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Old vs New Tax Regime: नई और पुरानी टैक्स रिजीम के बीच किसका करें चुनाव? फैसले से पहले चेक करें हर जरूरी डिटेल

Old vs New Tax Regime : न्यू टैक्स रिजीम को अब डिफॉल्ट टैक्स स्कीम बना दिया गया है. अगर आपने टैक्स रिजीम के बारे में खुद कोई फैसला करके एंप्लॉयर को नहीं बताया तो आप नई टैक्स रिजीम के दायरे में आ जाएंगे.

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Old vs New Tax Regime: नए वित्त वर्ष में किसी भी टैक्स रिजीम को चुनने से पहले दोनों के फायदे-नुकसान को अच्छी तरह समझना जरूरी है.

Old vs New Tax Regime : Which one should you opt? : क्या आपके एंप्लॉयर ने भी आपको ये बताने को कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष में आप कौन सी इनकम टैक्स रिजीम अपनाना चाहते हैं? बरसों से चली आ रही ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime), जिसमें ढेर सारे डिडक्शन और एग्जम्पशन का लाभ मिलता है या फिर बेहतर टैक्स स्लैब वाली न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime)? अगर आप अब तक इस बारे में किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पाए हैं, तो कोई भी फैसला करने से पहले दोनों टैक्स रिजीम के फायदे-नुकसान को अच्छी तरह समझ लें.

पहले से बेहतर हुई नई टैक्स रिजीम

पिछले साल तक नई टैक्स रिजीम को अपनाने वाले कर्मचारियों की संख्या काफी कम थी. यही वजह है कि केंद्र सरकार ने नए वित्त वर्ष के लिए न्यू टैक्स रिजीम में कई अहम बदलाव करके उसे पहले से बेहतर बना दिया है.

  • मौजूदा वित्त वर्ष से न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट टैक्स स्कीम बना दिया गया है.
  • यानी अगर आपने अपनी टैक्स रिजीम चुनने के बारे में खुद कोई फैसला करके उसकी जानकारी अपने एंप्लॉयर को नहीं दी, तो आप खुद ब खुद नई टैक्स रिजीम के दायरे में आ जाएंगे.

नई टैक्स रिजीम में ज्यादातर टैक्स डिडक्शन और एग्जम्पशन का लाभ नहीं मिलता है. इसलिए आप अगर अब तक उनका लाभ लेते आ रहे हैं, तो नए वित्त वर्ष में अपना नफा-नुकसान समझकर वक्त रहते सही फैसला जरूर कर लें.

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न्यू टैक्स रिजीम में क्या-क्या बदला है?

केंद्र सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम में कई ऐसे बदलाव किए हैं, जो 1 अप्रैल 2023 से लागू हो गए हैं.

  • न्यू टैक्स रिजीम के टैक्स स्ट्रक्चर में अब 7 की जगह 5 स्लैब ही हैं. 3 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है. इसके बाद 3 से 6 लाख तक 5 फीसदी, 6 से 9 लाख तक 10 फीसदी, 9 से 12 लाख तक 15 फीसदी 12 से 15 लाख तक 20 फीसदी और 15 लाख से ज्यादा आमदनी पर 30 फीसदी टैक्स लगता है.
  • सेक्शन 87A के तहत टैक्स में रिबेट की सीमा को बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया गया है. इसका मतलब ये है कि 7 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वाले लोगों को अब न्यू टैक्स रिजीम में कोई इनकम टैक्स नहीं देना पड़ेगा. ओल्ड टैक्स रिजीम में यह लाभ 5 लाख रुपये तक की आय पर ही मिलता है.
  • न्यू टैक्स रिजीम में पहली बार स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ भी दिया जा रहा है. पिछले साल तक यह लाभ सिर्फ ओल्ड टैक्स रिजीम में ही मिलता था.
  • वेरी हाई इनकम ग्रुप यानी 5 करोड़ रुपये से ज्यादा सालाना आय वाले लोगों के लिए सरचार्ज की दर 37% से घटाकर 25% कर दी गई है. लिहाजा, इस आयवर्ग के लोगों के लिए अब नई टैक्स रिजीम काफी फायदेमंद हो गई है.

