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एक्सपर्ट का कहना है कि ऑटो सेक्टर में मंदी के पीछे सबसे बड़ा कारण यूज्ड कार यानी सेकंड हैंड कारें हैं.
एक्सपर्ट का कहना है कि ऑटो सेक्टर में मंदी के पीछे सबसे बड़ा कारण यूज्ड कार यानी सेकंड हैंड कारें हैं.वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा था कि ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री में गिरावट के पीछे ओला और उबर जैसे टैक्सी एग्रीगेटर्स की सर्विस है, जिन्हें युवा पसंद करते हैं. ब्लूमबर्ग के मुताबिक, एक्सपर्ट ने अब इसके पीछे कुछ और ही कारण बताए हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि ऑटो सेक्टर में मंदी के पीछे सबसे बड़ा कारण यूज्ड कार यानी सेकंड हैंड कारें हैं. उनका कहना है कि सेकंड हैंड कारों का प्रचलन देश में तेजी से बढ़ रहा है, जिसकी वजह से नई कारों की बिक्री पर असर हुआ है.
बढ़ रहा है सेकंड हैंड कारों का बाजार
इडेलवाइस सिक्युरिटीज लिमिटेड के एनालिस्ट चिराग शाह का कहना है कि प्रीओन्ड कारों यानी सेकंड हैंड कारों का बाजार 2012 में नई कारों की तुलना में 0.8 गुना से बढ़कर मार्च 2019 के अंत तक 1.2 गुना हो गया है. उनका कहना है कि इस दौरान नई कारों की ग्रोथ 4 फीसदी रही, जबकि यूज्ड कारों में 11 फीसदी ग्रोथ दिखी. नई कारों की बिक्री में अगस्त में रिकॉर्ड स्तर पर गिरावट देखने को मिली. यह सालाना आधार पर 41 फीसदी गिरकर 115,957 यूनिट रह गई.
ऑर्गेनाइज्ड प्लेयर्स की दिलचस्पी बढ़ी
नोट में कहा गया है कि मौजूदा समय में चल रही मंदी, इनकम ग्रोथ में सुस्ती और सेविंग्स में कमी की वजह से नई कारों की बजाए यूज्ड कारों का बाजार और बढ़ सकता है. उनका कहना है कि पिछले 7 सालों में यूज्ड कार सेग्मेंट में ऑर्गेनाइज्ड प्लेयर्स की दिलचस्पी लगातार बढ़ी है. जिससे कंज्यूमर का भरोसा सेकंड हैंड कारों में बढ़ा है. विश्लेषकों के अनुसार, प्रीओन्ड कार सेग्मेंट में अब नई कारों की तुलना में बेहतर आफर मिल रहे हैं.
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टैक्स घटने से भी कस्टमर बढ़े
सरकार ने इंजन की साइज के आधार पर यूज्ड व्हीकल्स पर टैक्स रेट 28 फीसदी से घटाकर 12 से 18 फीसदी कर दिया है, जिससे यह सेग्मेंट पहले से ज्यादा आकर्षक हो गया है. नोट में कहा गया है कि नियामकीय बदलावों के बाद कीमतों में अंतर भी बढ़ा है.
कुछ खास बातें
- वित्त वर्ष 2019 में 6 से 8 साल पुरानी कारों की यूज्ड कार मार्केट में हिस्सेदारी बढ़कर 28 फीसदी हो गई है, जो 2 साल पहले शून्य थी.
- करीब 50 फीसदी यूज्ड कारों के खरीददार 25-34 साल की आयु के हैं.
- पिछले 3 साल के दौरान यूज्ड कारों के लिए फाइनेंस की हिस्सेदारी 10 फीसदी से बढ़कर 17 फीसदी हो गई.
- रिप्लेसमेंट बॉयर्स वित्त वर्ष 2016 की तुलना में वित्त वर्ष 2019 में बढ़कर दोगुने या करीब 16 फीसदी हो गए हैं.
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