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ऑटो सेक्टर को बजट से न सिर्फ टैक्स राहत की उम्मीद है बल्कि नई पहल व आरएंडडी को लेकर इंसेंटिव की भी उम्मीद है. (Image- Pixabay)
Budget Suggestions for EV Segment: कोरोना महामारी के चलते भारत समेत दुनिया भर की इकानमी को तगड़ा झटका लगा है. अगले वित्त वर्ष 2022-23 का बजट एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री पेश करेंगी और इस बजट से उम्मीद है कि यह इकॉनमी को सहारा देने वाला होगा. कोरोना महामारी के चलते ऑटो सेक्टर को भी तगड़ा झटका लगा है और चिप की किल्लत ने इस सेक्टर की परेशानियों में अतिरिक्त बढ़ोतरी की हैं. आने वाला दौर इलेक्ट्रिक गाड़ियों (ईवी) का है. ऐसे में बजट से खासा उम्मीदें जुड़ी हुई हैं कि यह न सिर्फ ऑटो सेक्टर को सहारा देने वाला होगा बल्कि ईवी सेग्मेंट को प्रोत्साहन मिलेगा. ऑटो सेक्टर को बजट से न सिर्फ टैक्स राहत की उम्मीद है बल्कि नई पहल व आरएंडडी को लेकर इंसेंटिव की भी उम्मीद है. आगामी बजट से उम्मीद है कि यह मांग को बढ़ावा देगा.
हर 20 किमी पर चार्जिंग स्टेशंस की मांग
हाई-स्पीड मोटरसाइकिल बनाने वाली Trouve Motor के फाउंडर और सीईओ अरुण सनी के मुताबिक ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगी तो ईवी की बिक्री भी बढ़ेगी. उन्होंने हाइवेज पर हर 20 किमी पर एक चार्जिंग स्टेशंस बनाए जाने की वकालत की है. इसके लिए उन्होंने वित्त मंत्री से अपील की है कि इंफ्रा-डेवलपमेंट पर इंसेटिंव दिया जाए और बैटरी बदलने से जु़ड़े नियम व योजनाओं से भी मदद मिलेगी. इसके अलावा अरुण सनी के मुताबिक बैट्री व ईवी के अन्य पार्ट्स पर जीएसटी में राहत की मांग की है क्योंकि इससे लागत को मैनेज करने में आसानी रहेगी. इसके अलावा उन्होंने स्क्रैप पॉलिसी के तहत घरेलू ईवी कंपनियों को टैक्स बेनेफिट्स की मांग की है जो कबाड़ से ईवी बनाते हैं.
छोटी कंपनियों को सरकार से इंसेंटिंव की उम्मीद
डेटा-ड्राइवेन रेटिंग व इंफॉर्मेशन डेटाबेस प्लेटफॉर्म Crediwatch की फाउंडर और सीईओ मेघना सूर्यकुमार का कहना है कि छोटे मैन्यूफैक्चरर्स और इससे जुड़े एसएमईज की कोई फॉर्मल क्रेडिट रेटिंग नहीं होती है तो ऐसी कंपनियों को बिजनेस बढ़ाने के लिए डिजिटलीकरण और तकनीक के इस्तेमाल को बजट के जरिए इंसेंटिंव दिया जाना चाहिए. इसके अलावा मेघना ने जीएसटी को लेकर भी राहत का अनुरोध किया है.
आसान फाइनेंसिंग से बढ़ सकती है ईवी की बिक्री
जेएमके रिसर्च व एनालिटिक्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2021 में पहली बार किसी महीने 50 हजार से अधिक इलेक्ट्रिक गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हुआ. पिछले महीने 50866 ईवी रजिस्ट्रर्ड हुई जो सालाना आधार पर 240 फीसदी अधिक रही. हालांकि अधिक कीमत और कर्ज मिलने में दिक्कतों के चलते इसका क्रेज अभी नहीं बन पाया है. ऐसे में फिनटेक डिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म RevFin Services के फाउंडर और सीईओ समीर अग्रवाल का मानना है कि अगर इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए फाइनेंस सुविधा उपलब्ध कराई जाए तो अगले कुछ वर्षों में इनकी बिक्री बढ़ेगी.
सरकार पैसेंजर इलेक्ट्रिक वेहिकल्स के लिए सब्सिडी का एलान कर चुकी है लेकिन कॉमर्शियल इलेक्ट्रिकल वेहिकल्स के लिए फाइनेंसिंग की दिक्कत है जिसे दूर किया जाए तो ग्रोथ दिख सकती है. अग्रवाल के मुताबिक वर्ष 2030 तक यह इंडस्ट्री 15 हजार करोड़ डॉलर (11.26 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच सकती है. ऐसे में उन्होंने वित्त मंत्री का ध्यान आसान तरीके से फाइनेंसिंग की सुविधा उपलब्ध कराने की तरफ आकर्षित कराया है.
चार्जिंग स्टेशंस पर सब्सिडी की मांग
HOP Electric के सीईओ केतन मेहता ते मुताबिक बजट में देश भर में फास्ट-चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्टर के लिए प्रावधान किए जाने चाहिए. इसके लिए सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाली कंपनियों और कारोबारियों को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी दे सकती है. मेहता के मुताबिक अभी महाराष्ट्र, पंजाब और बिहार में चार्जिंग स्टेशंस के लिए कई स्तर की सब्सिडी दी जा रही है और ऐसी ही योजना को पूरे देश के लिए लाया जा सकता है जिससे इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री को प्रोत्साहन मिलेगा.
ग्राहकों को टैक्स बेनेफिट्स दिए जाने की मांग
मेहता ने वित्त मंत्री का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया है कि कच्चे माल पर अभी 18-28 फीसदी की जीएसटी दर है जबकि आउटवार्ड सप्लाई पर 5 फीसदी की दर से जीएसटी लगती है जिसे सुधारने की जरूरत है. मेहता का मानना है कि इसमें सुधार कर ईवी बनाने वाली कंपनियों के कैश फ्लो को ऑप्टिमाइज करने में मदद मिलेगी. ईवी खरीदने के लिए गए लोन पर 1.5 लाख रुपये का टैक्स एग्जेम्प्शन मिलता है. मेहता ने ऐसे और टैक्स बेनेफिट्स और सब्सिडीज दिए जाने की वकालत की है.