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टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की कल ही एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई.
Car Seat Belt: मोटर व्हीकल अमेंडमेंट एक्ट 2019 में सीट बेल्ट नहीं लगाने पर जुर्माना 100 रुपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये कर दिया गया. यह कानून है लेकिन फिर भी इसका पालन करने वाले लोगों की तादाद बेहद कम है. ऐसे कानूनों पर ध्यान तभी जाता है जब किसी खास शख्सियत की इसके चलते मौत हो जाती है. टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की कल ही एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई. उनके निधन के बाद कार में रियर सीटबेल्ट के बेहद कम इस्तेमाल किए जाने को लेकर एक बार चर्चा हो रही है.
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कैसे हुई साइरस मिस्त्री की मौत
बेहद सुरक्षित मानी जाने वाली कार मर्सिडीज GLS 4 सितंबर को एक पुल के डिवाइडर से टकरा गई. इस कार में मिस्त्री के साथ तीन अन्य लोग सवार थे. इस एक्सीडेंट में रियर सीट पर बैठे मिस्त्री और जहांगीर पंडोले की मौत हो गई, जबकि सामने बैठे पैसेंजर और ड्राइवर घायल हो गए. दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनकी जान बच गई. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिस्त्री और पंडोले दोनों ही रियर सीट पर बिना सीट-बेल्ट लगाए बैठे थे.
यह एयरबैग और टॉप सेफ्टी रेटिंग वाली सुरक्षित कारों में बिना बेल्ट वाली पिछली सीट पर बैठे लोगों के बुरी तरह घायल या मौत होने का पहला उदाहरण नहीं है.
सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं करने वाले लोगों की मौत के कई हैं उदाहरण
- अगस्त 1997 में, राजकुमारी डायना और उनके पार्टनर डोडी अल-फ़याद की पेरिस में एक हाई-स्पीड कार एक्सीडेंट में मौत हो गई. ये दोनों ही मर्सिडीज S600 की पिछली सीट पर सवार थे. वहीं, आगे की पैसेंजर सीट पर बैठे बॉडीगार्ड इस घटना में बच गए.
- जून 2014 में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री गोपीनाथ मुंडे दिल्ली में एक कार दुर्घटना में मारे गए. वे मारुति सुजुकी SX4 की पिछली सीट पर सवार थे. वहीं, आगे की सीटों पर बैठे उनके ड्राइवर और सचिव बच गए.
- अक्टूबर 2012 में, कॉमेडियन जसपाल भट्टी की भी इसी तरह से मौत हो गई. वह पंजाब में अपनी Honda Accord में यात्रा कर रहे थे. वे बिना सीट बेल्ट लगाए पीछे की ओर बैठे थे, तभी कार एक पेड़ से टकरा गई. कार में सवार तीन अन्य लोग बच गए, जिसमें उनका बेटा भी शामिल था जो गाड़ी चला रहा था. रियर सीट बेल्ट का इस्तेमाल न करने के चलते अपनी जान गंवाने वाले यात्रियों के कई उदाहरण मौजूद हैं.
क्या है नियम
केंद्रीय मोटर वाहन नियम (1989) की धारा 138 (3) में कहा गया है: “मोटर व्हीकल में, जिसमें नियम 125 के उप-नियम (1) या उप-नियम (1-ए) या नियम 125-ए, जैसा भी मामला हो, के तहत सीटबेल्ट प्रदान किया गया है, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि चालक और आगे की सीट पर बैठे व्यक्ति या फ्रंट फेसिंग पीछे की सीटों पर बैठने वाले व्यक्ति, जैसा भी मामला हो, के लिए वाहन चलते समय सीटबेल्ट पहनना अनिवार्य है." भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, नितिन गडकरी ने फरवरी 2022 में कहा था कि न केवल सभी यात्रियों के लिए सीटबेल्ट दिया जाना चाहिए, बल्कि पीछे की सीट में बीच वाले यात्री के पास भी थ्री-प्वाइंट सीटबेल्ट होना चाहिए.
लोग करते हैं नियमों की अनदेखी
कानून के मुताबिक सीटबेल्ट लगाना अनिवार्य है और इसमें जुर्माना भी शामिल है, लेकिन फिर भी इसका पालन कम ही लोग करते हैं. 2019 में, भारत में मोटर व्हीकल अमेंडमेंट एक्ट 2019 में सीटबेल्ट नहीं पहनने पर जुर्माना 100 रुपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये कर दिया गया था. 2019 में सेवलाइफ फाउंडेशन के एक स्टडी में कहा गया कि 90 प्रतिशत भारतीय रियर सीटबेल्ट का इस्तेमाल नहीं करते हैं. मारुति सुजुकी और Kantar ग्रुप के एक अध्ययन से पता चलता है कि केवल 4 प्रतिशत लोग रियर सीटबेल्ट का इस्तेमाल करते हैं और केवल 25 प्रतिशत व्हीकल यूजर सीटबेल्ट का इस्तेमाल करते हैं. कार एक्सीडेंट्स में होने वाली मौतों को कम करने के लिए यह बेहद जरूरी है कि इन्हें सख्ती से लागू किया जाए. यह हैरानी की बात नहीं है कि भारत दुनिया में सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों की लिस्ट में सबसे ऊपर है. भारत में हर साल लगभग 150,000 लोग रोड एक्सीडेंट में मारे जाते हैं.