पुरानी स्कीम में अब भी है दम

नई टैक्स रिजीम में हुए तमाम बदलावों के बावजूद कई फायदे अब भी सिर्फ पुरानी टैक्स रिजीम में ही उपलब्ध हैं. यही वजह है कि इन तमाम डिडक्शन और एग्जम्पशन का लाभ लेने वालों को अब भी पुरानी टैक्स रिजीम आमतौर पर ज्यादा फायदेमंद लगती है. हालांकि इस बारे में कोई भी फैसला हर मामले पर अलग से विचार करके ही लिया जाना चाहिए.

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किनके लिए फायदेमंद है कौन सी स्कीम?

  • अगर आपकी आय 7 लाख रुपये तक है तो आपके लिए नई टैक्स रिजीम (New Tax Regime) बेहतर है, क्योंकि उसमें आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा. इसके अलावा नई टैक्स रिजीम में इस साल से 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिल रहा है, जो पिछले साल तक नहीं मिल रहा था.
  • 7 लाख रुपये से ज्यादा सालाना आमदनी वालों को अपनी टैक्स रिजीम का फैसला करने से पहले अपने टैक्स सेविंग निवेश और डिडक्शन्स की स्थिति को देखना होगा.
  • अगर आपने टैक्स बचाने के लिए कोई निवेश नहीं किया है और न ही किसी तरह का डिडक्शन क्लेम करने की हालत में हैं, तब भी आपके लिए नई टैक्स रिजीम ही बेहतर है, क्योंकि नई योजना में टैक्स की दरें कम हैं और टैक्स बचाने वाले किसी निवेश की जरूरत नहीं है.
  • अगर आपके इनकम टैक्स बचाने के लिए सिर्फ 80C के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये की छूट का ही लाभ लेने वाले हैं, तो भी इस बात की काफी संभावना है कि नई टैक्स रिजीम ही आपके लिए बेहतर होगी, क्योंकि उसमें आपको टैक्स की कम दरों और बेहतर स्लैब का फायदा मिलेगा.
  • अगर आप 80C के अलावा होम लोन पर मिलने वाली टैक्स छूट का भी लाभ लेते हैं, तो आपके लिए पुरानी टैक्स रिजीम बेहतर साबित हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि पुरानी टैक्स रिजीम में आप सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये की लिमिट में होम लोन के प्रिंसिपल री-पेमेंट पर टैक्स छूट लेने के साथ ही इंटरेस्ट री-पेमेंट पर भी 2 लाख रुपये तक की टैक्स छूट ले सकते हैं. इस तरह आपको सीधे-सीधे 3.5 लाख रुपये का टैक्स डिडक्शन मिलता है, जो नई टैक्स रिजीम में उपलब्ध नहीं है.
  • अगर आप किराए के मकान में रहते हैं और उसके एवज में अच्छी-खासी रकम पर HRA के तहत टैक्स छूट लेते हैं, तो भी पुरानी टैक्स रिजीम आपके लिए बेहतर हो सकती है.
  • नई टैक्स रिजीम में LTA और प्रोफेशनल टैक्स पर मिलने वाली टैक्स छूट का लाभ भी नहीं मिलता है. लिहाजा इनका फायदा लेने वालों को भी पुरानी टैक्स रिजीम में बने रहने पर विचार करना चाहिए.
  • इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सही फैसले तक पहुंचने में आपकी मदद करने के लिए एक टैक्स कैलकुलेटर लॉन्च किया है, जो यहां उपलब्ध है : https://incometaxindia.gov.in/Pages/tools/115bac-tax-calculator-finance-bill-2023.aspx
  • आप इस कैलकुलेटर में अपनी आय और निवेश समेत सारी जरूरी जानकारी भरकर यह जान सकते हैं कि किस टैक्स रिजीम में आपकी टैक्स देनदारी कितनी होगी. दोनों की तुलना करके आप आसानी से यह फैसला कर सकते हैं कि कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर है.

First published on: 11-04-2023 at 17:58 IST

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