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देश के आम लोगों में कभी बेहद पॉपुलर थीं ये गाड़ियां, अब बंद हो चुका है प्रोडक्शन

एक जमाने में आम लोगों के बीच फिएट प्रीमियर पद्मिनी, डेवू मतिज, टाटा इंडिका, मारुति सुजुकी एस्टीम, जेन, शेवरले स्पार्क जैसी कारें लोकप्रिय हुआ करती थी.

एक जमाने में आम लोगों के बीच फिएट प्रीमियर पद्मिनी, डेवू मतिज, टाटा इंडिका, मारुति सुजुकी एस्टीम, जेन, शेवरले स्पार्क जैसी कारें लोकप्रिय हुआ करती थी.

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Mithilesh Kumar
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Tata Indica

टाटा इंडिका भारत की पहली स्वदेशी कार थी. भारतीय बाजार में टाटा मोटर्स ने इसे एक हैचबैक कार के तौर पर को पेश किया था.

भारतीय बाजार में आजकल कार बनाने वाली कंपनियां हर साल अपनी नई-नई मॉडल पेश कर रही हैं और कुछ समय बाद उन्हें बंद भी कर देती हैं. लेकिन एक दौर ऐसा भी रहा जब बाजार में आई एक ही कार सालों तक आम लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हुआ करती थी. उस जमाने में हर साल कंपनियों की ओर से नई-नई कारें लॉन्च नहीं की जाती थीं.

कार बनाने वाली कंपनियां एक ही मॉडल ऐसा पेश करती थी कि वह सालों तक हिट बनी रहती थी. हालांकि अब हालात बदल गए हैं. अब तो न के बराबर ही ऐसी मिसाल देखने को मिलती हैं. दशकों पहले आम लोगों के बीच बेहद पापुलर रहीं कुछ कारों के बारे में साझा की गई इस लिस्ट पर एक नजर डाल सकते हैं. इस लिस्ट में जिन कारों का जिक्र है अब उनका प्रोडक्शन बदं हो चुका है.

फिएट प्रीमियर पद्मिनी (Fiat Premier Padmini)

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फिएट ने अपनी प्रीमियर पद्मिनी को 1980 में एक हैचबैक के तौर पर लॉन्च की थी. उस जमाने में इस कार की कीमत 30,000 रुपये थी, जिसमें 1.1-लीटर पेट्रोल इंजन लगा था और ये इंजन अधिकतम 40bhp का पावर जनरेट करने में सक्षम था. भारतीय बाजार में ये फिएट (Fiat) की पहली कार थी और ये लोगों को काफी पसंद भी आई थी.

Fiat Premier Padmini

पद्मिनी नाम के पीछे भी दिलचस्प कहानी है. बताया जाता है कि तत्कालीन सरकार के कहने पर नाम रखा गया था और कार को पद्मिनी नाम चित्तौड़ की रानी को श्रद्धांजलि के रूप में दिया गया था.

डेवू मतिज (Daewoo Matiz)

मतिज को कार बनाने वाली सॉउथ कोरिया कंपनी डेवू (Daewoo) ने तैयार किया था. भारतीय बाजार में डेवू कंपनी की एंट्री साल 1995 में हुई थी. Daewoo ने सबसे पहले भारत में अपनी Cielo कार लॉन्च की थी. ये सेडान सेगमेंट की एक प्रीमियम कार थी. इसके बाद कंपनी ने Matiz हैचबैक कार को 1998 में लॉन्च किया लेकिन ये कार ज्यादा लंबे समय तक भारत में टिक नहीं सकी. कंपनी ने साल 2000 में ही अपनी इस कार प्रोडक्शन बंद कर दिया.

daewoo matiz

Matiz छोटे साइज की कारों में काफी लोकप्रिय रही थी. वित्तीय संकट के चले Daewoo ग्रुप का पूरा कारोबार 1999 के अंत तक काफी मुश्किल में पड़ गया था. बताया जाता है कि जनरल मोटर्स द्वारा इसके ज्यादातर एसेट्स खरीद लिये जाने के बाद Daewoo को अपने ऑटोमोटिव डिवीजन को भी बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा. साल 2002 में जनरल मोटर्स ने देवू को खरीद लिया. हालांकि बाद मतिज को फिर एक बार से शेवरले स्पार्क के रूप में भारत में पेश किया गया.

टाटा इंडिका (Tata Indica)

टाटा इंडिका भारत की पहली स्वदेशी कार थी. भारतीय बाजार में टाटा मोटर्स ने इसे एक हैचबैक कार के तौर पर को पेश किया था. इस हैचबैक ने अपने लुक-फीचर्स और पावर से ग्राहकों के दिलों पर राज किया. कंपनी के लिए इंडिका एक बेहद खास कार बताई जाती है. इसे भारत में स्क्रैच ने इंडिया में बनाया था.

