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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट से साफ हो गया कि अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार का एजेंडा क्या है. (PTI)
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Budget 2019: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट से साफ हो गया कि अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार का एजेंडा क्या है. मोदी 2.0 के पहले पूर्ण बजट के जरिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने के साथ-साथ, सुपर रिच पर सरचार्ज लगाने, छोटे कारोबारियों को प्रमोट करने और निवेश के लिए बेहतर अवसर बनाने को कोशिशों से साफ है कि सरकार विकास दर को बढ़ाने के साथ-साथ फिस्कल कंसॉलिडेशन की दिशा में कदम आगे बढ़ा रही है.
जाने-माने अर्थशास्त्री और एचडीएफसी बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट अभीक बरूआ का कहना है कि वित्त मंत्री ने बजट में ग्रोथ को सपोर्ट देने और फिस्कल कंसॉलिडेशन के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया है. एक्साइज ड्यूटी में इजाफा, डिविडेंड रेवेन्यू बढ़ाने के लिए विनिवेश का लक्ष्य बढ़ाने के उपायों से साफ है कि सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि कुल रेवेन्यू कलेक्शन प्रभावित न हो. यह कदम इस समय इसलिए जरूरी था क्योंकि जीएसटी और पर्सनल इनकम टैक्स से रेवेन्यू ग्रोथ की धीमी बनी हुई है. अब इन दोनों कैटेगरी में टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य कम करने से साफ है कि कुल रेवेन्यू का आकल अब अधिक विश्वसनीय और व्यावहारिक है.
खर्चे बढ़ाने की कोशिश नहीं
अभीक बरूआ के अनुसार, सरकारी खर्चे की बात की जाए तो सरकार ने इकोनॉमी को सपोर्ट करने के मकसद से खर्च के लक्ष्य में कोई बदलाव नहीं किया है. खर्च जीडीपी अनुपात 13.2 फीसदी पर है, जोकि अंतरिम बजट में भी यही था. बरूआ का कहना है कि यह सरकार का अच्छा कदम है. सरकार ने निवेश को बढ़ावा देने पर फोकस किया है. इसके लिए अफोर्डेबल हाउसिंग और आटो सेक्टर में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को टैक्स छूट देने जैसे फैसले किए गए.
वित्त मंत्री ने सरकारी बैंकों के रिकैपिटलाइजेशन और एनबीएफसी सेक्टर को संकट से उबारने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं. इससे तंगहाल वित्तीय क्षेत्र में सुधार आने और जीडीपी ग्रोथ को बनाए रखने में मदद मिलेगी.
राजकोषीय घाटा का लक्ष्य घटाना सकारात्मक पहल
बरूआ के अनुसार, बॉन्ड मार्केट के लिए वित्त मंत्री ने सकारात्मक पहल की है. सरकार ने वित्त वर्ष 2020 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य घटाकर जीडीपी का 3.3 फीसदी कर दिया है, जोकि अंतरिम बजट में 3.4 फीसदी था. यह एक सकारात्मक और चौंकाने वाला कदम है. इससे यील्ड आसान होगी.
इसके अलावा, वित्त मंत्री की तरफ से यह कहना कि सरकार विदेशी मुद्रा में कुछ उधारी लेगी, इससे सप्लाई साइड की कई दिक्कतें दूर होनी चाहिए. अधिक विदेशी मुद्रा की आवक से घरेलू रुपये को कुछ मजबूती मिलेगी. चालू साल के लिए इस रूट को खोले जाने से बॉन्ड मार्केट को लंबी अवधि में फायदा होगा. हालांकि, बजट में विदेशी उधारी अकाउंट के लिए अतिरिक्त प्रावधान नहीं किए गए हैं.