/financial-express-hindi/media/media_files/2025/02/06/9ZhaZ18qteljMDVJFxJj.jpg)
अगले महीने से ग्राहकों को अपनी पसंदीदा कारें खरीदने के लिए अधिक पैसे खर्च करने होंगे. (File Photo : Reuters)
Maruti Suzuki, Hyundai, Mahindra and Mahindra and more carmakers models costlier from April, Car Price Hike: अप्रैल से कारें महंगी होने वाली हैं क्योंकि कई कंपनियों ने कीमत बढ़ाने का एलान कर दिया है. इनमें मारुति सुजुकी, हुंडई, किआ, होंडा जैसी कंपनियां शामिल हैं. कीमत में बढ़ोतरी को लेकर कार बनाने वाली कंपनियों ने लगभग एक जैसी वजह बताई है. कार निर्माताओं का कहना है कि कीमत बढ़ाने का फैसला बढ़ती लागत और ऑपरेशनल खर्चों के कारण लिया गया है. अगले महीने से ग्राहकों को अपनी पसंदीदा कारें खरीदने के लिए अधिक पैसे खर्च करने होंगे.
मारुति की 4% तक बढ़ जाएगी कीमत
कार बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki India) अगले महीने से अपनी पूरी मॉडल रेंज की कीमतों में 4 फीसदी तक बढ़ोतरी का एलान किया है. फिलहाल मारुति विभिन्न मॉडल बेचती है, जिनमें एंट्री-लेवल Alto K-10 से लेकर मल्टी-पर्पस वाहन Invicto तक शामिल हैं. दिल्ली में कंपनी की गाड़ियों की कीमत 4.23 लाख से शुरू होकर 29.22 लाख तक है.
टाटा मोटर्स और महिंद्रा के गाड़ियों की बढ़ जाएगी कीमत
इसी तरह टाटा मोटर्न (Tata Motors) ने भी अपनी पैसेंजर वाहन रेंज, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहन भी शामिल हैं, की कीमतें अप्रैल 2025 से दूसरी बार इस साल बढ़ाने का ऐलान किया है. महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra & Mahindra) ने कहा है कि वह अप्रैल से अपनी SUVs और कमर्शियल वाहनों की कीमतें 3 फीसदी तक बढ़ाएगी.
हुंडई, किआ, होंडा और इन कंपनियों की गाड़ियां भी होंगी महंगी
हुंडई (Hyundai Motor India) ने अप्रैल 2025 से कारों की कीमतें 3 फीसदी तक बढ़ाने की बात कही है. कीमत बढ़ोतरी के लिए कार निर्माता ने बढ़ रही इनपुट लागत और ऑपरेशनल खर्चों को जिम्मेदार बताई है. किआ (Kia India), होंडा (Honda Cars India), रिनॉल्ट (Renault India) और बीएमडब्ल्यू (BMW) ने भी अगले महीने से अपनी गाड़ियों की कीमतें बढ़ाने का ऐलान किया है.
कीमत बढ़ोतरी की वजह
Deloitte के पार्टनर और ऑटोमोटिव सेक्टर लीडर रजत महाजन ने कहा कि भारत में कार बनाने वाली कंपनियां आमतौर पर दो बार नए कैलेंडर ईयर की शुरुआत और नए वित्त वर्ष की शुरुआत में कीमतें बढ़ाते हैं. 1 अप्रैल से वित्त वर्ष 2025-26 की शुरूआत हो रही है. उन्होंने कहा - वित्त वर्ष 2025-26 में वाहनों की कीमतों में बढ़ोतरी का कारण अलग-अलग हो सकते हैं, जैसे कि करेंसी फ्लक्चुएशन, जहां हमें वही उत्पाद, कच्चा माल या कंपोनेंट आयात करने के लिए ज्यादा रुपए खर्च करने पड़ते हैं. बीते 6 महीनों में अमेरिकी डॉलर ने रुपये के मुकाबले लगभग 3 फीसदी की बढ़त दिखाई है, जिससे उन कैटेगरी पर असर पड़ता है जो ज्यादा आयात पर निर्भर हैं, और इसका सीधा या परोक्ष प्रभाव इनपुट लागतों पर पड़ता है.
रजन महाजन ने कहा - अन्य कारणों में ये भी हो सकता हैं कि एंट्री-लेवल वाहनों की मांग कम हो रही है, खासकर पहले बार खरीदने वाले और ग्रामीण ग्राहकों से, जिससे मुनाफे पर दबाव पड़ रहा है. प्रीमियम सेगमेंट में कीमत की लचीलापन कम होती है और कोई भी कीमत में बढ़ोतरी मुनाफे को बढ़ा सकती है. इसके अलावा, कारों में जो नए फीचर्स जोड़े जा रहे हैं, वे भी पिछले कुछ तिमाहियों में कीमतों में बढ़ोतरी का कारण बने हैं. साथ ही, कार निर्माता को एंट्री-लेवल सेगमेंट में ग्राहक कीमतों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं, और थोड़ी सी भी कीमत बढ़ने पर उनकी खरीदारी पर असर पड़ सकता है. इसलिए, वे कीमतों में बढ़ोतरी करते समय सतर्क रहते हैं.
भारतीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी Icra के वाइस प्रसिडेंट और सेक्टर हेड रोहन कंवर गुप्ता ने कहा कि आमतौर पर कीमतों में बढ़ोतरी कैलेंडर या वित्तीय वर्ष की शुरुआत में की जाती है ताकि महंगाई और कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी जैसे कारकों को कवर किया जा सके. उन्होंने कहा - विभिन्न कार निर्माताओं द्वारा हाल ही में की गई कीमतों में बढ़ोतरी भी इसी कारण से की गई है. हालांकि, कीमतों में बढ़ोतरी से मांग पर कुछ असर पड़ सकता है, यह ध्यान में रखना चाहिए कि पैसेंजर वाहन सेगमेंट में विभिन्न मॉडल्स पर पहले ही अच्छे डिस्काउंट दिए जा रहे हैं, और इंडस्ट्री इन्वेंटरी स्तर को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. ऐसे में कीमत बढ़ोतरी का मांग पर असर अपेक्षाकृत कम रहने की संभावना है.