Tata Indica

साल 1998 के जिनेवा मोटर शो में बड़ी धूमधाम के साथ इसे लॉन्च किया गया था. इसके एक साल बाद साल 1999 में टाटा इंडिका को बाजार में उतारा गया. बताया जाता है कि 90 के दशक में जब अन्य कार बनाने वाली कंपनियां भारतीय बाजार के लिए नई कार बनाने से डरती थी, तब भारत की टाटा मोटर्स ने इंडिका को दुनिया के सामने लाया. देश में भारत की हीं कंपनी में बनी टाटा इंडिका 1998 में पेश की गई और इस कार को लोगों ने खूब पसंद किया. इंडिका पेट्रोल और डीजल दोनों इंजन विकल्पों के साथ उपलब्ध थी. टाटा मोटर्स (पहले टेल्को के नाम से जानी जाती थी) ने 30 दिसंबर 1998 को टाटा इंडिका को लॉन्च की थी. लॉन्च के बाद एक हफ्ते में इंडिका के लिए कंपनी को 115,000 काऑर्डर मिले थे. कंपनी ने अपनी इस 5-डोर हैचबैक कार की बेस प्राइस 2.6 लाख रुपये रखा था.

मारुति सुजुकी एस्टीम (Maruti Suzuki Esteem)

मारुति सुजुकी एस्टीम (Esteem) को एक जमाने में ज्यादातर लोगों की पसंद हुआ करती थी. साल 1990 में आई मारुति एस्टीम अपनी लुक और मजबूत इंजन के चलते लोगों के दिलों पर राज करती थी. इस गाड़ी की स्पीड भी समय के हिसाब से काफी बेहतरीन थी. इसका इंजन 84 हॉर्सपावर जेनरेट करने में सक्षम था. बताया जाता है कि बिजनेस क्लास के ज्यादातर लोग एस्टीम से चला करते थे. मारुति की ये कार 2000 के दशक की शुरुआत में Hyundai Accent, Ford Ikon और Opel Corsa जैसी कारों को कड़ी टक्कर देती थी, हालांकि साल 2003 के बाद से भारतीय सड़कों पर कई ऐसी एडवांस कारें आ गई थी, जिसके चलते इसका क्रेज थोड़ा कम होने लगा था.

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दिसंबर 2007 तक एस्टीम का प्रोडक्शन बंद हो गया था. उस समय स्विफ्ट और डिजायर का दौर था, क्योंकि मारुति की ये गाड़ियां उस समय की सबसे किफायती और एडवांस कारों में से एक थी. फिर भी 'एस्टीम' भारत के ऑटोसेक्टर के इतिहास में सबसे सम्मानित नेमप्लेट में से एक रही है.

मारुति सुजुकी जेन (Maruti Suzuki Zen)

मारुति सुजुकी जेन को आज से 30 साल पहले भारतीय बाजार में पेश किया गया था. साल 1993 में आई मारुति जेन को भारतीय बाजार में एक हैचबैक के तौर पर लॉन्च किया गया था. 16 साल तक कंपनी की इस कार ने बाजार में अपनी पहचान बरकरार रखी और फिर साल 2016 में कंपनी ने इसी बंद कर दिया. लेकिन, जेन एस्टिलो (Zen Estilo) के रूप में कार को एक बार फिर से बाजार में लाया गया था और फिर इसे में साल 2010 में बंद कर दिया गया.

Maruti Suzuki Zen

जेन ने 1993 से लेकर 2010 तक कंपनी को अच्छा फायदा पहुंचाया. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि मारुति सुजुकी जेन ऐसी पहली कार थी जिसे भारत से यूरोप एक्सपोर्ट किया जाता था. कंपनी ने इसकी 7.60 लाख यूनिट बेची थीं और इसमें से 1.22 लाख यूनिट एक्सपोर्ट की गई थीं.

शेवरले स्पार्क (Chevrolet Spark)

शेवरले स्पार्क को भारतीय बाजार में 2007 में पेश किया गया था. जनरल मोटर्स की आइकॉनिक कीर शेवरले स्पार्क को भी देश में अच्छी सफलता मिली थी. छोटे आकार और बेहतर माइलेज के कारण यह भीड़-भाड़ भरे शहरों के लिए पसंदीदी हैचबैक कार बन गई. देव मटीज पर आधारित टॉल बॉय डिजाइन के साथ बाजार में आई थी. उस वक्त सेगमेंट पर राज करने वाली मारुति सुजुकी ऑल्टो की तुलना में अधिक ऊंचाई और चौड़ाई के साथ बड़ा व्हीलबेस होने के कारण इसमें अंदर ज्यादा स्पेस मिलता था.

Spark

शेवरले स्पार्क में 4 सिलिंडर 996cc का पेट्रोल इंजन मिलता था. ट्रांसमिशन के लिए इसमें 5 स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स विकल्प दिया गया था. ये इंजन 62bhp का पावर और 90Nm का टॉर्क जनरेट करने मे सक्षम था. इसमें फॉग लैंप, रियर स्पॉइलगर, रियर वॉशर और वाइपर, ORVM जैसी फीचर्स मिलते थे. 2014 में शेवरले स्पार्क का प्रोडक्शन बंद हो गया था. इसकी कीमत 3.33 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) से शुरू होती थी. बाजार में करीब 1.65 लाख शेवरले की ये कार बिकी थीं.

Maruti Suzuki India