने पुराने होम लोन को नई इंटरेस्ट रिजीम में स्विच करने की सोच रहे हैं तो पहले ये देख लें कि आपके बैंक या NBFC की तरफ से नए ग्राहकों को EBLR के तहत कितनी ब्याज दर का ऑफर दिया जा रहा है? अगर नए ग्राहकों को काफी कम ब्याज दर ऑफर की जा रही है, तो आप नॉमिनल फीस देकर नई रिजीम में स्विच करने की सोच सकते हैं. लेकिन अगर आपका बैंक ये सुविधा देने को तैयार नहीं है या फिर दूसरे लेंडर काफी कम ब्याज दर ऑफर कर रहे हैं, तो आप अपने होनलोन को दूसरे बैंक या NBFC में ट्रांसफर करना बेहतर होगा. इससे आप पर ब्याज का बोझ काफी कम हो सकता है.
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अगर आपका लोन EBLR पर आधारित है तो क्या करें?
अगर आपका होन लोन पहले से ही एक्सटर्नल बेंचमार्क लिंक्ड रेट (EBLR) पर आधारित है,तो आपको अपने मौजूदा बैंक या NBFC से बेहतर रेट मिलने की संभावना बहुत ही कम होगी. ऐसी हालत में आप अपनी ब्याज दर की तुलना दूसरे बैंकों या NBFC के ऑफर से करके फैसला ले सकते हैं. अगर आपकी मौजूदा ब्याज दर और बाजार में मौजूद ऑफर्स में 0.5 फीसदी से ज्यादा का अंतर है, तो आपके लिए लोन ट्रांसफर कराना फायदेमंद साबित होगा. हालांकि इस बारे में कोई भी फैसला करने से पहले यह जरूर देख लें कि नया लेंडर कितना भरोसेमंद और ट्रांसपैरेंट है. आमतौर पर सरकारी बैंक या वित्तीय संस्थान अपनी नीतियों की जानकारी देने में ज्यादा पारदर्शिता बरतते हैं. अगर अपना लोन प्राइवट लेंडर के पास ट्रांसफर कराना हो, तो बड़े और प्रतिष्ठित बैंकों को प्राथमिकता देनी चाहिए.
क्रेडिट स्कोर में सुधार का फायदा उठाएं
अगर आपने अपना मौजूदा होम लोन कई साल पहले लिया था और उसके बाद आपकी वित्तीय स्थिति, मसलन वेतन वगैरह में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है और आपने अब तक अपनी ईएमआई हमेशा वक्त पर अदा की है, तो आप अपने ताजा क्रेडिट स्कोर के आधार पर बैंकों और वित्तीय संस्थानों से बेहतर लोन ऑफर हासिल करने की कोशिश कर सकते हैं. अगर बरसों पहले लोन लेते समय आपका क्रेडिट स्कोर उतना अच्छा नहीं था, तो हो सकता है बेहतर क्रेडिट स्कोर के कारण आपको कम ब्याज दर पर लोन मिल जाए. प्रॉपर्टी की वैल्यूएशन में हुई बढ़ोतरी की वजह से भी आपको बेहतर टर्म्स पर होम लोन मिल सकता है.
लोन को जल्दी चुकाने की कोशिश करें
अगर आपका कोई निवेश या एसेट काफी कम रिटर्न दे रहा है या आपके पास सरप्लस फंड उपलब्ध है, तो आप अपने महंगे होमलोन को जल्दी चुकाने की कोशिश कर सकते हैं. अगर आप पूरा लोन वक्त से पहले नहीं भी चुका सकते, तो भी उसका कुछ हिस्सा पहले देकर आप ब्याज का बोझ कम कर सकते हैं. कुछ साल पहले तक बैंक एफडी पर महज 5-6 फीसदी ब्याज ही मिल रहा था. अगर आपके पास भी कोई ऐसी एफडी पड़ी है, तो आप उसे तोड़कर ऊंचे ब्याज वाल होम लोन का बोझ कम कर सकते हैं.
न्यू टैक्स रिजीम का कैलकुलेशन भी जांच लें
एक बात और, अगर आप होम लोन के इंटरेस्ट और प्रिंसिपल री-पेमेंट पर मिलने वाले इनकम टैक्स बेनिफिट की वजह से प्री-पेमेंट करने में हिचकते रहे हैं, तो अब आपके सामने न्यू इनकम टैक्स रिजीम का विकल्प भी मौजूद है, जिसमें कुछ खास इनकम स्लैब वाले लोगों को होम लोन के प्रिंसिपल और इंटरेस्ट पर मिलने वाले टैक्स बेनिफिट के बिना भी आपको पहले के मुकाबले कम टैक्स भरना पड़ेगा. तो अपने टैक्स सलाहकार की मदद से आप इसका कैलकुलेशन भी देख लें और फिर इस बारे में फैसला करें.