सुबह खाली पेट भिगोई हुई सौंफ का पानी पीने से पेट की जलन और सूजन कम होती है. यह एक नेचुरल कूलेंट की तरह काम करता है और पाचन को बेहतर बनाता है.
फल अगर भारी खाने के साथ खाए जाएं, तो पेट में गैस और फर्मेंटेशन हो सकता है. इसलिए बेहतर है कि फल सुबह खाली पेट या खाने से एक घंटे पहले खाएं.
जल्दी रात का खाना खाने से पेट को पचाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है. इससे गैस, अपच और नींद में खलल जैसी समस्याएं दूर रहती हैं.
गुन्द्रुक एक नेपाली डिश है जो फर्मेंटेड सब्जियों से बनती है. इसमें नेचुरल प्रोबायोटिक्स होते हैं जो अच्छे बैक्टीरिया बढ़ाकर पेट को मजबूत बनाते हैं.
भोजन के बाद एक गिलास ठंडी छाछ पिएं. ये आयुर्वेदिक टॉनिक आपके पेट को ठंडक देता है, पाचन सुधारता है और भारीपन दूर करता है.
खाने के बाद लेटना हो या सोना, तो बाईं करवट लेटना बेहतर है. इससे पाचन में मदद मिलती है और शरीर से अपशिष्ट बाहर निकलना आसान होता है.
ओडिशा में प्रचलित यह घरेलू उपाय गर्मी में पेट को ठंडक देता है, प्रोबायोटिक से भरपूर होता है और हाइड्रेशन भी बनाए रखता है.
ये जड़ी-बूटियां शरीर की भीतरी गर्मी कम करती हैं और पेट को शांत रखती हैं. आप इन्हें चटनी, जूस या काढ़े में इस्तेमाल कर सकते हैं.
मिट्टी या घास पर नंगे पांव चलने से तनाव कम होता है और शरीर का डाइजेस्टिव सिस्टम बेहतर काम करता है. इसे ग्राउंडिंग भी कहते हैं.
बहुत ठंडा पानी पाचन एंजाइम्स को कमजोर कर देता है, जिससे खाना देर से और मुश्किल से पचता है. बेहतर है गुनगुना या सामान्य तापमान का पानी पिएं.