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मार्च में बीमा पॉलिसी के लिए आते हैं बेहिसाब फोन कॉल, फैसला करने से पहले जरूर चेक करें ये कैलकुलेशन

Traditional Policy Vs Term plan+MF: ट्रेडिशनल बीमा पॉलिसी में बड़े कवरेज के लिए भारी प्रीमियम चुकाना पड़ता है, लेकिन उतनी ही रकम अगर टर्म प्लान और म्यूचुअल फंड में निवेश करें तो कहीं ज्यादा कवरेज और रिटर्न मिल सकता है.

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Traditional Policy Vs Term plan: एंडोमेंट प्लान के प्रीमियम की लागत को अगर आप टर्म प्लान और म्यूचुअल फंड SIP में बांटकर निवेश करें तो बेहतर कवरेज और रिटर्न मिल सकता है.

Traditional Insurance Policy Vs Term plan + MF: क्या आप भी मार्च के महीने में बीमा पॉलिसी बेचने के लिए आने वाले फोन कॉल्स से परेशान हो गए हैं, जिनमें आपको लगातार तरह-तरह के इंश्योरेंस प्लान बेचने की पेशकश की जाती है? 31 मार्च 2023 के बाद 5 लाख रुपये या उससे ज्यादा सालाना प्रीमियम वाले इंश्योरेंस के मैच्योरिटी एमाउंट पर टैक्स बेनिफिट भी खत्म हो रहा है. लिहाजा ऐसे महंगे प्लान बेचने के लिए और भी ज्यादा फोन आ रहे हैं, जिनमें बताया जाता है कि ऐसी बीमा योजना में निवेश करने का ये आखिरी मौका है. लेकिन क्या आपको ऐसे किसी प्लान में वाकई निवेश करना चाहिए? इस बारे में कोई भी फैसला करने से पहले आइए जाने लेते हैं कि भारी-भरकम प्रीमियम वाले एंडोमेंट प्लान और कम प्रीमियम वाले टर्म प्लान में क्या अंतर है? इसके साथ ही यह जानना भी जरूरी है कि आप एंडोमेंट प्लान के प्रीमियम में लगाए गए पैसों को ही अगर टर्म प्लान और म्यूचुअल फंड के कंबिनेशन में बांटकर निवेश करें तो उस पर कितना रिटर्न मिल सकता है.

एंडोमेंट प्लान VS टर्म प्लान

एंडोमेंट प्लान का मतलब है ऐसी इंश्योरेंस पॉलिसी जिसमें आपको बीमा कवरेज के साथ ही साथ सर्वाइल पर मैच्योरिटी बेनिफिट भी मिलता है. यानी पॉलिसी टर्म खत्म होने के बाद तक इंश्योर्ड व्यक्ति के जीवित रहने पर एकमुश्त रकम भी मिलती है. इस प्लान में कवरेज के हिसाब से प्रीमियम काफी अधिक देना पड़ता है. ऐसे में एंडोमेंट प्लान में बड़ा कवरेज लेना काफी महंगा हो जाता है. वहीं प्योर टर्म प्लान में सिर्फ लाइफ कवरेज मिलता है, लेकिन सर्वाइवल पर मैच्योरिटी बेनिफिट कुछ भी नहीं मिलता. यही वजह है कि टर्म प्लान में प्रीमियम काफी कम होता है, जिसकी वजह से काफी बड़ा कवरेज लेना भी अफोर्डेबल हो जाता है.

कवरेज + रिटर्न के लिए क्या है सही रणनीति?

एंडोमेंट प्लान में निवेश पर रिटर्न का आकर्षण रहता है. यही वजह है कि देश में बीमा कराने वाले ज्यादातर लोग इसमें पैसे लगाते हैं. एंडोमेंट प्लान में बीमा एजेंट्स को कमीशन भी अच्छा-खासा मिलता है. लिहाजा, वे भी इसी को बेचने में दिलचस्पी लेते हैं और बीमा एजेंट को ही निवेश सलाहकार मानने वाले अधिकांश लोग उनके कहने पर ही एंडोमेंट प्लान में पैसे लगा देते हैं. टर्म प्लान बेहद किफायती होने के बावजूद मेच्योरिटी बेनिफिट नहीं मिलने के कारण कम लोकप्रिय है. बीमा एजेंट भी इन्हें बेचने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते. लेकिन एक निवेशक को इस बारे में कोई भी फैसला करने से पहले ये देखना चाहिए कि उसके लिए कौन सा प्लान ज्यादा फायदेमंद है.

