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Budget 2025 : Old vs New Tax Regime, रिटायरमेंट के बाद कौन सा टैक्‍स सिस्‍टम बेहतर करता है काम

Income Tax Slab : अभी 2 टैक्‍स सिस्‍टम हैं, यानी ओल्‍ड टैक्‍स रिजीम और न्‍यू टैक्‍स रिजीम. बजट 2025 में इन टैक्‍स सिस्‍टम में कुछ बदलाव की उम्‍मीद है. जैसे ही किसी भी टैक्‍स सिस्‍टम में किसी तरह का बदलाव होता है, हम उस बारे में आपको अपडेट करेंगे.

Income Tax Slab : अभी 2 टैक्‍स सिस्‍टम हैं, यानी ओल्‍ड टैक्‍स रिजीम और न्‍यू टैक्‍स रिजीम. बजट 2025 में इन टैक्‍स सिस्‍टम में कुछ बदलाव की उम्‍मीद है. जैसे ही किसी भी टैक्‍स सिस्‍टम में किसी तरह का बदलाव होता है, हम उस बारे में आपको अपडेट करेंगे.

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Sushil Tripathi
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Tax System India : सीनियर सिटीजन को अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए नई टैक्स रिजीम और पुरानी टैक्स रिजीम दोनों का ऑप्शन मिलेगा. Photograph: (FE)

Income Tax System : केंद्रीय बजट 2023-24 में आम जनता को ध्यान में रखते हुए नए टैक्स रिजीम के तहत इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया था. इससे टैक्स छूट की लिमिट को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया गया है. फिलहाल अभी 2 टैक्‍स सिस्‍टम हैं, यानी ओल्‍ड टैक्‍स रिजीम और न्‍यू टैक्‍स रिजीम. बजट 2025 में इन टैक्‍स सिस्‍टम में कुछ बदलाव की उम्‍मीद है, जिसका इंतजार लाखों टैक्‍स पेयर्स को है. जैसे ही किसी भी टैक्‍स सिस्‍टम में किसी तरह का बदलाव होता है, हम उस बारे में आपको अपडेट करेंगे. 

बहुत से सीनियर सिटीजंस ऐसे हैं जो पुराने टैक्स सिस्टम में ही चल रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे हैं जो हाल फिलहाल में रिटायर हुए हैं और उन्हें कनफ्यूजन है कि उनके लिए पुराना टैक्स सिस्टम बेहतर रहेगा या नया टैक्स सिस्टम. रिटायरमेंट के बाद सैलरी की तुलना में पेंशन कम हो जाने और नए टैक्स सिस्टम के तहत टैक्स छूट की लिमिट बढ़ने से उनके मन में यह कंफ्यूजन हो सकता है कि उनके लिए कौन सा सिस्टम बेहतर रहेगा.

वरिष्ठ नागरिकों के सामने दोनों विकल्प

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सीनियर सिटीजन को अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए नई टैक्स रिजीम और पुरानी टैक्स रिजीम दोनों का ऑप्शन मिलेगा. इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है. नई टैक्स रिजीम की व्यवस्था डिफॉल्ट सेटिंग में दिखेगी जिसे आप अपनी जरूरत के हिसाब से बदल सकते हैं. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अनुसार, एक किसी इंडिविजुअल की आयु 60 साल या उससे अधिक है, लेकिन 80 साल से कम है, उसे इनकम टैक्स उद्देश्यों के लिए सीनियर सिटीजन माना जाता है. वहीं 80 साल से ज्यादा के लोगों को सुपर सीनियर सिटीजन माना जाता है.

नए टैक्स सिस्टम में 7 लाख तक आय टैक्स फ्री

फाइनेंस एक्ट 2023 के माध्यम से, सरकार ने सीनियर सिटीजंस सहित टैक्‍स पेयर्स के लिए नए टैक्स सिस्टम के तहत इनकम टैक्‍स स्‍लैब में बदलाव किया है. अब, 5% से 30% तक की केवल 5 दरें हैं, जबकि नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनने वालों के लिए 7 लाख रुपये तक की आय टैक्स-फ्री है.

पुराने टैक्स सिस्टम के तहत, 5 लाख रुपये तक की कुल इनकम वाले लोगों को आईटी एक्ट की धारा 87ए के तहत फुल रिबेट क्लेम करने पर जीरो इफेक्टिव टैक्‍स रेट के तहत किया जाता है. हालांकि, 1 अप्रैल 2023 (वित्त वर्ष 2023-24) से, नए टैक्स सिस्टम का विकल्प चुनने वाले 7 लाख रुपये तक की कुल आय के लिए आईटी एक्ट की धारा 87ए के तहत फुल टैक्स रिबेट का क्लेम कर सकते हैं.

