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किया मोटर्स इंडिया के सेल्स एंड मार्केटिंग हेड मनोहर भट का कहना है, सोनेट हमारी अगली कार होगी. इससे छोटी कार हम भारतीय बाजार में नहीं लाएंगे. (Image: AP )
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भारतीय बाजार में सेल्टोस (Seltos) के साथ धमाकेदार एंट्री करने वाली किया मोटर्स इंडिया (Kia Motors India) का कहना है कि वह कस्टमर्स को अपने प्रोडक्ट के जरिए 'प्राइड ऑफ ओनरशिप' देना चाहती है. किया अगले एक साल में नया मॉडल सोनेट लॉन्च करने जा रही है, जिसका कॉन्सेप्ट मॉडल हाल ही में ऑटो एक्सपो 2020 (Auto Expo 2020) में कंपनी ने शोकेस किया. कंपनी का कहना है कि वह सोनेट से छोटी कार भारतीय बाजार में नहीं उतारेगी. इससे साफ है कि किया एक और एसयूवी या कॉम्पैक्ट एसयूवी लॉन्च कर सकती है. कंपनी ने एक्सपो में अपनी प्रीमियम एमपीवी कार्निवल को लॉन्च किया है.
किया मोटर्स इंडिया के सेल्स एंड मार्केटिंग हेड मनोहर भट ने 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस हिंदी ऑनलाइन' से खास बातचीत में बताया कि हमारे पास गाड़ियों की एक पूरी रेंज है. इसमें स्मॉल हैचबैक, बिग हैचबैक, हाइड्रोजन फ्यूल सेल, हाइब्रिड, प्लग-इन आदि मॉडल शामिल हैं. जहां तक भारतीय मार्केट में नए प्रोडक्ट लाने की बात है, तो हम यह देखते हैं कि भारतीय मार्केट के लिए क्या बेहतर है. हमारे नेटवर्क को क्या सूट करता है.
भट का कहना है, ''सोनेट हमारी अगली कार होगी. इससे छोटी कार हम भारतीय बाजार में नहीं लाएंगे और अगला मॉडल भी 4 मीटर से बड़ा होगा. इसमें हम एसयूवी लाते हैं, सेडान लाते हैं, एमपीवी लाते हैं या कोई और मॉडल, इस पर फैसला एक्सपो और कस्टमर्स से मिले फीडबैक व अपने रिसर्च एवं एनालसिस के आधार पर करेंगे.''
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भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के सामने चुनौती
भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के सामने क्या इंफ्रा सबसे बड़ी चुनौती है? मनोहर भट का कहना है, ''इसको लेकर मेरी अलग राय है. सबसे बड़ी चुनौती इंफ्रा नहीं बल्कि लागत है, जो कंज्यूमर डिमांड तय करती है. इलेक्ट्रिक कारों की कीमत काफी ज्यादा है. यदि कीमत कम करेंगे तो बैटरी की क्षमता कम होगी. कोई भी कस्टमर यह नहीं चाहेगा कि उसकी इलेक्ट्रिक कार रास्ते या ट्रैफिक में अटक जाए. यानी, लागत सबसे बड़ी बाधा है. ऐसे में इलेक्ट्रिक कारों की सफलता इंफ्रा और कॉस्ट दोनों पर निर्भर है.'' भारत में अभी कुछ इलेक्ट्रिक वाहन हैं, जिनकी रेंज 300 किमी है. लेकिन अभी भी बिक्री ज्यादा नहीं है क्योंकि इनकी कीमत काफी ज्यादा है.
भट का कहना है कि इसे चीन के इलेक्ट्रिक सिस्टम से समझ सकते हैं. जैसे चीन इलेक्ट्रिक कारों पर सब्सिडी दे रहा था, तो बिक्री बढ़ रही थी. अब जब चीन सब्सिडी घटाने लगा, तो इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री कम होने लगी. चीन में इंफ्रा कम नहीं है. इसलिए इलेक्ट्रिक कारों की सफलता में सबसे अहम बात लागत है और उसके बाद इंफ्रा.
2025 तक 25 अरब डॉलर का निवेश, 11 ई-व्हीकल
मनोहर भट का कहना है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को लेकर हमारी योजना काफी व्यापक है. दुनियाभर में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर हम 2025 तक करीब 25 अरब डॉलर का निवेश करेंगे और 11 स्पेसिफिक इलेक्ट्रिक व्हीकल डेवलप करेंगे. अगले पांच साल में हमारा लक्ष्य हाइब्रिड, प्लग इन कार समेत एक अरब अल्टरनेट कारें बेचने का है.
भट का कहना है, ''जहां तक भारत की बात है तो हमारा प्लांट इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने में सक्षम है. पूरा सिस्टम हमने बना रखा है.'' बता दें, किया मोटर्स अभी भी ग्लोबल इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट में तकरीबन 5 फीसदी हिस्सेदारी रखती है. भविष्य में हाइड्रोजन फ्यूल आधारित मोबिलिटी की संभावनाओं के बारे में भट का कहना है कि हाइड्रोजन फ्यूल एक अलग तकनीक है. कई सरकारें जैसे कि जापान, अमेरिका, कोरिया इस पर काम रही हैं.
भारतीय बाजार में काफी संभावना
भारतीय कार मार्केट के बारे में मनोहर भट का कहना है, ऑटो मोबाइल कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में काफी संभावनाएं हैं. भारतीय मार्केट में भविष्य काफी बेहतर है. हमारी जीडीपी ग्रोथ 6-9 फीसदी होने की उम्मीद है. देश में प्रति व्यक्ति कार की संख्या भी काफी कम है. यानी, एक हजार व्यक्तियों पर कारों की संख्या 22-32 के बीच है. वॉल्यूम बहुत कम है. इसलिए यहां क्षमता है.
बता दें, किया मोटर्स इंडिया ने भारतीय बाजार में 1 अरब डॉलर का एकमुश्त निवेश किया है. इस साल के आखिर तक किया के सेल्स एंड सर्विस नेटवर्क की संख्या 300 हो जाएगी. किया की सालाना उत्पादन क्षमता 3 लाख है. किया का अनंतपुर (आंध्र प्रदेश) में प्लांट है.