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Tax Saving: अंतिम मिनट की हड़बड़ी में है नुकसान, पूरे साल निवेश को बनाएं आदत, ELSS हो सकता है बेस्ट विकल्प

Tax Saving: मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 अब खत्म होने में कुछ दिन ही बचे हैं, ऐसे में बहुत से लोग टैक्स बचाने के लिए विकल्पों की तलाश में हैं.

ELSS for Tax Saving
ELSS: ईएलएसएस में नियमित रूप से निवेश के साथ दौलत बनाने का बेहतर अवसर है.

ELSS for Tax Saving: मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 अब खत्म होने में कुछ दिन ही बचे हैं, ऐसे में बहुत से लोग टैक्स बचाने के लिए विकल्पों की तलाश में हैं. इनमें से बहुत से लोग ऐसे भी हो सकते हैं कि अंतिम घंटों की हड़बड़ी के चलते शायद उचित विकल्प चुनने की बजाए हड़बड़ी में निवेश कर रहे हों, ताकि उन्हें इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत टैक्स सेविंग का लाभ मिल सके. लेकिन यह गलत स्ट्रैटेजी है. साल खत्म होने के अंतिम दिनों की बजाए टैक्स सेविंग के लिए पूरे साल अनुशासन में रहकर किया गया निवेश आपको ज्यादा फायदा दिला सकता है. अगर आप टैक्‍स बचत के लिए कुछ ऐसा ही विकल्प तलाश रहे हैं तो यहां इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ईएलएसएस में नियमित रूप से निवेश के साथ दौलत बनाने का बेहतर अवसर है.

क्यों आती है परेशानी

जब बात हमारे वित्‍त की आती है, तो हमने कुछ बेसिक या ट्रेडिशनल आदतें हासिल कर ली हैं. उदाहरण के लिए, एक नियमित आय हमें अपने रोज के खर्चों के भुगतान करने में मदद करती है. इस बात की संभावना है कि हमने बचत/निवेश पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय आसानी से खर्च करने की आदत विकसित कर ली है. इसका एक कारण यह है कि खर्च करने की प्रवृत्ति आसान, वास्तविक और हमें तुरंत संतुष्टि देने वाली होती है.

दूसरी ओर, भविष्य के लिए कोई लक्ष्य बनाकर उसे पूरा करने के लिए बचत करने से हमें तुरंत कोई संतुष्टि नहीं मिलती है. इस तरह से अधिकांश टैक्सपेयर यानी करदाता वित्त वर्ष के अंत में टैक्‍स बचत के लिए विकल्प तलाशना शुरू करते हैं. यह एक गलत आदत है, क्योंकि अंतिम समय में विकल्प तलाशने से वे सभी विकल्पों को अच्छी तरह से समझने में चूक जाते हैं.

80 सी: टैक्स बेनेफिट के लिए सही विकल्प जरूरी

सैलरीड टैक्सपेयर्स की बात करें तो प्रोविडेंट फंड डिडक्‍शन (भविष्य निधि कटौती) के माध्यम से उनके द्वारा टैक्‍स बचत के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान दिया जाता है. पीएम में निवेश होने वाले पैसे पर इनकम टैक्‍स एक्‍ट के धारा 80 सी के तहत टैक्स बेनेफिट मिलता है. लेकिन इस सेक्शन के तहत पीएफ योगदान के अलावा और भी कई विकल्पों के जरिए लाभ लिया जा सकता है. लेकिन इनमें से सही विकल्प चुनना जरूरी है.

ELSS हो रहा है पॉपुलर

इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) निवेश का एक ऐसा प्रोडक्ट है, जो निवेशकों के बीच धारा 80सी के तहत टैक्स बचाने का लोकप्रिय विकल्प बन गया है. ईएलएसएस किसी निवेशक को दोहरा लाभ प्रदान करता है. इसके जरिए आप टैक्‍स बचत करते ही हैं, साथ ही इक्विटी एक्सपोजर के चलते इसमें आपको बेहतर रिटर्न के जरिए दौलत बढ़ाने का भी अवसर मिलता है.

ELSS क्यों बेहतर विकल्प

ईएलएसएस का रिटर्न इक्विटी से लिंक होता है. एक एसेट क्लास के रूप में इक्विटी ने लंबे समय में अन्य एसेट क्लास की तुलना में बेहतर रिटर्न दिया है. निफ्टी 500 टीआरआई ने 15 मार्च, 2023 तक पिछले 10 साल में 13.32 फीसदी सीएजीआर रिटर्न दिया है (स्रोत: ब्लूमबर्ग). वहीं, ईएलएसएस में अन्य टैक्स सेविंग विकल्पों की तुलना में 3 साल की सबसे कम लॉक-इन अवधि है. जो टैक्सपेयर्स इक्विटी के साथ सहज हैं, वे ईएलएसएस पर विचार कर सकते हैं.

SIP का भी विकल्प

ईएलएसएस में निवेश करते समय एक सिस्‍टमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान (SIP) का विकल्प चुन सकते हैं. ईएलएसएस में एसआईपी के जरिए पूरे साल निवेश करने का विकल्प है. इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि आपके पास सिर्फ टैक्‍स बचाने के लिए किसी भी उत्पाद में निवेश करने की आखिरी मिनट की हड़बड़ी नहीं होती है. आखिरी मिनट में हड़बड़ी में किया गया निवेश आपके लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है.

वित्त वर्ष के शुरू में ही टैक्स सेविंग के उपाय क्यों जरूरी

वित्त वर्ष की शुरुआत में अगर टैक्‍स बचत के लिए निवेश की योजना बनाते हैं तो आपके पास अपनी अन्य वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए फंड की चिंता किए बिना प्लानिंग करने का अवसर होता है. इसी तरह, हर महीने टैक्‍स बचत की एक आटोमेटेड प्रक्रिया से आप में नियमित निवेश की आदत भी विकसित होती है.

पूरे साल एसआईपी के माध्यम से निवेश करने में लागत औसत हो जाती है और आपको समय के साथ बेहतर रिस्क एडजस्टेड रिटर्न मिलता है. इसलिए धारा 80 सी के तहत अपने पैसे को एसआईपी के माध्यम से ईएलएसएस में लगाना एक सही रणनीति साबित हो सकती है.

SIP टॉप अप की भी सुविधा

ईएलएसएस में निवेश करने से आपके पास जरूरत पड़ने पर अपना निवेश बढ़ाने का भी विकल्प होता है. जिससे आपको निवेश में बहुत जरूरी फ्लेक्सिबिलिटी का लाभ मिलता है. अभी एक नियमित राशि के साथ एसआईपी शुरू कर सकते हैं, जो आपको टैक्स बचत के लिए चाहिए. जैसे-जैसे आप अगला वित्त वर्ष खत्म होने के करीब आते हैं, अगर आपको धारा 80सी की सीमा के तहत 1.5 लाख रुपये की अधिकतम सीमा में कोई कमी दिखती है तो एसआईपी में योगदान बढ़ा सकते हैं.

(लेखक: श्रीनिवास राव रावुरी, CIO, पीजीआईएम इंडिया म्‍यूचुअल फंड)

First published on: 28-03-2023 at 14:27 IST

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