नए सिस्टम में सबके लिए समान दरें

नए टैक्स सिस्टम में टैक्स की दरें सभी इंडिविजुअल और 60 साल से अधिक से लेकर 80 साल तक के सीनियर सिटीजंस और 80 साल से अधिक के सुपर सीनियर सिटीजंस के लिए एक समान हैं. सीनियर सिटीजंस टैक्सपेयर्स को कुल इनकम टैक्स लायबिलिटी के 4 फीसदी की दर से एडिशनल हेल्थ और एजुकेशनल सेस का भुगतान करना भी आवश्यक है.

न्‍यू टैक्स सिस्टम में किस स्लैब में कितना टैक्‍स

> 3 लाख रुपये तक के इनकम पर कोई टैक्‍स नहीं

> 3 लाख से ज्यादा से लेकर 6 लाख तक के इनकम पर 5 फीसदी टैक्‍स

> 6 लाख से ज्यादा से लेकर 9 लाख तक के इनकम पर 10 फीसदी टैक्‍स

> 9 लाख से ज्यादा से लेकर 12 लाख तक के इनकम पर 15 फीसदी टैक्‍स

> 12 लाख से ज्यादा से लेकर 15 लाख तक के इनकम पर 20 फीसदी टैक्‍स

> 15 लाख से ज्यादा इनकम पर 30 फीसदी टैक्‍स

सेक्शन 87A के तहत टैक्स में रिबेट की सीमा को बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया गया है. इसका मतलब ये है कि 7 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वाले लोगों को अब न्यू टैक्स रिजीम में कोई इनकम टैक्स नहीं देना पड़ेगा. ओल्ड टैक्स रिजीम में यह लाभ 5 लाख रुपये तक की आय पर ही मिलता है. न्यू टैक्स रिजीम में पहली बार स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ भी दिया जा रहा है.

नए सिस्टम में सीनियर सिटीजंस को ये भी लाभ

नए टैक्स सिस्टम के तहत, सीनियर सिटीजंस 80डी के तहत हेल्‍थ इंश्‍योरेंस प्रीमियम पर अधिकतम 50,000 रुपये की कटौती का दावा कर सकते हैं. अगर यह खर्च डिपेंडेंट सीनियर सिटीजंस के लिए किया जाता है, तो एक वित्त वर्ष में इसके लिए पात्रता 1 लाख रुपये है. सीनियर और सुपर सीनियर सिटीजंस टैक्सपेयर्स को बचत बैंक खातों से ब्याज आय के लिए धारा 80TTA के तहत अधिकतम 50,000 रुपये की कटौती की अनुमति है. सामान्य करदाताओं के लिए यह 10,000 रुपये है.

पुराने टैक्स सिस्टम में सीनियर सिटीजन के टैक्‍स स्‍लैब (60 साल से 80 साल)

> 3 लाख रुपये तक की सालाना इनकम पर कोई टैक्स नहीं
> 3 लाख और रु. 5 लाख पर टैक्स देनदारी 5 फीसदी है. हालांकि, अगर टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये तक तो सेक्शन 87ए के तहत राहत के लिए टैक्‍स देनदारी शून्य है.
> 5 लाख रुपये से ज्यादा और 10 लाख तक इनकम पर- 10,000 रुपये + 5 लाख से ऊपर की आय पर 20 फीसदी टैक्‍स
> 10 लाख रुपये से ज्यादा की इनकम पर- 1.10 लाख रुपये + 10 लाख रुपये से ज्यादा की राशि का 30 फीसदी टैक्‍स
> अन्य चार्ज भी हैं. अगर टैक्सेबल इनकम 50 लाख रुपये से अधिक है तो सरचार्ज लागू होगा और यह 10-37 फीसदी तक अलग अलग हो सकता है. इसमें हेल्थ और एजुकेशन सेस भी है, जो इनकम टैक्‍स का 4 फीसदी प्‍लस सेस है.

किनके लिए फायदेमंद है कौन सी स्कीम?

यानी अगर सीनियर सिटीजन हैं और आपकी आय 7 लाख रुपये तक है तो आपके लिए नई टैक्स रिजीम हतर है, क्योंकि उसमें आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा. इसके अलावा नई टैक्स रिजीम में इस साल से 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिल रहा है, जो पिछले साल तक नहीं मिल रहा था. लेकिन 7 लाख रुपये से ज्यादा सालाना आमदनी वालों को अपनी टैक्स रिजीम का फैसला करने से पहले अपने टैक्स सेविंग निवेश और डिडक्शन्स की स्थिति को देखना होगा. नए सिस्‍टम में 80C के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये की छूट का लाभ नहीं मिलता है. यह लाभ लेना है तो पुराना सिस्टम बेहतर है. अगर आप 80C के अलावा होम लोन पर मिलने वाली टैक्स छूट का भी लाभ लेते हैं, तो आपके लिए पुरानी टैक्स रिजीम बेहतर साबित हो सकती है.

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