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वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल के इस्तेमाल को लगातार बढ़ावा दे रही है.
Mandate EVs for all Vehicle Aggregators: वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल के इस्तेमाल को लगातार बढ़ावा दे रही है. इस दिशा में सरकार एक और बड़ा कदम उठा सकती है. ओलो-ऊबर जैसे व्हीकल एग्रीगेटर्स के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल का इस्तेमाल अनिवार्य होने वाला है. दिल्ली सरकार ने आज 5 जुलाई, 2022 को दिल्ली मोटर व्हीकल एग्रीगेटर्स स्कीम (Delhi Motor Vehicle Aggregator Scheme) जारी किया है. इसे पैसेंजर ट्रांसपोर्ट सर्विस प्रदान करने वाले एग्रीगेटर्स के लाइसेंस व रेगुलेशन के लिए जारी किया गया है. इसके साथ ही, माल और वस्तुओं की डिलीवरी सर्विस प्रोवाइड करने वाले अन्य डिलीवरी एग्रीगेटर्स का रेगुलेशन भी इसके तहत किया जाएगा.
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सभी एग्रीगेटर्स पर लागू होगा नियम
दिल्ली सरकार के प्रिंसिपल सेक्रेटरी आशीष कुंद्रा ने फाइनेंशियल एक्सप्रेस के साथ खास बातचीत में बताया कि यह नियम सभी एग्रीगेटर्स पर लागू होगा और किसी को भी इसमें छूट नहीं दी जाएगी. राज्य सरकार ने इस अधिसूचना को सभी तीन और चार पहिया पैसेंजर व्हीकल्स, दो, तीन और चार पहिया कमर्शियल व्हीकल्स के लिए 1 अप्रैल, 2030 तक सभी इलेक्ट्रिक बेड़े के लिए एक निर्देश के रूप जारी किया है. उन्होंने आगे कहा, “इस स्कीम पर अभी काम चल रहा है. इसके तहत सरकार का लक्ष्य साल 2030 तक 100 फीसदी इलेक्ट्रिक बनना है.”
EV के लिए नहीं देना होगा लाइसेंस फीस
कुंद्रा ने आगे कहा, “इस स्कीम में उन इंसेंटिव के बारे में बताया गया है जो सरकार ने एग्रीगेटर्स के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को लेकर रखे हैं. इसमें कहा गया है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए लाइसेंस फीस नहीं देना होगा. सीएनजी-बेस्ड व्हीकल्स के लिए फीस देना होगा, जबकि पेट्रोल-बेस्ड व्हीकल के लिए यह फीस सबसे ज्यादा होगा. उन्होंने आगे कहा कि सरकार इस पर इंडस्ट्री, कस्टमर्स और सिविल सोसायटी ऑर्गेनाइजेशन से सुझाव आमंत्रित कर रही है, ताकि भविष्य में इस आधार पर काम किया जा सके.
(Article: Amrita Rohira)