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Budget 2022 Battery-Swapping Policy: बिना सरकार की मदद के बैट्री स्वैपिंग पॉलिसी नहीं होगी कारगर, इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने गिनाई ये दिक्कतें

Budget 2022 Battery-Swapping Policy: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में बैट्री के अदला-बदली नीति का एलान किया है.

Budget 2022 Battery-Swapping Policy: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में बैट्री के अदला-बदली नीति का एलान किया है.

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PTI
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Battery-swapping policy announced by finance minister nirmala sitharaman interesting but unlikely to succeed without government support

ऑटो इंडस्ट्री के दिग्गजों का मानना है कि जब तक बैट्री के अदला-बदली नीति को सरकार से मजबूत सहारा और सब्सिडी नहीं मिलता है, यह नीति सीमित रूप में ही कारगर साबित हो सकती है.

Budget 2022 Battery-Swapping Policy: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में बैट्री के अदला-बदली नीति (Battery-Swapping Policy) का एलान किया है. हालांकि ऑटो इंडस्ट्री के दिग्गजों का मानना है कि जब तक इसे सरकार से मजबूत सहारा और सब्सिडी नहीं मिलता है, यह नीति सीमित रूप में ही कारगर साबित हो सकती है. इसकी एक वजह यह भी है कि कार कंपनियां बैट्री की तकनीकी को साझा नहीं करती हैं.

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शहरों में जगह की किल्लत के चलते खास पॉलिसी का एलान

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देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए 39.44 लाख करोड़ रुपये के बजट में बैट्री के अदला-बदली नीति का ऐलान किया गया. वित्त मंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए जरूरी है कि बड़े पैमाने पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएं लेकिन शहरों में जगह की कमी को देखते हुए बैट्री-स्वैपिंग पॉलिसी लाई जाएगी. उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों को बैट्री व एनर्जी सर्विस के लिए एक सस्टेनेबल बिजनस मॉडल अपनाने की जरूरत है जिससे देश में ईवी इकोसिस्टम में सुधार होगा.

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ये दिक्कतें आ सकती हैं आड़े

ऑटो इंडस्ट्री के एक एक्सपर्ट और कोर्नेल यूनिवर्सिटी ऑफ इंडस्ट्रियल एंड लेबर रिलेशंस में लेबर स्टडीज के डायरेक्टर आर्थर व्हीटन का कहना है कि बैट्री स्वैपिंग का विचार दिलचस्प है लेकिन बिना सरकार की भागीदारी के इसे बेहतर तरीके से लागू नहीं किया जा सकता है. व्हीटन के मुताबिक कार कंपनियां बैट्री की तकनीक को साझा नहीं करती हैं. व्हीटन ने सभी कार कंपनियों को बैटरियों के डिजाइन और तकनीक को समान किए जाने की जरूरत बताई. इसके अलावा बैट्री पैक बनाना बहुत महंगा है और लीथियम व कोबाल्ट की सीमित आपूर्ति की भी दिक्कत है जिसके चलते बैट्री-स्वैपिंग पॉलिसी को बिना सरकार के मजबूत सहारे व सब्सिडी के बड़े पैमाने पर कारगर ढंग से लागू करना संभव नहीं है.

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