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वॉरेन बफेट की वसीयत सिर्फ संपत्ति का वितरण नहीं है, बल्कि अगली पीढ़ी को जिम्मेदार और मेहनती बनाने की एक सोची-समझी योजना है. यह आम आदमी से लेकर अरबपति तक सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
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बफेट चाहते हैं कि उनके बच्चे इतनी संपत्ति पाएं कि वे अपने सपने पूरे कर सकें, लेकिन इतनी नहीं कि वे मेहनत करना छोड़ दें. उन्होंने अपने बच्चों को सीमित मदद दी, जिससे वे खुद की जिम्मेदारी समझें.
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बफेट का मानना है कि बच्चों को वसीयत की योजना में जल्द शामिल करना चाहिए, ताकि वे निर्णयों से चौंकें नहीं. वे बच्चों की राय को महत्व देते हैं और उन्हें निर्णय प्रक्रिया में शामिल करते हैं.
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बफेट अपने जीवन की कमाई का 995% हिस्सा दान कर रहे हैं, जिससे उनके बच्चों ने भी समाज सेवा की भावना विकसित की. उनका मानना है कि पैसा सिर्फ जमा करने की वस्तु नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने का साधन होना चाहिए.
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उन्होंने अपनी वसीयत में एक नियम जोड़ा है कि उनके बच्चे चैरिटी के फैसले सर्वसम्मति से ही ले सकें, जिससे वे अनचाहे दबावों और जटिलताओं से बच सकें.
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बफेट डायनेस्टिक वेल्थ के पक्षधर नहीं हैं. वे पीढ़ियों तक दौलत को जकड़कर रखने के बजाय जिम्मेदारियों के साथ भरोसे की भावना को आगे बढ़ाना चाहते हैं.
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इसके पीछे बफेट का तर्क है कि हम नहीं जानते कि भविष्य की पीढ़ियों की प्राथमिकताएं क्या होंगी, इसलिए बच्चों को सही संस्कार और निर्णय लेने की स्वतंत्रता देनी चाहिए.
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बफेट की सीखें सभी के लिए हैं, जो चाहते हैं कि वे सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि एक टिकाऊ असर छोड़ें. सोच-समझकर देना, खुलकर बातचीत करना और उदारता सिखाना उनकी सीखों का हिस्सा है.
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बफेट ने जोर दिया कि योजना बनाने की ताकत से परिवार मजबूत होता है, चाहे संपत्ति करोड़ों की हो या मामूली बचत. उनकी वसीयत अगली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक है.
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