/financial-express-hindi/media/post_banners/IzYvDjYZzyWX29O1QSg2.jpg)
ICICI लोम्बार्ड के एमडी एंड सीईओ भार्गव दासगुप्ता के अनुसार, व्यक्तिगत आय कर की दरें कम करने और व्यक्तियों के लिए टैक्स फाइल प्रक्रिया को और सरल बनाने का निर्णय शॉर्ट टर्म के नजरिये से सकारात्मक कदम है.
/financial-express-hindi/media/post_attachments/TlH2Cw5YuFyNnCvhCPWM.jpg)
Budget 2020 Expert View: बजट 2020 से उम्मीद यह थी कि बजट में विकास को तुरंत वापस पटरी पर लाने के लिए ठोस उपायों की घोषणा होगी. इसे देखते हुए, आर्थिक समझदारी को ध्यान में रखना और मैक्रो आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण था, जो लंबी अवधि के लिए आवश्यक है. बजट में एक अहम पहलू व्यक्तिगत आयकरदाताओं को लेकर भी रहा. इसमें करदाताओं के लिए नई कर व्यवस्था का एलान किया गया लेकिन सवाल यह है कि क्या टैक्स छूट लेने का फैसला करदाताओं पर छोड़ देना चाहिए.
बहरहाल, तमाम प्राथमिकताओं में संतुलन बनाने के ख्याल से वित्त मंत्री ने एक ऐसा बजट पेश किया है जिसके उद्देश्य काफी ऊंचे हैं. इस बजट से यह विश्वास और मजबूत होता है कि इस केंद्रीय बजट को वर्ष के लिए सभी महत्वपूर्ण सुधारों के प्लैटफॉर्म के बजाय एक लेखा विवरण के रूप में देखा जाना चाहिए. इस बजट में आर्थिक बाध्यताओं को देखते हुए शॉर्ट टर्म में ग्रोथ देने पर जोर नहीं दिया गया है. इसके बजाय आधारभूत संरचनाओं, शिक्षा और प्रौद्योगिकी में निवेश को प्रोत्साहित करते हुए लॉन्ग टर्म में ग्रोथ पर फोकस किया गया है.
इंफ्रा पर फोकस सही कदम
बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर, जैसेकि सड़क, विमानन, डाटा केंद्र, पानी की पाइपलाइन का नेटवर्क बनाने आदि के विस्तार के लिए किये गए उपाय अच्छे कदम है. रेल पटरियों के किनारे-किनारे सौर पैनल लगाते हुए रिन्यूएबल एनर्जी स्रोतों के निर्माण पर जोर, सही दिशा में उठाया गया कदम है. टैक्स संबंधी कुछ एलान से विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी. आधुनिक तकनीक, उच्च शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट को महत्व दिया गया है. यह अच्छा कदम है.
Budget 2020: बजट से किसे होगा फायदा और नुकसान, जानें हर सेक्टर की डिटेल्स
नई कर व्यवस्था बढ़ाएगी मांग?
व्यक्तिगत आय कर की दरें कम करने और व्यक्तियों के लिए टैक्स फाइल प्रक्रिया को और सरल बनाने का निर्णय शॉर्ट टर्म के नजरिये से सकारात्मक कदम है. करदाताओं के हाथों में ज्यादा पैसा होने से तत्काल उपभोग की मांग में तेजी आनी चाहिए. किन्तु, कर छूट लेने का फैसला करदाताओं पर छोड़ देना, लंबी अवधि के नजरिए से सबसे बेहतर विकल्प नहीं लगता है. इससे व्यक्तिगत करदाताओं का एक वर्ग में लॉन्ग टर्म सेविंग्स और सिक्युरिटी से हाथ खींच सकता है.
हमारे जैसे देश में, जहां सोशल सिक्युरिटी के साधन सीमित हैं, इससे एक ऐसी स्थिति आ सकती है, जिसमें व्यक्ति पर्याप्त बीमा सुरक्षा के अभाव में स्वास्थ्य के खतरे जैसी घटना का शिकार हो सकता है. गैर-जीवन बीमा का अनुपात जीडीपी का महज 0.9% है, जो वैश्विक औसत के काफी नीचे है. ऐसे में स्वास्थ्य बीमा जैसी योजनाओं में निवेश करने और बीमित रहने के लिए उपभोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन जारी रखना जरूरी है.
ELSS: 5 साल में यहां 1 लाख के बने 2 लाख, लेकिन नया टैक्स सिस्टम इस स्कीम को देगा झटका
LIC की लिस्टिंग बढ़ा कदम
बीमा उद्योग के संदर्भ में बात की जाए तो आधारभूत संरचना परियोजनाओं पर जोर देना अच्छी बात है, क्योंकि इससे फायर और इंजीनियरिंग जैसे वर्गों में समुचित जोखिम सुरक्षा के लिए मांग बढ़ेगी. इसी प्रकार, आयुष्मान भारत के लिए सूची में शामिल अस्पतालों के नेटवर्क बढ़ाने के फैसले से पूरे देश में स्वास्थ्य बीमा का कवरेज बढ़ाने में मदद मिलेगी. भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को लिस्ट करने का प्रस्ताव कई तरह से एक बड़ा कदम है.