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अगले चार साल में बनेंगे 48 हजार ईवी चार्जिंग स्टेशंस, लेकिन मुनाफे को लेकर ये है दिक्कत

इलेक्ट्रिक गाड़ियों के साथ सबसे बड़ी समस्या चार्जिंग स्टेशनों को लेकर है लेकिन अगले तीन से चार वर्षों में स्थिति सुधरने वाली है.

इलेक्ट्रिक गाड़ियों के साथ सबसे बड़ी समस्या चार्जिंग स्टेशनों को लेकर है लेकिन अगले तीन से चार वर्षों में स्थिति सुधरने वाली है.

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FE Online
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India to see 48k more EV chargers with investment of Rs 14 thousand crore in 3-4 years says icra

चार्जिंग स्टेशनों में मौजूदा परिस्थितियों के मुताबिक चार साल के बाद ही मुनाफे के मौके बनते हैं. (Image- Pixabay)

इलेक्ट्रिक गाड़ियों के साथ सबसे बड़ी समस्या चार्जिंग स्टेशनों को लेकर है लेकिन अगले तीन से चार वर्षों में स्थिति सुधरने वाली है. घरेलू क्रेडिट रेटिंग्स एजेंसी इक्रा (ICRA) के मुताबिक भारत में अगले तीन से चार वर्षों में 14 हजार करोड़ रुपये के निवेश से 48 हजार अतिरिक्त इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशंस हो जाएंगे. इक्रा के मुताबिक देश में इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया और बसों में तेजी की उम्मीद है लेकिन इसकी तेजी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर निर्भर करेगी.

वित्त वर्ष 2025 तक 13-15 फीसदी दोपहिया के इलेक्ट्रिक होने का अनुमान है तो तिपहिया में 30 फीसदी और बसों में 8-10 फीसदी बिक्री इलेक्ट्रिक वर्जन के होने का अनुमान है. हालांकि अगर सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशंस की बात करें तो देश भर में 2 हजार से भी कम स्टेशंस है और ये भी कुछ राज्यों में हैं और मुख्य रूप से शहरों में. इक्रा के मुताबिक चार्जिंग स्टेशंस में काफी पूंजी लगती है और मौजूदा स्थितियों के मुताबिक चार साल के बाद ही मुनाफे की उम्मीद कर सकते हैं.

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सरकारी नीतियों से मिल रहा सहारा

इक्रा के वाइस प्रेसिडेंड और ग्रुप हेड शमशेर देवन के मुताबिक भारत में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर अभी बहुत मजबूत नहीं है लेकिन सरकारी नीतियों से इसे सपोर्ट मिल रहा है. ईवी चार्जिंग नेटवर्क को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड व्हीकल्स (FAME) स्कीम के तहत 1300 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इसके अलावा सरकार ने चार्जिंग इंफ्रा से जुड़ी गाइडलाइंस में भी संशोधन किया है. सरकारी नीतियों का मुख्य लक्ष्य अगले तीन से पांच वर्षों में बड़ी संख्या में लोगों की पहुंच में चार्जिंग स्टेशंस करना है.

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चार्जिंग इंफ्रा में ये दिक्कतें आ रही हैं आड़े

सरकारी नीतियों के सपोर्ट के अलावा इस सेग्मेंट में अवसरों को भुनाने के लिए अब कुछ पीएसयू व निजी कंपनियां भी आगे आ रही हैं. अगले तीन से चार वर्षों में 14 हजार करोड़ रुपये में 48 हजार चार्जर्स स्थापित किया जा सकता है. हालांकि इसे स्थापित करने में काफी पूंजी लगती है. जमीन को छोड़ दें तो सब्सिडी के बिना इसे स्थापित करने में 29 लाख रुपये खर्च होते हैं और इसका ऑपरेटिंग कॉस्ट सालाना 10 लाख रुपये है यानी कि अगर इसका इस्तेमाल अधिक नहीं किया गया तो इसे स्थापित करना महंगा सौदा है.

इक्रा के आकलन के मुताबिक मौजूदा ईवी गाड़ियों और चार वर्षों में 30 फीसदी के एसेट यूटिलाइजेशन के हिसाब से ईवी चार्जिंग स्टेशन चार साल में ब्रेक-इवन की स्थित में पहुंचेगा यानी कि इसके बाद ही मुनाफे की उम्मीद की जा सकती है. अभी महज 10-15 फीसदी हार्डवेयर कंपोनेंट्स भारतीय बाजार से आते हैं और शेष चीन और ताइवान से निर्यात होते हैं. अगर इन्हें भारत में ही बनाया जाए तो लागत कुछ कम हो सकती है. देवन के मुताबिक चार्जिंग इंफ्रा डेवलप करने की बजाय बैटरी स्वैपिंग भी एक विकल्प है. यह अभी शुरुआती चरण में है.

(Input: PTI)

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