Mutual Fund Investment: म्यूचुअल फंड के प्रति निवेशकों का आकर्षण बढ़ रहा है. अब मान लेते हैं कि आपने किसी म्यूचुअल फंड स्कीम में पैसे लगाए हैं और फंड मैनेजर उस पैसे से किसी कंपनी के शेयर या डेट सिक्योरिटीज खरीदने की बजाय उस पैसे को किसी अन्य म्यूचुअल फंड स्कीम में पैसे लगाता है. इस केस में आपके पैसे फंड ऑफ फंड (FoF) स्कीम में लगते हैं और यह निवेशकों के लिए रेगुलर फंड्स के अतिरिक्त निवेश विकल्प है.
फंड ऑफ फंड का फंड मैनेजर आपके पैसे से किसी अन्य म्यूचुअल फंड स्कीम के यूनिट्स की खरीदारी करता है. यह कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे कि गोल्ड फंड ऑफ फंड, इंटरनेशनल ईटीएफ में निवेश करने वाला एफओएफ, मल्टी-एसेट एफओएफ का मल्टी मैनेजर एफओएफ.हालांकि अब यहां सवाल यह उठता है कि क्या फंड ऑफ फंड में पैसे लगाना सही है और इसमें किन परिस्थितियों में निवेश करना चाहिए? यहां उन परिस्थितियों के बारे में स्क्रिपबॉक्स के मुख्य निवेश अधिकारी अनूप बंसल ने जानकारी दी है कि कब एफओएफ में पैसे लगाने चाहिए और कब नहीं.
इन परिस्थितियों में FoF में पैसे लगाना सही
- अगर कोई निवेशक इंवेस्टमेंट पोर्टफोलियो को लेकर पैसिव आउटलुक रखता है तो वह अपने पोर्टफोलियो में एसेट एलोकेशन या/और प्रोडक्ट लेवल पर फंड ऑफ फंड का विकल्प चुन सकता है.
- किसी देश या कमोडिटी पर आधारित ईटीएफ का एफओएफ ईटीएफ की तुलना में निवेश के लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है क्योंकि इसमें खरीद भाव एनएवी होगी जो कारोबारी दिन के आखिरी में बेंचमार्क वैल्यू के अधिक करीब होगी.
- अगर किसी हाई-नेट-वर्थ प्रोडक्ट और कम लिक्विड प्रोडक्ट में निवेश करना हो और जहां निवेश के लिए अधिक इंवेस्टमेंट लिमिट हो, वहां फंड ऑफ फंड्स में पैसे लगाना बेहतर है.
ऐसे मामलों में एफओफ में निवेश बेहतर नहीं
- अगर निवेशक के हिसाब से एफओएफ पैसिव एलोकेशन वाला है तो भी एफओएफ का फंड मैनेजर सभी एसेट क्लास में पैसे लगा सकता है. अगर पोर्टफोलियो में कई एफओएफ हैं तो पोर्टफोलियो के एसेट एलोकेशन में बहुत एक्टिव रिस्क हो सकता है.
- इक्विटी फंड ऑफ फंड्स में निवेश बेहतर नहीं कह सकते क्योंकि इसमें डेट फंड पर लगने वाले टैक्स के समान ही टैक्स चुकाना होता है और फिर आपका रिटर्न कम हो सकता है जबकि इक्विटी पर शॉर्ट टर्म में 15 फीसदी और लांग टर्म में 10 फीसदी टैक्स देना होता है.
(आर्टिकल: सुनील धवन)