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Motor Insurance: अपनी कार या बाइक को बनाएं 'फायर-प्रूफ', पॉलिसी खरीदते समय इन बातों का रखें ख्याल

आग लगने जैसी घटनाओं के मामले में कवर को लेकर कुछ चीजें जाननी जरूरी हैं, नहीं तो आग से हुए गाड़ी को नुकसान पर इंश्योरेंस कंपनियों से मुआवजा नहीं मिल पाएगा.

आग लगने जैसी घटनाओं के मामले में कवर को लेकर कुछ चीजें जाननी जरूरी हैं, नहीं तो आग से हुए गाड़ी को नुकसान पर इंश्योरेंस कंपनियों से मुआवजा नहीं मिल पाएगा.

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कार या बाइक के लिए कंप्रेहेंसिव प्लान में आग से हुए नुकसान को कवर किया जाता है. (File Photo)

Motor Insurance: हाल ही में ओला एस1 समेत चार इलेक्ट्रिक स्कूटर्स में आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी है. इससे पहले भी अन्य प्रकार की कार या बाइक में आग लगने की खबरें सामने आ चुकी हैं. अपनी गाड़ी को हुए किसी भी प्रकार की नुकसान की भरपाई के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदी जाती है. हालांकि आग लगने जैसी घटनाओं के मामले में कवर को लेकर कुछ चीजें जाननी जरूरी हैं, नहीं तो आग से हुए गाड़ी को नुकसान पर इंश्योरेंस कंपनियों से मुआवजा नहीं मिल पाएगा. इंश्योरेंस एक्सपर्ट्स के मुताबिक कार या बाइक के लिए कंप्रेहेंसिव प्लान में आग से हुए नुकसान को कवर किया जाता है.

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फायर-प्रूफ के लिए कोई खास प्लान नहीं

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मायइंश्योरेंसक्लब के सीईओ Deepak Yohannan के मुताबिक कार-बाइक को आग से कवर को लेकर कोई खास प्लान नहीं है और इसके लिए सिर्फ कंप्रेहेंसिव प्लान लेने की जरूरत है. मायइंश्योरेंसक्लब के सीईओ के मुताबिक अगर आपने सिर्फ थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कवर लिया हुआ है तो आग से आपकी गाड़ी को हुआ नुकसान कवर नहीं होगा यानी थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के साथ अपने नुकसान का कवर लेना चाहिए. देश में दो प्रकार के मोटर इंश्योरेंस हैं- थर्ड पार्टी इंश्योरेंस जो अनिवार्य है और दूसरा स्टैंडएलोन डैमेज पॉलिसी. प्रोबस इंश्योरेंस के निदेशक राकेश गोयल के मुताबिक थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में फायर कवर नहीं होता और स्टैंडएलोन पॉलिसी में इसे कवर किया जाता है. कंप्रेहेंसिव मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में आग के अलावा गाड़ी को चोरी, दुर्घटना और प्राकृतिक आपदा इत्यादि स्थिति में हुए नुकसान की भरपाई होती है.

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इन बातों का रखें ख्याल

  • थर्ड पार्टी कवर लेना अनिवार्य है लेकिन अपनी गाड़ी को किसी प्रकार के नुकसान के कवर के लिए कंप्रेहेंसिव प्लान लेना चाहिए.
  • गाड़ी में अगर कोई ऐसा बदलाव करवाया हो जिससे इसकी बेसिक खासियतें बदल जाए और इससे गाड़ी में आग लग जाए तो क्लेम नहीं मिलेगा. ऐसे में यह ध्यान रखें कि गाड़ी में जो भी बदलाव कराएं, उसे किसी ऑथराइज्ड डीलर्स के पास से कराएं ताकि एडीशनल पार्ट्स को गाड़ी के इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू (IDV) में जोड़ा जा सके.
  • गाड़ीचालक की लापरवाही पर क्लेम रिजेक्ट हो सकता है.
  • शॉर्ट-सर्किट, ओवरहीटिंग, तेल लीकेज या फ्यूल सीपेज जैसे मैकेनिकेल डिफेक्ट्स को पॉलिसी में कवर नहीं किया जाता है. पॉलिसी खरीदते समय यह जरूर देखें कि इसमें क्या कवर नहीं मिलेगा.
  • एक इलाके (जियोग्राफिकल एरिया) के बाहर अगर गाड़ी में आग लगती है तो इसे भी पॉलिसी में कवर नहीं किया जाएगा.

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कितना मिलेगा क्लेम

Yohannan के मुताबिक क्लेम कितना मिलेगा, यह आग लगने के बाद गाड़ी को बनवाने में कितना खर्च आया है, अनिवार्य डिडिक्टिबल अमाउंट और जिस पार्ट की रिपेयरिंग होनी है या हुई है, उसके डिप्रेशिएशन पार्ट पर निर्भर करेगा. डिप्रेशिएशन गाड़ी की उम्र पर निर्भर करेगी. अगर गाड़ी की रिपेयरिंग संभव नहीं है तो इसे टोटल लॉस माना जाएगा और पॉलिसी में तय किए गए आईडीवी का भुगतान होगा. डिजिट इंश्योरेंस के वाइस प्रेसिडेंट (मोटर अंडरराइटिंग) आदित्य कुमार के मुताबिक अगर आग लगने के कारण कार-बाइक को नुकसान हुआ है तो अधिकतम इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू (आईडीवी) के बराबर कवर मिल सकता है. इलेक्ट्रिक गाड़ी के मामले में कितना क्लेम मिलेगा, यह ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्यूफैक्चरर (ओईएम) द्वारा दी जाने वाली वारंटी पर भी डिपेंड करेगा.

(आर्टिकल: राजीव कुमार)

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