कवरेज के लिहाज से बेमिसाल है टर्म प्लान

सिर्फ इंश्योरेंस के लिहाज से देखें, तो टर्म प्लान का कोई मुकाबला ही नहीं है. क्योंकि एक आम मिडिल क्लास व्यक्ति के लिए 1 या 2 करोड़ रुपये के कवरेज वाला इंश्योरेंस प्लान लेना सिर्फ टर्म पॉलिसी में ही संभव है. एंडोमेंट प्लान में इतना बड़ा कवरेज लेने के लिए साल में लाखों रुपये प्रीमियम चुकाना पड़ सकता है, जो ज्यादातर लोगों के लिए संभव नहीं हो सकता. इसके बावजूद कई बार लोग कम कवरेज के बावजूद महंगे एंडोमेंट प्लान सिर्फ इसलिए खरीदते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है इसके जरिए बीमा के साथ-साथ निवेश का लक्ष्य भी पूरा किया जा सकता है. लेकिन बीमा और निवेश के दोहरे लक्ष्य को पूरा करने का एक और बेहतर तरीका है. और वो है टर्म प्लान और म्यूचुअल फंड के कंबिनेशन में निवेश करना. नीचे दिए उदाहरण से पूरी बात को अच्छी तरह साफ हो जाएगी.

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1 करोड़ के कवरेज के लिए क्या है सही प्लान?

30 साल के किसी नॉन-स्मोकर यानी सिगरेट-तंबाकू का सेवन नहीं करने वाले पुरुष को 1 करोड़ रुपये के कवरेज वाला एलआईसी का न्यू एंडोमेंट प्लान लेने पर 15 साल तक हर साल 7,00,882 रुपये यानी हर महीने करीब 59,652 रुपये देने होंगे. कम ही लोग होंगे जो इतना प्रीमियम आसानी से दे पाएंगे. फिर भी निवेश की सही स्ट्रैटजी बनाने के लिए इस प्लान के बेनिफिट्स को समझ लेते हैं. तो ऊपर बताए एंडोमेंट प्लान के लिए 15 साल तक भारी भरकम प्रीमियम देने के बाद मेच्योरिटी बेनिफिट इस तरह होगा:

  • सम एश्योर्ड : 1 करोड़ रुपये
  • प्रीमियम पेड : 1,03,01,952 रुपये
  • बोनस : 57,00,000
  • फाइनल एडिशनल बोनस : 2,00,000
  • कुल मेच्योरिटी बेनिफिट : 1,59,00,000 रुपये

1 करोड़ रुपये का यही कवरेज अगर टर्म प्लान के तौर पर लिया जाए प्रीमियम कई गुना कम हो जाएगा. मिसाल के तौर पर 30 साल के उसी नॉन-स्मोकिंग पुरुष को एलआईसी का प्योर टर्म प्लान ‘जीवन अमर’ लेने पर 15 साल के पॉलिसी टर्म के लिए महज 11,517 रुपये सालाना प्रीमियम देना होगा. यानी सिर्फ 1000 रुपये मंथली!

टर्म प्लान से बचे पैसों का करें नियमित निवेश

एंडोमेंट प्लान से तुलना करें तो टर्म प्लान के जरिए 1 करोड़ रुपये का कवरेज लेने के बाद उस शख्स के पास हर महीने 58,500 रुपये से ज्यादा रकम निवेश के लिए बच जाएगी. इस रकम को वो अगर हर महीने म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिए निवेश करे तो 15 साल तक निवेश करने के बाद उसे अच्छी-खासी रकम मिल जाएगी. 15 साल तक औसतन 8 फीसदी सालाना रिटर्न के हिसाब से भी यह 2 करोड़ 3 लाख रुपये से ज्यादा होगी. इसमें 1 करोड़ 5 लाख 30 हजार रुपये निवेशक ने SIP के तौर पर दिए होंगे, जबकि बाकी रकम रिटर्न की होगी.

अगर औसत सालाना रिटर्न 8 फीसदी की जगह 10 फीसदी हो तो 15 साल बाद 2.44 करोड़ रुपये मिलेंगे. जबकि 12 फीसदी रिटर्न मिलने पर यह रकम 2.95 करोड़ रुपये हो सकती है. म्यूचुअल फंड में 8, 10 या 12 फीसदी रिटर्न मिलना कोई मुश्किल बात नहीं है.

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बीमा और निवेश को अलग-अलग रखने का फायदा

टर्म प्लान और म्यूचुअल फंड में बांटकर निवेश करने की स्ट्रैटेजी का एक फायदा यह भी है कि आप अपने परिवार की आर्थिक सुरक्षा के हिसाब से बड़ा कवरेज लेने का फैसला आसानी से कर सकते हैं. और फिर निवेश की क्षमता के हिसाब से मनचाहा म्यूचुअल फंड ले सकते हैं. भविष्य में आमदनी बढ़ने पर आप SIP के जरिए किए जाने वाले निवेश को बड़ी आसानी से बढ़ा भी सकते हैं. इंश्योरेंस पॉलिसी में उम्र बढ़ने के साथ-साथ प्रीमियम तेजी से बढ़ता है, जिससे आपका नुकसान होता है. जबकि म्यूचुअल फंड में निवेश बढ़ाने पर ऐसा कोई नुकसान नहीं होता. लिहाजा, यह रणनीति आपको जरूरत के हिसाब से ज्यादा फ्लेक्सिबल ऑप्शन भी मुहैया कराती है.

First published on: 10-03-2023 at 17:11 IST

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