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Battery Swapping Policy: ई-व्हीकल की बैटरी खत्म होने पर उसे री-चार्ज करने में लगने वाले वक्त की बर्बादी जल्द ही कम हो सकती है. इसके लिए सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग (Niti Aayog) ने आज बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी यानी इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैट्री की अदला-बदली का ड्राफ्ट पेश किया है. इस नई नीति का मकसद ई-वेहिकल्स की डिस्चार्ज बैटरी को बदलकर पूरी तरह चार्ज बैटरी लगाने की व्यवस्था को आसान और प्रभावी बनाना है. इसके अलावा इस नई नीति के लागू होने पर इलेक्ट्रिक वाहनों के दाम घटने की उम्मीद भी की जा रही है, क्योंकि इन्हें बिना बैट्री के बेचा जा सकेगा.
ड्राफ्ट पॉलिसी के मुताबिक जिन गाड़ियों में बैटरियों की अदला-बदली हो सकती है, उनकी बिक्री बिना बैटरी के होगी. इससे इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमतें कम हो सकती हैं. इसके अलावा खास बात यह है कि नीति आयोग के मसौदे के मुताबिक कोई भी शख्स या कंपनी किसी भी स्थान पर बैटरी स्वैपिंग स्टेशन खोल सकेगा लेकिन इसके लिए जरूरी तकनीकी, सुरक्षा और प्रदर्शन मानकों का पालन करना होगा.
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चरणबद्ध तरीके से लागू होगी पॉलिसी
बैट्री स्वैपिंग पॉलिसी के तहत पहले चरण में प्रॉयोरिटी देते हुए 70 लाख से अधिक जनसंख्या वाले सभी मेट्रो शहरों को शामिल किया जाएगा. इसके बाद दूसरे चरण में अन्य सभी प्रमुख शहरों जैसे कि राज्यों की राजधानियों, यूनियन टेरीटरी के मुख्यालय और 5 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों को शामिल किया जाएगा.
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बजट में वित्त मंत्री ने किया था ऐलान
बड़े पैमाने पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए शहरी क्षेत्रों में जगह की कमी है. इसे ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण 2022 में ईवी इकोसिस्टम की क्षमता बेहतर करने के लिए बैट्री स्वैपिंग पॉलिसी और इंटरऑपरेबिलिटी स्टैंडर्ड्स लाने का ऐलान किया था. इसे लेकर फिर नीति आयोग ने फरवरी 2022 में बैट्री स्वैपिंग की व्यापक नीति तैयार करने के लिए कई मंत्रालयों के साथ चर्चा की. इसके अलावा मसौदा तैयार करने के लिए आयोग ने बैट्री स्वैपिंग ऑपरेटर्स, बैट्री बनाने वाली कंपनियों, वाहन कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और अन्य विशेषज्ञों से चर्चा किया. आयोग ने अभी इस मसौदे पर सभी लोगों से 5 जून तक अपनी प्रतिक्रियाएं देने को कहा है.