Banking System: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने के फैसले के बाद इस करेंसी को बदलने या जमा कराने की प्रक्रिया बैंकों द्वारा शुरू कर दी गई है. बैंकिंग एक्सपर्ट मान रहे हैं कि इससे बैंक डिपॉजिट करीब 2 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ जाएगा. जिसके चलते बैंकिंग सिस्टम की सेहत में सुधार होगा. फिलहाल रिजर्व बैंक के फैसले से बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी, बैंक डिपॉजिट और इंटरेस्ट रेट पर असर होगा. वहीं इससे आम आदमी के फाइनेंस और निवेश व बचत पर भी कुछ असर होगा. बता दें कि मार्च 2023 के अंत तक 2000 रुपये के 10.8% नोट सर्कुलेशन में थे, जिनकी वैल्यू 3.62 लाख करोड़ रुपये थी. जबकि मार्च 2018 में 6.73 लाख करोड़ रुपये वैल्यू के 2000 रुपये के नोट प्रचलन में थे.
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट ‘इकोरैप’ के अनुसार 2000 रुपये का नोट वापस लेने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा 131 दिन का समय दिया गया है. 2,000 रुपये के नोट के तौर पर कुल 3.6 लाख रुपये की करेंसी मौजूद है और यह पूरी राशि बैंकिंग सिस्टम में वापस आने की उम्मीद है. रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2,000 रुपये के कुल नोट में से 10 से 15 फीसदी करेंसी चेस्ट में होंगे. इसका कैश, बैंक डिपॉजिट और ब्याज दरों पर पॉजिटिव असर देखने को मिलेगा.
बैंकिंग सेक्टर का सुधरेगा प्रदर्शन
बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम का कहना है कि 2000 रुपये के नोट सिस्टम में आने से बैंकिंग सेक्टर की सेहत में सुधार देखने को मिलेगा. बैंकों को डिपॉजिट की जरूरत है और रिजर्व बैंक के फैसले से उन्हें यह डिपॉजिट मिल जाएगा. बैंक के पास पैसा आएगा तो वह इसे यूटिलाइज कर सकेगा. इससे मार्केट में भी पैसा आएगा. ओवरआल बैंकिंग सिस्टम की सेहत में सुधार से बैंकिंग फंड का प्रदर्शन बेहतर रह सकता है.
डिपॉजिट रेट बढ़ाने का दबाव होगा कम
निगम के अनुसार बैंकिंग सिस्टम को जरूरी डिपॉजिट मिलने से बैंकों पर डिपॉजिट रेट बढ़ाने का दबाव कम होगा. यानी शॉर्ट टर्म में फिक्स्ड डिपॉजिट के रेट स्टेबल रह सकते हैं. हालांकि इसे कम किए जाने की संभावना कम है.
इंटरेस्ट रेट पर मिल सकती है राहत
बैंकिंग एक्सपर्ट के अनुसार बैंकों में डिपॉजिट बढ़ने से लिक्विडिटी में सुधार होगा. इससे बॉरोइंग की कंडीशन में भी सुधार होगा. इसका एक असर यह हो सकता है कि पर्याप्त कैश के चलते इंटरेस्ट रेट हाइक पर पॉज लग सकेगा या आगे चलकर बैंक कर्ज की दरों में कमी कर सकते हैं. यह आम आदमी से लेकर रियल्टी सेक्टर के लिए पॉजिटिव कदम होगा.
शॉर्ट टर्म गवर्नमेंट सिक्योरिटीज के घट सकते हैं रेट
रिजव्र बैंक के इस फैसले से बैंकों की लिक्विडिटी में सुधार देखने को मिलेगा. ऐसे में बॉन्ड मार्केट में भी इसका असर देखने को मिलेगा. लिक्विडिटी में सुधार आने से शॉर्ट टर्म के गवर्नमेंट सिक्योरिटीज पर इंटरेस्ट रेट घट सकता है.
कुछ पैसा लग्जरी में हो सकता है खर्च
आईआईएफएल के वीपी रिसर्च, अनुज गुप्ता का कहना है कि कुछ लोग जिनके पास 2000 रुपये के पर्याप्त नोट हैं, वे टैक्सेशन से बचने के लिए दूसरी जगहों पर इस करेंसी को खर्च कर सकते हैं. जैसा कि साल 2016 में नोटबंदी के दौरान देखने को मिला था. मसलन शॉर्ट टर्म के लिए फिजिकल गोल्ड बॉइंग में तेजी आ सकती है. सोना खरीदने के लिए लोग 2000 रुपये के नोट का इस्तेमाल करेंगे. वहीं प्रॉपर्टी मार्केट में भी कुछ लोग यह पैसा लगाएंगे. इसके अलावा कुद अन्य लग्जरी आइटम की भी खरीदारी बढ़ सकती है.